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Written By वेबदुनिया न्यूज डेस्क

क्या 2024 में राजनाथ सिंह बन सकते हैं प्रधानमंत्री?

Rajnath singh
Former Governor Satyapal Malik on Rajnath Singh: जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने लोकसभा चुनाव 2024 से पहले यह कहकर राजनीतिक गलियारों में नई बहस को जन्म दे दिया है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह प्रधानमंत्री पद के लिए 'सीरियस उम्मीदवार' हो सकते हैं और यदि उनके भाग्य में होगा तो वे प्रधानमंत्री जरूर बनेंगे। मलिक ने यह बयान किस मकसद से दिया है, ये तो वे ही बता सकते हैं, लेकिन जिस तरह से देशभर में विपक्षी एकजुटता की पहल चल रही है, उससे उनके बयान को पूरी तरह खारिज भी नहीं किया जा सकता है। 
 
2019 के लोकसभा चुनाव में 303 (एनडीए 353) सीटें जीतने वाली भाजपा के बारे में यह कहना जल्दबाजी होगी कि वह 2024 में बहुमत का आंकड़ा नहीं छू पाएगी। 2014 में भाजपा ने 282 सीटें जीती थीं और पहली बार केन्द्र में पूर्ण बहुमत वाली गैर कांग्रेसी सरकार बनी थी। 2019 के चुनाव में भी कहा जा रहा था कि भाजपा को कड़ी मेहनत करनी होगी, लेकिन भगवा दल ने 2014 के प्रदर्शन को सुधारते हुए 300 से ज्यादा सीटों पर कब्जा किया था। 
 
लेकिन, जिस तरह से बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार, पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी, उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव विपक्ष को एकजुट करने में लगे हैं और यदि वे अपनी मुहिम में कामयाब होते हैं तो भाजपा के लिए मुश्किल का सबब बन सकते हैं। स्वयं सत्यपाल मलिक ने कहा है कि विपक्ष को भाजपा के मुकाबले लोकसभा चुनाव में एक ही उम्मीदवार उतारना चाहिए। यदि विपक्ष इस योजना पर काम काम कर पाया तो भाजपा को भले ही न रोक पाए, लेकिन वह नरेन्द्र मोदी की राह में रोड़ा जरूर बन सकता है।  
 
दरअसल, जिस तरह से ईडी और सीबीआई के छापे विपक्षी दलों के नेताओं पर डाले जा रहे हैं, उससे विपक्ष मोदी और उनकी 'टीम' को अपने लिए सबसे ज्यादा खतरा मानता है। यदि विपक्ष एकजुट हो जाता है और लोकसभा में भाजपा की सीटें बहुमत के आंकड़े  (273 से कम) से कम हो जाती हैं तो निश्चित रूप से उसे बाहर के समर्थन की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में विपक्षी दल कभी नहीं चाहेंगे कि मोदी एक बार फिर प्रधानमंत्री पद पर आसीन हों। 
 
ऐसी स्थिति में राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी या किसी अन्य भाजपा नेता की लॉटरी लग सकती है। कट्टर हिंदुत्व वाले अन्य फायर ब्रांड नेताओं की अपेक्षा राजनाथ की उदार छवि उन्हें इस दौड़ में आगे रख सकती है। क्योंकि स्वयं नीतीश कुमार, उद्धव ठाकरे, नवीन पटनायक, ममता बनर्जी जैसे नेता राजनाथ के पाले में खड़े हो सकते हैं। नीतीश, उद्धव, ममता को भाजपा से कोई परहेज नहीं है, लेकिन इनको मोदी नहीं सुहाते। 
 
ममता बनर्जी तो अटल जी कार्यकाल में केन्द्र में रेलमंत्री रह चुकी हैं, उस समय राजनाथ सिंह भी केन्द्र में मंत्री थे। दूसरा, राजनाथ उत्तर प्रदेश से आते हैं, वहां से भाजपा सांसद बड़ी संख्‍या में जीतते हैं। उनका बड़ा हिस्सा भी राजनाथ के पक्ष में लामबंद हो सकता है। शरद पवार भी किधर जाएंगे, फिलहाल कहा नहीं जा सकता। कर्नाटक को छोड़कर दक्षिणी राज्यों में भाजपा की स्थिति पहले ही काफी कमजोर है। ऐसे में सत्पाल मलिक की बात को पूरी तरह झुठलाया नहीं जा सकता है।
 
दूसरी ओर, इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव के परिणाम भी बताएंगे कि लोकसभा चुनाव का ऊंट किस करवट बैठेगा। जिस तरह से कर्नाटक से खबरें आ रही हैं, उसको देखकर लग रहा है कि वहां भाजपा की स्थिति ठीक नहीं है। गुजरात मॉडल का दांव यहां उल्टा पड़ सकता है। जगदीश शेट्टार और लक्ष्मण सावदी जैसे नेताओं का भाजपा छोड़कर कांग्रेस में जाना भी पार्टी के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है।
 
हिन्दी भाषी राज्य मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में इस साल के अंत में चुनाव होने वाले हैं। इन चारों राज्यों की 91 लोकसभा सीटों में से ज्यादातर पर भाजपा ने ही कब्जा किया था। कांग्रेस के खाते में सिर्फ 5 सीटें ही आई थीं। बिहार में भी इस बार भाजपा को जदयू, राजद और कांग्रेस के गठजोड़ से अकेले ही निपटना होगा।
 
महंगाई, पेंशन योजना, बेरोजगारी, अडाणी मामले और एंटीइंकम्बेंसी समेत कई अन्य मुद्दे भी हैं जो भाजपा की मुश्किल बढ़ाएंगे। इस समय केन्द्र की राजनीति में जो समीकरण बन रहे हैं, उसे देखते हुए इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि मोदी और शाह की जोड़ी की राह आसान होगी। हालांकि अभी चुनाव को एक साल है और राजनीतिक समीकरण बनने और बिगड़ने में भी देर नहीं लगती।  
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