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Last Modified: रविवार, 5 अक्टूबर 2014 (15:17 IST)

राहुल देव : भाषा का सिपाही

राहुल देव :  भाषा का सिपाही - Rahul Dev, Hindi Journalism
पत्रकारिता के गिरते मूल्यों और घटती साख के बीच राहुल देव एक ऐसा नाम है, जो पत्रकारिता के सामाजिक सरोकारों और भारतीय भाषाओं के वजूद के लिए लंबी लड़ाई लड़ रहा है। हिन्दी पत्रकारिता में राहुल देव का नाम बेहद सम्मान के साथ लिया जाता है।

उन्होंने 30 साल से भी अधिक वक्त इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट ‍मीडिया में बिताया है। इतने लंबे सफर के दौरान एक दिन भी ऐसा नहीं आया, जब उन पर किसी ने कोई आरोप लगाया हो। झक सफेद दाढ़ी और बालों के बीच चमकता राहुल देव का भाल धवल पत्रकारिता का पैरोकार है।

वर्ष 1977 में सुरेन्द्र प्रताप सिंह की मृत्यु के बाद लोकप्रिय चैनल 'आज तक' पर एंकरिंग की जिम्मेदारी संभालने वाले राहुल देव पत्रकारिता में भाषा के स्वरूप और उसके संस्कार को लेकर बेहद संजीदा हैं।

समाचार-पत्रों और न्यूज चैनल्स में भाषा के सरलीकरण और बोलचाल की भाषा के नाम पर भारतीय भाषाओं के साथ हो रहे खिलवाड़ से चिंतित नजर आते हैं।

'भारतीय भाषाओं का भविष्य और हमारी ‍भूमिका' विषय पर ग्वालियर में आयो‍जित व्याख्यान में उन्होंने कहा था कि अंग्रेजियत के कारण मात्र हिन्दी ही नहीं, वरन् भारतीय भाषाओं के वजूद पर संकट आ गया है। हमारी भाषाओं में जबरन अंग्रेजी के शब्द ठूंसे जा रहे हैं।

उनका मानना है कि भाषा कोई भी हो, उसकी पवित्रता बनी रहनी चाहिए। अंग्रेजी बोलो तो शुद्ध। हिन्दी में बातचीत करो तो फिर वह भी हिन्दी ही हो, उसमें अंग्रेजी के शब्द न हों।

हिन्दी के भविष्य को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने आशंका जताई कि अगर हिन्दी की स्थिति यही रही तो 2050 तक भारत में लिखाई और पढ़ाई के सारे काम अंग्रेजी में किए जा रहे होंगे और हिन्दी सिर्फ मनोरंजन की भाषा बनकर रह जाएगी।

'सम्यक फाउंडेशन' के माध्यम से वे सामाजिक विकास, सार्वजनिक स्वास्थ्य, एचआईवी-एड्स और सामाजिक मूल्यों के प्रति भी लोगों को जागरूक करने में लगे हैं। इसके साथ ही युवाओं को समाजोन्मुखी पत्रकारिता का प्रशिक्षण देना और उन्हें शोधकार्य करने का अभ्यास भी वे बखूबी करा रहे हैं।

खुद का प्रोडक्शन हाउस शुरू कर कई न्यूज चैनल्स के लिए बेहतरीन कार्यक्रम और महत्वपूर्ण वृत्तचित्र बनाने वाले राहुल देव ने अनेक पत्र-पत्रिकाओं और न्यूज चैनल्स में काम किया।

हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं पर उनकी गहरी पकड़ है। दि पायोनियर, करेंट, दि इलस्ट्रेटड वीकली, दि ‍वीक, प्रोब, माया, जनसत्ता और आज समाज में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभालने के अलावा उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी लंबे समय तक काम किया।

टीआरपी की जगह हर हाल में कंटेंट को प्राथमिकता देने वाले राहुल देव ने आज तक, दूरदर्शन, जी न्यूज, जनमत और सीएनईबी न्यूज चैनल में शानदार समय गुजारा है।
(मीडिया विमर्श में लोकेन्द्र सिंह)