रविवार, 22 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. नानक जयंती
  4. Guru Nanak Jayanti 2019

गुरुनानक जयंती 2019 : गुरु नानक देवजी के 8 प्रमुख पवित्र स्थल

Guru Nanak Jayanti 2019 : गुरु नानक देवजी के 8 प्रमुख पवित्र स्थल - Guru Nanak Jayanti 2019
गुरुनानक देवजी का जन्म पंजाब के राएभोए के तलवंडी नामक स्थान पर हुआ। यह स्थान अब पाकिस्तान में है। उन्होंने उनके जीवन का ज्यादातर समय सुल्तानपुर लोधी और करतारपुर में बिताया। यहां कई गुरुद्वारे हैं। इसके अलावा उन्होंने भारत और पाकिस्तान में जहां-जहां भी यात्रा की, उस-उस स्थान पर पवित्र गुरुद्वारे बनाए गए हैं। यात्रा के दौरान उनके साथ कई रोचक घटनाएं भी घटी थीं। यहां कुछ प्रमुख गुरुद्वारों के संबंध में संक्षिप्त जानकारी।
 
 
1. ननकाना साहिब : भारतीय संस्कृति में गुरु का महत्व आदिकाल से ही रहा है। सिख धर्म के 10 गुरुओं की कड़ी में प्रथम हैं गुरु नानक देव। कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन 1469 को राएभोए के तलवंडी नामक स्थान में कल्याणचंद (मेहता कालू) नाम के एक किसान के घर गुरु नानकदेवजी का जन्म हुआ। उनकी माता का नाम तृप्ता था। तलवंडी को ही अब नानक के नाम पर 'ननकाना साहब' कहा जाता है, जो अब पाकिस्तान में है। ननकाना साहिब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में लाहौर से लगभग 75 किलोमीटर दूर है।
 
माना जाता है कि 16 वर्ष की आयु में उनका विवाह हुआ। श्रीचंद और लक्ष्मीचंद नाम के 2 पुत्र भी उन्हें हुए। 1507 में वे अपने परिवार का भार अपने श्वसुर पर छोड़कर यात्रा के लिए निकल पड़े। 1521 तक उन्होंने भारत, अफगानिस्तान, फारस और अरब के प्रमुख स्थानों का भ्रमण किया। कहते हैं कि उन्होंने चारों दिशाओं में भ्रमण किया था। लगभग पूरे विश्व में भ्रमण के दौरान नानकदेव के साथ अनेक रोचक घटनाएं घटित हुईं। 1539 में उन्होंने देह त्याग दी।
 
 
2.करतारपुर साहिब : करतारपुर, लाहौर से लगभग 117 किलोमीटर दूर नारोवाल जिले में स्थित है। यह जगह भारतीय सीमा से महज 3 किमी दूर स्थित है। सिख इतिहास के अनुसार गुरुनानक देवजी अपनी 5 प्रसिद्ध यात्राओं को पूरा करने के बाद करतारपुर साहिब में रहने लगे थे। भारत के तीर्थयात्री पहले करतारपुर साहिब फिर ननकाना साहिब जाते हैं। करतारपुर साहिब, पाकिस्तान के नारोवाल जिले में स्थित है। गुरु नानक देव साहिब ने अपने जीवनकाल के अंतिम 17 वर्ष यहीं बिताए थे।

 
3.डेरा बाबा नानक साहिब : एक तरफ सीमा के उस पार गुरुद्वारा करतारपुर साहिब है, तो वहीं दूसरी ओर सीमा के इस पार गुरुदासपुर में रावी नदी के तट पर गुरुद्वारा डेरा बाबा नानक साहिब स्थित है। ये वही स्थान है, जहां गुरु नानक देवजी ने अपनी पहली उदासी (यात्रा) के बाद 1506 में ध्यान लगाया था। जिस जगह पर बैठकर गुरु नानक देवजी ने ध्यान लगाया था, उस जगह को 1800 ई. के आसपास महाराजा रणजीत सिंह ने चारों तरफ से मार्बल से कवर करवाया और गुरुद्वारे का आकार दिया। यह स्थान भारत-पाकिस्तान की बॉर्डर से सिर्फ 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। लगभग 4 किलोमीटर दूर गुरुनानक देवजी ने करतारपुर की स्थापना की थी और अपनी सभी उदासियों के बाद गुरु नानक देवजी करतारपुर में ही रहने लगे थे, जहां आज गुरुद्वारा करतारपुर साहिब है। 

