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Last Modified: बुधवार, 16 सितम्बर 2020 (21:21 IST)

East Ladakh : शांत पैंगोंग झील के तट पर उठा तूफान, चीनी सैनिकों ने हवा में चलाई थी ताबड़तोड़ गोलियां

East Ladakh : शांत पैंगोंग झील के तट पर उठा तूफान, चीनी सैनिकों ने हवा में चलाई थी ताबड़तोड़ गोलियां - Chinese troops fired in the air on the banks of Pangong Lake
नई दिल्ली। भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच पिछले हफ्ते मास्को में हुई वार्ता से पहले भारतीय सैनिकों को डराने के लिए चीनी सैनिकों (Chinese troops) ने पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील (Pangong Lake) के उत्तरी तट पर चेतावनी देते हुए हवा में ताबड़तोड़ गोलियां चलाई थी। आधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
 
उन्होंने बताया कि यह घटना फिंगर 4 के रिजलाइन पर हुई थी, जहां भारतीय थल सेना झील के दक्षिणी तट पर कई सामरिक पर्वत चोटियों पर काबिज होने के बाद अपनी तैनाती बढ़ा रही है।
सूत्रों ने बताया कि चीन की ‘पीपुल्स लिबरेशन आर्मी’ (PLA) के सैनिक एक भारतीय मोर्चे की ओर आक्रामक तरीके से बढ़े, लेकिन वे कुछ समय बाद लौट गए क्योंकि चौकन्ने थल सेना कर्मी अपने मोर्चे पर दृढ़ता से डटे रहे।
उन्होंने बताया कि चीनी सैनिकों ने चेतावनी देते हुए 100-200 गोलियां चलाई, उनका प्राथमिक उद्देश्य भारतीय थल सेना कर्मियों को भयभीत करना था। मास्को में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन से अलग पिछले गुरुवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी की एक बैठक से पहले यह घटना हुई थी।
गोली चलाए जाने की पहली घटना सात सितंबर की शाम दक्षिणी तट पर रेजांग-ला रिजलाइन के मुखपारी इलाके में भारतीय मोर्चे के पास हुई थी। दोनों पक्षों ने हवा में गोली चलाने का एक दूसरे पर आरोप लगाया था। चीनी सैनिकों ने भारतीय मोर्चे के नजदीक पहुंचने की नाकाम कोशिश की थी और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर 45 साल में गोली चलने का यह पहला दृष्टांत था।
जयशंकर-वांग वार्ता में दोनों पक्ष चार महीने से चले आ रहे सीमा गतिरोध का हल करने के लिये पांच सूत्री आमसहमति पर पहुंचे। सहमति में, सैनिकों को शीघ्रता से पीछे हटाना, तनाव बढ़ाने वाली कार्रवाई से बचना, सीमा प्रबंधन पर सभी समझौतों एवं प्रोटोकॉल का पालन करना और एलएसी पर शांति बहाल करने के लिये कदम उठाना शामिल है।
 
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को लोकसभा में कहा था कि मौजूदा स्थिति के अनुसार चीनी सेना ने एलएसी के अंदर बड़ी संख्या में जवानों और हथियारों को तैनात किया है। उन्होंने कहा कि पूर्वी लद्दाख में गोगरा, कोंगका ला और पैंगोंग झील के उत्तरी एवं दक्षिणी तट सहित क्षेत्र में दोनों देशों के सैनिकों के बीच टकराव के कई बिंदु हैं।
 
उन्होंने कहा, ‘हमारी सेना ने भी जवाबी तैनाती की हैं, ताकि देश के सुरक्षा हितों का पूरी तरह ध्यान रखा जाए। हमारे सशस्त्र बल इस चुनौती का डटकर सामना करेंगे। हमें अपने सशस्त्र बलों पर गर्व है।’ इस बीच, दोनों पक्षों द्वारा छठे दौर के कोर कमांडर स्तर की वार्ता के लिये किसी तारीख को तय करना अभी बाकी है।
गलवान घाटी में 15 जून को दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई झड़प में भारत के 20 सैन्य कर्मियों के शहीद होने के बाद पूर्वी लद्दाख में तनाव बढ़ गया। पैंगोंग झील के दक्षिणी तट पर 29 और 30 अगस्त की दरम्यानी रात भारतीय भूभाग पर कब्जा करने की चीन की नाकाम कोशिश के बाद स्थिति और बिगड़ गई।
 
भारत ने पैंगोंगे झील के दक्षिणी तट पर कई पर्वत चोटियों पर तैनाती की और किसी भी चीनी गतिविधि को नाकाम करने के लिये क्षेत्र में फिंगर 2 तथा फिंगर 3 इलाकों में अपनी मौजूदगी मजबूत की है।
चीन फिंगर 4 और फिंगर 8 के बीच के इलाकों पर कब्जा कर रहा है। इस इलाके में फैले पर्वतों को फिंगर कहा जाता है। चीन ने भारत के कदम का पुरजोर विरोध किया है।

हालांकि, भारत यह कहता रहा है कि ये चोटियां एलएसी के इस ओर हैं। भारत ने चीनी अतिक्रमण के प्रयासों के बाद क्षेत्र में अतिरिक्त सैनिक एवं हथियार भी भेजे हैं। साथ ही, क्षेत्र में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ाई है।
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