गुरुवार, 19 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. AstroSat
Written By
Last Updated : शनिवार, 23 जनवरी 2021 (12:16 IST)

आकाशगंगा में दुर्लभ गर्म पराबैंगनी (यूवी) तारों की पहचान

आकाशगंगा में दुर्लभ गर्म पराबैंगनी (यूवी) तारों की पहचान - AstroSat
नई दिल्ली, (इंडिया साइंस वायर) हमारा ब्रह्माण्ड तारों के करोड़ों समूहों से मिलकर बना है। इन समूहों को मन्दाकिनी (गैलेक्सी) कहा जाता है। पृथ्वी की भी अपनी एक अलग मन्दाकिनी है, जिसे 'दुग्धमेखला' या 'आकाशगंगा' कहते हैं।

एक नये अध्ययन में, भारतीय खगोलविदों ने आकाशगंगा के आकर्षक दिखने वाले विशाल गोलाकार कलस्टर NGC2808 में दुर्लभ गर्म पराबैंगनी (यूवी) तारों को चिह्नित किया है। इस क्लस्टर के बारे में कहा जाता है कि इसमें सितारों की पांच पीढ़ियां होती हैं।

दीप्ति एस प्रभु, अन्नपूर्णी सुब्रमण्यम और स्नेहलता साहू सहित भारतीय ताराभौतिकी संस्थान (आईआईए), बेंगलुरु के वैज्ञानिकों की टीम ने इन सितारों को, भारत के पहले मल्टी-वेवलेंग्थ स्पेस उपग्रह एस्ट्रोसैट पर सवार अल्ट्रा-वॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (UVIT) का उपयोग करते हुए कैप्चर किया है। उल्लेखनीय है कि सितंबर 2020 में, एस्ट्रोसैट ने अपनी कक्षा में पांच साल पूरे किए हैं।

शोधकर्ताओं का कहना है कि “ये तारे जिनके आंतरिक कोर लगभग दृश्यमान हैं, उन्हें बहुत गर्म बनाते हैं। ये तारे, सूर्य  जैसा एक तारा बन जाने के अंतिम चरण में हैं। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि इन तारों के जीवन का अंत कैसे होता है, क्योंकि तेजी से घटित होने वाले इन चरणों में इनमें से बहुत-से तारे मौजूद नहीं पाए गए हैं, जो इस अध्ययन को महत्वपूर्ण बनाते हैं।”

आईआईए, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के अंतर्गत कार्यरत एक स्वायत्त संस्थान है। डीएसटी द्वारा इस संबंध में जारी एक वक्तव्य में कहा गया है कि पुराने गोलाकार क्लस्टर, जिन्हें ब्रह्मांड के डायनासोर के रूप में संदर्भित किया जाता है, ऐसी उत्कृष्ट प्रयोगशालाएं हैं, जहां खगोलविद यह समझ सकते हैं कि कैसे तारे अपने जन्म और मृत्यु के बीच विभिन्न चरणों में विकसित होते हैं। आकाशगंगा के गोलाकार कलस्टर NGC2808 को केंद्र रखकर किए जा रहे अध्ययन में वैज्ञानिकों की कोशिश कुछ इसी तरह की है।

“क्लस्टर की शानदार अल्ट्रावॉयलेट (यूवी) छवियों के उपयोग से वैज्ञानिक अपेक्षाकृत ठंडे रेड जाइंट एवं अन्य तारों और गर्म पराबैंगनी-चमकीले तारों में अंतर करते हैं। इस अध्ययन के निष्कर्षों को 'द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल' शोध पत्रिका में प्रकाशन के लिए स्वीकृत किया गया है। वैज्ञानिकों ने यूवीआईटी डेटा को दुनिया की अन्य प्रमुख दूरबीनों से प्राप्त डेटा से जोड़कर समायोजित रूप से पेश किया है। इस दौरान हबल स्पेस टेलीस्कोप और गाया टेलीस्कोप जैसे अन्य अंतरिक्ष मिशनों के साथ-साथ जमीन पर आधारित ऑप्टिकल अवलोकनों से प्राप्त तथ्यों का इस शोध में उपयोग किया गया है।

इनमें से एक पराबैंगनी प्रकाश से चमकने वाला तारे को सूर्य से तीन हजार गुना अधिक चमकीला पाया गया है, जिसकी सतह का तापमान लगभग एक लाख केल्विन है। इन तारों के गुणों को केंद्र में रखकर वैज्ञानिक इनके जन्म एवं विकासक्रम को समझने का प्रयास कर रहे हैं।
ये भी पढ़ें
जल-परिवहन में उपयोगी हो सकता है पानी और बुलबुलों से जुड़ा नया शोध