15 साल में पहली बार सर्वाधिक महिलाएं चुनावी मैदान में, पिछड़े इलाके भी पीछे नहीं
भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में सभी 230 विधानसभा सीटों के लिए दोनों प्रमुख दलों भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने भले ही नाममात्र की महिलाओं को टिकट दिया हो, पर इस बार पिछले 3 चुनावों के मुकाबले में सर्वाधिक महिलाएं चुनावी मैदान में हैं। प्रदेश में इस बार कुल 249 महिलाएं चुनावी मैदान में हैं। वर्ष 2013 में ये संख्या 200, 2008 में 231 और 2003 में 199 थी।
महिलाओं को चुनावी मैदान में उतारने में प्रदेश के पिछड़े और आदिवासी जिले भी पीछे नहीं हैं। बुंदेलखंड के पिछड़े जिले कहे जाने वाले छतरपुर से 15 और नक्सल प्रभावित बालाघाट से 13 महिलाएं चुनावी रण में डटी हुई हैं। राजधानी भोपाल में भी 15 महिलाएं अपना भाग्य आजमा रही हैं। इसके बाद ग्वालियर और जबलपुर से 14, रीवा से 13 और सतना से 11 महिलाएं आधी आबादी का चुनावी रण में प्रतिनिधित्व कर रही हैं। महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने में प्रदेश की व्यावसायिक राजधानी इंदौर भी काफी पीछे है। यहां की 9 विधानसभा सीटों पर से मात्र 8 महिलाएं चुनावी मैदान में हैं।
आदिवासी बहुल श्योपुर और डिंडोरी जिले में कोई महिला चुनावी मैदान में अपना भाग्य आजमाने आगे नहीं आई है। आगर-मालवा में भी यह संख्या शून्य है। आगर-मालवा में वर्ष 2013 के चुनाव में भी किसी महिला ने विधानसभा चुनाव में अपना भाग्य नहीं आजमाया था। आदिवासी बहुल आलीराजपुर समेत शाजापुर और हरदा जिले में 1-1 महिला चुनावी मैदान में है, वहीं किसान आंदोलन से देशभर में सुर्खियों में आए मंदसौर जिले में कुल 2 महिलाएं ही मैदान में उतरी हैं। ये दोनों ही बहुजन समाज पार्टी की प्रत्याशी हैं।
वर्ष 2013 के चुनाव में सर्वाधिक महिला प्रत्याशी रीवा और जबलपुर में 12-12 थीं। पिछले चुनाव में अशोकनगर, अनूपपुर, देवास और आगर-मालवा जिलों से आधी आबादी का प्रतिनिधित्व करने कोई महिला आगे नहीं आई थी। इस बार चुनावी रण में 5 किन्नर भी मैदान में हैं। मुरैना की अंबाह से नेहा किन्नर, दमोह से रिहाना शब्बो बुआ, शहडोल के जयसिंहनगर से शानू मौसी, होशंगाबाद से पंछी देशमुख और इंदौर-2 से बाला वैश्वारा चुनावी रण में अपनी नैया पार लगाने की कोशिश में हैं।
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक प्रदेश में महिला मतदाताओं की संख्या 2 करोड़ 40 लाख 76 हजार 693 है। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने कुल 230 विधानसभा क्षेत्रों के बीच 24 महिलाओं को प्रत्याशी बनाया है, कांग्रेस में ये संख्या 27 है। गौर करने वाली बात ये भी है कि इन सालों में विधानसभा चुनाव में उतरने वाले कुल प्रत्याशियों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। पिछले साल कुल 2 हजार 583 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे, जबकि इस बार ये संख्या 2 हजार 907 है। (वार्ता)