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Last Updated : रविवार, 21 अक्टूबर 2018 (08:09 IST)

अमृतसर रेल हादसे के एक दिन बाद दोषारोपण की राजनीति तेज

अमृतसर रेल हादसे के एक दिन बाद दोषारोपण की राजनीति तेज - Amritsar rail accident,
अमृतसर/चंडीगढ़/नई दिल्ली। पंजाब के अमृतसर में दशहरे के दिन 60 लोगों की जान लेने वाले हादसे के एक दिन बाद जहां पंजाब सरकार ने जांच के आदेश दिए वहीं दर्दनाक हादसे पर राजनीति भी तेज हो गई और दोषारोपण का खेल शुरू हो गया।
 
 
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अमृतसर का दौरा कर हादसे की जालंधर विभागीय आयुक्त से जांच के आदेश देने के साथ रिपोर्ट एक महीने के भीतर पेश करने को कहा। गृह विभाग ने इस संबंध में नोटिफकेशन भी जारी कर दी। अमृतसर में जालंधर-अमृतसर रेल लाइन पर जोड़ा फाटक के नजदीक दशहरे के त्योहार के अवसर पर जलसे के दौरान डीएमयू की चपेट में आने से यह हादसा हुआ था। इसमें 59 लोगों की मौत हो गई और 57 लोग घायल हो गए।
 
पंजाब सरकार ने इसी के साथ धार्मिक और सामाजिक जलसों के लिए अनुमति देने संबंधी दिशा-निर्देश तय करने की प्रक्रिया भी शुरू की है ताकि ऐसी घटनाएं भविष्य में न घटें। इसके लिए मुख्यमंत्री ने गृह सचिव को निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने 3 अस्पतालों में घायलों को मिलने और दुर्घटना स्थल का दौरा करने के बाद पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा कि जांच रिपोर्ट आने के बाद इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने कहा कि जांच में घटना के हरेक पहलू को जांचा जाएगा।
 
इस संबंध में रेलवे की किसी किस्म की लापरवाही के बारे पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मामले को जांच में विचारा जाएगा और यह भी पता लगाया जाएगा कि इस कार्यक्रम के लिए अनुमति हासिल की गई थी या नहीं की गई थी?
 
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह समय इस मामले पर राजनीति करने का नहीं है। उन्होंने सभी पार्टियों को पीड़ितों को राहत देने के लिए सरकार के साथ सहयोग करने की अपील की। हालांकि रेलवे ने जहां स्पष्ट तौर पर घटना की जांच करवाने से मना कर दिया वहीं यह भी कह दिया कि स्थानीय प्रशासन की तरफ से पटरियों के निकट कार्यक्रम की कोई पूर्व सूचना नहीं थी इसलिए हादसे में रेलवे की कोई गलती नहीं है।
 
दुर्घटना में पंजाब सरकार ने मृतकों के परिवारों को 5-5 लाख रुपए तथा घायलों को 50-50 हजार रुपए की सहायता राशि देने की घोषणा की है। इसके अलावा घायलों को नि:शुल्क इलाज मुहैया कराने की भी घोषणा की गई है। विपक्षी दलों के नेताओं ने इसे अपर्याप्त बताते हुए 1-1 करोड़ रुपए के मुआवजे और परिवार के एक सदस्य को नौकरी की मांग की है।
 
मामले पर राजनीति उस समय तेज हो गई जब शिरोमणि अकाली दल (शिअद) अध्यक्ष सुखबीर बादल और पूर्व मंत्री विक्रम मजीठिया ने घटना के लिए स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू और उनकी पत्नी नवजोत कौर सिद्धू को जिम्मेदार ठहराते हुए दोनों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने से लेकर सिद्धू को मंत्री पद से हटाने की मांग की। नवजोत मौके पर मौजूद थीं और आरोप है कि हादसा होते ही वे वहां से चली गईं।
 
हालांकि सिद्धू ने इन आरोपों को गलत बताते हुए कहा कि उन्हें घटना की सूचना बेंगलुरु में मिली थी जिसके पश्चात उन्होंने अपनी पत्नी डॉ. नवजोत कौर सिद्धू से संपर्क किया, जो घटना के तुरंत पश्चात अस्पताल में पहुंच गई थीं। नवजोत पर घटना स्थल से चले जाने के आरोपों पर उन्होंने कहा कि लोग कुछ भी कहते हैं लेकिन यह सच नहीं है। उन्होंने कहा कि डॉ. सिद्धू ने अस्पताल में पहुंचकर खुद घायलों का इलाज किया है और पीड़ितों की राहत के लिए पूरे प्रयास किए जाएंगे।
 
उधर केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने भी हादसे के लिए पंजाब सरकार को दोषी ठहराया है। उन्होंने रेल पटरी के निकट दशहरे के कार्यक्रम के आयोजन पर सवाल उठाया। इस बीच सरकारी रेलवे पुलिस (जीआरपी) ने दशहरा कार्यक्रम के आयोजकों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 304 और 304 ए (गैरइरादतन जान लेना, हत्या नहीं) के तहत प्राथमिकी दर्ज की है हालांकि प्राथमिकी में किसी का नाम नहीं दिया गया है।
 
इस सबके बीच शनिवार को अमृतसर के विभिन्न श्मशानगृहों में 30 से ज्यादा लोगों का अंतिम संस्कार किया गया। 4 शवों को उत्तरप्रदेश भेजा गया। कई मृतकों के परिजनों ने शिकायत की कि सरकार का कोई अधिकारी उनसे मिलने तक नहीं आया और प्रशासन ने अस्पताल या श्मशान घाट पर उचित प्रबंध नहीं किए। घटनास्थल पर लोग शनिवार को भी अपने परिजनों के गायब होने की शिकायत कर रहे थे। उनका कहना था कि शव न तो अस्पताल में हैं और न ही उनके संबंध में काई जानकारी दी जा रही है। (वार्ता)