 
4.सुल्तानपुर लोधी (कपूरथला) के गुरुद्वारे : गुरुनानक देवजी अपने बहनोई जयराम (उनकी बड़ी बहन नानकी के पति) के बुलावे पर नवंबर, 1504 ई. से अक्टूबर 1507 ई. तक सुल्तानपुर में ही रहे। यहां 3 गुरुद्वारे हैं। पहला हाट साहिब, जहां गुरुनानक देवजी ने अपने बहनोई के कहने पर एक नवाब के यहां काम किया था। यहीं से नानक को 'तेरा' शब्द के माध्यम से अपनी मंजिल का आभास हुआ था।
 
दूसरा गुरुद्वारा था गुरु का बाग, जो उनका घर था। यहीं पर उनके 2 बेटों बाबा श्रीचंद और बाबा लक्ष्मीदास का जन्म हुआ था। तीसरा गुरुद्वारा कोठी साहिब है, जहां नवाब दौलत खान लोधी ने हिसाब-किताब में गड़बड़ी की आशंका में नानकदेवजी को जेल भिजवा दिया, लेकिन जब नवाब को अपनी गलती का पता चला तो उन्होंने नानकदेवजी को छोड़कर माफी मांगी और प्रधानमंत्री बनाने का प्रस्ताव भी रखा था, लेकिन गुरुनानक ने इसे प्रस्ताव को ठुकरा दिया।
 
चौथा गुरु द्वारा गुरुद्वारा बेर साहिब है, जहां जब एक बार गुरु नानकदेवा अपने सखा मर्दाना के साथ वैन नदी के किनारे बैठे थे तो अचानक उन्होंने नदी में डुबकी लगा दी थी और 3 दिनों तक लापता हो गए थे। सभी लोग उन्हें डूबा हुआ समझ रहे थे, लेकिन वे वापस लौटे तो उन्होंने कहा- 'एक ओंकार सतिनाम।' गुरुनानक ने वहां एक बेर का बीज बोया, जो आज बहुत बड़ा वृक्ष बन चुका है।

 
5.गुरुद्वारा कंध साहिब बटाला (गुरुदासपुर) : कहते हैं कि गुरुनानक देवजी का यहां सुलक्षणा से 18 वर्ष की आयु में संवत्‌ 1544 की 24वीं जेठ को विवाह हुआ था। यहां गुरुनानक की विवाह वर्षगांठ पर प्रतिवर्ष उत्सव का आयोजन होता है।
nankana sahib

 
6.गुरुद्वारा अचल साहिब (गुरुदासपुर) : भारत के पंजाब में गुरुदासपुर में कई गुरुद्वारे हैं जिसमें गुरुद्वारा अचल साहिब वह स्थान है, जहां गुरुदेवजी अपनी यात्रा के दौरान रुके थे और नाथपंथी योगियों के प्रमुख योगी भांगर नाथ के साथ उनका धार्मिक वाद-विवाद यहां पर हुआ था।

 
7.चोआ साहिब गुरुद्वारा : पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में मौजूद ऐतिहासिक चोआ साहिब गुरुद्वारा उपेक्षा का शिकार है। माना जाता है कि सिखों के पहले गुरु नानकदेव इस स्थान पर ठहरे थे। जब वे यहां ठहरे थे तब यह जगह सूखे से जूझ रही थी। कहा जाता है कि गुरु नानकदेव ने यहां अपनी बेंत को जमीन पर मारा और एक पत्थर फेंका जिसके बाद यहां प्राकृतिक झरने (चोहा) का पता चला। इस गुरुद्वारे को महाराजा रणजीत सिंह ने 1834 में बनवाया था।

 
8.मणिकर्ण गुरुद्वारा : हिमाचल के सिरमौर में स्थित मणिकर्ण नामक जगह पर गुरुनानक देवजी ने अपनी यात्रा के दौरान ध्यान लगाया था। उन्हीं की यात्रा के यादगार के रूप में यहां एक गुरुद्वारा बनाया गया है। यह एक शांत और रहस्यमयी गर्म पानी के चश्मे के रूप में एक पवित्र सिख तीर्थस्थान है।