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  4. Dealing with anti-incumbency in Haryana assembly elections is a big challenge for BJP.
Last Modified: गुरुवार, 29 अगस्त 2024 (11:30 IST)

हरियाणा विधानसभा चुनाव में एंटी इनकम्बेंसी से निपटना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती, नए चेहरों पर दांव लगाने की तैयारी

PM Modi with CM nayab singh saini
10 साल से हरियाणा में सत्ता में काबिज भाजपा आज विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर सकती है। आज दिल्ली में पार्टी केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में 90 सीटों वाली हरियाणा विधानसभा में अधिकांश सीटों पर पार्टी अपने उम्मीदवारों के नामों का एलान कर सकती है। गौरतलब है कि हरियाणा में सभी 90 सीटों पर एक चरण में एक अक्टूबर को मतदान होगा जिसके लिए नामांकन की प्रक्रिया पांच सितंबर से शुरु हो रही है।

एंटी इनकम्बेंसी से निपटना बड़ी चुनौती-10 साल से सूबे की सियासत में काबिज भाजपा के सामने बड़ी चुनौती एंटी इनकम्बेंसी से निपटना है। एंटी इनकम्बेंसी की चुनौती से पार पाने के लिए भाजपा ने पहले हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर की जगह नयाब सैनी को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी वहीं अब वह अपने कई मौजूदा मंत्रियों और विधायकों के टिकट काट सकती है।

दरअसल हरियाणा में भाजपा सरकार को जबरदस्त सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ रहा है जिससे नायब सिंह सैनी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के लिए सत्ता में वापसी करना एक चुनौती से कम नहीं है। हरियाणा विधानसभा में वर्तमान में भाजपा के 40 विधायक है, ऐसे में पार्टी के उम्मीदवारों की जारी होने वाली सूची में कई नए चेहरों को जगह मिल सकती है। बताया जा रहा है कि पार्टी 30-40 फीसदी विधायकों के टिकट काट सकती है। भाजपा उम्मीदवारों की सूची में जातीय समीकरण को साधने की कोशिश करती हुई दिख सकती है, इसमें दलित वोटरों पर फोकस करने के साथ ओबीसी में आने वाले गुर्जर और यादव वोटर्स पर भी पार्टी फोकस कर सकती है।
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लोकसभा चुनाव के परिणामों ने बढ़ाई भाजपा की चिंता- विधानसभा चुनावों से ठीक पहले लोकसभा चुनाव में हरियाणा में पार्टी के प्रदर्शन ने भाजपा की चिंता बढ़ा दी है। लोकसभा चुनाव में राज्य की 10 सीटों में से भाजपा को सिर्फ 5 सीटों पर जीत हासिल हुई जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सभी 10 सीटों पर जीत हासिल की थी। लोकसभा चुनाव में भाजपा के दिग्गज चेहरों अशोक तंवर और अरविंद शर्मा को हार का सामना करना पड़ा। ऐसे में अब पार्टी विधासभा चुनाव में फूंक-फूंक कर कदम रख रही है।
ऐसे में पार्टी अब नए चेहरों पर दांव लगाने की तैयारी में है। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले  फरीदाबाद में हुई आरएसएस और भाजपा की समन्वय बैठक में विधानसभा चुनावों ने नए चेहरों को उतारने पर सहमति बनी है। बताया जा रहा है कि बैठक में आरएसएस ने साफ शब्दों में राज्य में सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर होने का दावा करते हुए नए चेहरों को उतारने  की बात कही।