अरिजीत सिंह के साथ का विवाद अभी थमा भी नहीं था, कि सलमान फिर चर्चा में आ गए। सुल्तान की शूटिंग के दौरान होने वाली थकान के बारे पूछने पर, सलमान खान द्वारा दिया गया बयान एक बड़ी चर्चा को जन्म दे गया। सलमान द्वारा दिया गया विवादास्पद बयान यह था, कि शूटिंग के बाद वे इतना थक जाते थे, कि ठीक से चल भी नहीं पाते थे...उनकी स्थिति किसी रेप पीड़ित की तरह हो जाती थी। हिन्दुुस्तान और उसके बाहर भी करोड़ों दर्शकों के चहेते अभिनेता द्वारा दिया गया यह बयान, कई लोगों का दिल तोड़ गया। बड़ी बात नहीं है कि इस बयान के बाद उन्होंने अपने कई फैन्स को भी खो दिया है।
हालांकि सलमान के इस बयान के बाद उनके पिता सलीम खान द्वारा इस बारे में माफी भी मांगी गई और यह कहकर सफाई भी दी गई, कि सलमान ने जो कहा गलत कहा, लेकिन उनका इरादा किसी का दिल दूखाने का नहीं था। इस बहस को राईं का पहाड़ बनाने वाले लोगों को भी उन्होंने साफ शब्दों में कह दिया, कि योग दिवस जैसे खास मौके पर इस बात को तूल देकर अपनी दुकान चलाना गलत है।
इस पूरे मामले पर मैं यह बिल्कुल नहीं कहूंगी कि सलमान ने गलत नहीं कहा...सलमान जैसी शख्सियत, जो न केवल अपने अभिनय बल्कि अपनी दरियादिली से करोड़ों लोगों का दिल जीत चुकी हो, उससे जनता इतनी बचकानी और बेतुकी बात की उम्मीद बिल्कुल नहीं करती। वे जितनी बड़ी हस्ती हैं, उस स्तर पर उन्हें अपने हर कार्य और कही गई सही या गलत बात के लिए जिम्मेदार होना चाहिए।
एक तरफ तो बीईंग ह्यूमन को प्रमोट कर वे लोगों को अपनी समाज सेवा, दरियादिली और उपेक्षित वर्ग के प्रति तथाकथित सॉफ्ट कॉर्नर का परिचय देते हैं...दूसरी तरफ इस तरह के बेतुके बयान देकर न केवल अपने खोखले और बचकाने मानसिक स्तर को दर्शाते हैं, बल्कि संबंधित उस वर्ग की आपसे जुड़ी उस उम्मीद को भी तोड़ते हैं जो उनसे कम से कम समझदारी की अपेक्षा तो रखता है। नहीं कुछ तो उदार दिल सलमान से इंसानियत के तौर पर संवेदनशीलता की तो हर किसी को उम्मीद थी।
लेकिन यहां गलती सिर्फ सलमान खान की नहीं है। गलती उन लोगों की भी है, जो इस मामले को तूल देकर खुद को रेप पीड़िताओं का पक्षधर तो बता रहे हैं, लेकिन उन्हें अपने साथ हुए किसी अपराध को भूलने का अवसर ही नहीं दे रहे। मतलब यह नहीं, कि हम उनका दर्द समझना नहीं चाहते, लेकिन उसे कम भी तो नहीं कर पा रहे।
मामला संवेदनशील है और यह भी सत्य है, कि बलात्कार का दर्द झेल चुकी पीड़िताओं की घुटन, तड़प, क्रोध, आत्मग्लानि और मानसिक स्तर की कल्पना करना भी हमारे बस में नहीं है। लेकिन उन्हें उनका दर्द भुलाकर, समाज की मुख्यधारा से जोड़ना तो हमारे बस में है ना...फिर हम इस तरह के मुद्दों को तूल देकर क्या उनके साथ न्याय कर रहे हैं...? क्या यह सब करके हम उन्हें एक अलग तबके के रूप में नहीं देख रहे...? सलमान खान ने अगर विवादास्पद बयान देकर अपनी गैरजिम्मेदाराना वैचारिक स्तर का उदाहरण दिया है, तो हमने इसमें कितनी समझदारी दिखाई है...?
माना कि सलमान की इस गलती पर मीडिया की प्रतिक्रिया जरूरी है...लेकिन यही प्रतिक्रयाएं तब कहां होती हैं, जब हर दिन, हर शहर में, हर अंधेरे में किसी का रेप हो जाता है और प्रतिक्रिया की जगह एक चुप्पी, अपराधी को बख्श देती हैं। क्या हम उनके लिए कुछ कर सके हैं?सलमान अपनी गलती के लिए जरूर जिम्मेदार हैं, लेकिन क्या अपनी प्रतिक्रियाओं की जिम्मेदारी हमने ली है...?