Digvijay singh on NEP : राज्यसभा में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने मंगलवार को दावा किया कि नरेन्द्र मोदी सरकार के शासनकाल में गरीब बच्चों को निजी संस्थानों में शिक्षा लेने के लिए मजबूर किया जा रहा है तथा नयी शिक्षा नीति में शिक्षा को बेचने के अलावा कुछ और नहीं है।
उच्च सदन में शिक्षा मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस के दिग्विजय सिंह ने कहा कि 2020 में नयी शिक्षा नीति आई किंतु सरकार ने इस नीति को बनाने से पहले कोई चर्चा नहीं की।
उन्होंने कहा कि सरकार के मुताबिक, नई शिक्षा नीति का लक्ष्य शिक्षा तक सभी वर्गों की पहुंच बनाना और दक्षता को बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि आज जिस प्रकार शिक्षा महंगी हो रही है, उससे क्या सभी वर्गों के बच्चों की शिक्षा तक पहुंच बन पा रही है?
सिंह ने कहा कि सकल पंजीकरण अनुपात बढ़ा है और स्कूल छोड़ने वाले छात्रों की संख्या कम हुई है, जो अच्छी बात है। उन्होंने कहा कि किंतु सरकार बताये कि क्या शिक्षकों की संख्या में इसके अनुपात में वृद्धि हुई है? उन्होंने कहा कि समग्र शिक्षा अभियान के तहत बजट नहीं बढ़ाया गया है।
कांग्रेस सदस्य ने कहा कि मध्य प्रदेश में 30 हजार स्कूल बंद किए गए हैं। उन्होंने कहा कि गरीबों के बच्चे आखिर पढ़ने के लिए कहां जाएंगे, उन्हें निजी स्कूलों में जाना पड़ेगा। उन्होंने दावा किया कि नयी शिक्षा नीति आने के बाद से 50 हजार निजी स्कूल खोले गये हैं।
सिंह ने दावा किया कि नयी शिक्षा नीति लोगों को निजी शिक्षा लेने के लिए मजबूर कर रही है। उन्होंने सुझाव दिया कि अभी बच्चों को 18 वर्ष के बाद दक्षता विकास के लिए प्रोत्साहित किया जाता है जबकि यह काम बच्चों की 14 वर्ष की आयु के बाद ही किया जाना चाहिए। कांग्रेस सदस्य ने कहा कि पहले सरकारी विश्वविद्यालयों से कोई कर नहीं लिया जाता था किंतु अब उनसे 18 प्रतिशत जीएसटी लिया जाता है। उन्होंने दावा किया कि शिक्षा को बेचने के अलावा नयी शिक्षा नीति कुछ नहीं है।
उन्होंने कहा कि भारत सांप्रदायिक सद्भाव और अनेकता में एकता का उदाहरण है किंतु उन्हें यह कहते हुए अफसोस हो रहा है कि एनसीईआरटी की कुछ पुस्तकों में सांप्रदायिकता के संकेत नजर आते हैं। उन्होंने दावा किया कि इतिहास को नये ढंग से प्रस्तुत करने के प्रयास हो रहे हैं।
कांग्रेस सदस्य ने कहा कि महात्मा गांधी की हत्या के बाद जो कुछ हुआ, उसे पाठ्यक्रम से निकाल दिया गया। उन्होंने कहा कि एनसीईआरटी की किताबों में संविधान की प्रस्तावना को रखने की बात स्वीकार की गई है।
उन्होंने केंद्रीय विद्यालयों और नवोदय विद्यालयों में शिक्षकों के पद खाली होने की ओर भी सदन का ध्यान दिलाया। उन्होंने कहा कि केंद्रीय विद्यालयों में 7414 पद और नवोदय विद्यालयों में 4022 पद खाली हैं। उन्होंने कहा कि सरकार इन पदों को नहीं भरना चाहती क्योंकि वह यहां संविदा कर्मियों के माध्यम से काम चलाना चाहती है। उन्होंने प्रश्न किया कि क्या संविदा कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जाता है।
सिंह ने कहा कि पीएमश्री विद्यालयों के लिए जिन राज्य सरकारों ने समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किये, उनका समग्र शिक्षा अभियान के तहत कोष रोक दिया गया। उन्होंने कहा कि यह हमारे संवैधानिक अधिकारों का हनन है। पश्चिम बंगाल के 1000 करोड़ रूपये, केरल 859 करोड़ रूपये और तमिलनाडु के 2192 करोड़ रूपए रोक दिए गए हैं। उन्होंने मांग की कि इन राज्यों का यह धन तुरंत जारी किया जाना चाहिए।
सिंह ने कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में भी 5410 पद खाली हैं और यहां भी संविदा के आधार पर भर्ती की जा रही है। उन्होंने कहा कि यह कुछ और नहीं, पर्दे के पीछे से अपने लोगों को भरने की कुटिल योजना या प्रयास है। उन्होंने कहा कि क्या इससे देश के अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों के अधिकारों का हनन नहीं किया जा रहा है?
edited by : Nrapendra Gupta