मंगल ग्रह मंदिर में पक्षियों को मिलता रहता है साल भर मौसमी फल, अनाज और पानी
Mangal Grah Mandir Amalner : मंगल दोष की शांति का एकमात्र स्थान अमलनेर स्थिति मंगल ग्रह मंदिर में मानव ही नहीं पशु और पक्षियों के लिए भी सेवा प्रकल्प चलते रहते हैं। इसी संदर्भ में हाल ही में पक्षियों के लिए भी एक अनूठे कार्य को देखा गया जिसकी लोगों ने सराहना की हैं। यहां पर 12 माह ही पक्षियों के लिए छाव, अन्न और जल की उचित व्यवस्था की गई है।
दरअसल, खानदेश में पूरे साल में कम से कम 8 महीने तपती धूप रहती है। इस गर्मी में पूरी मानव जाति और जानवर भी त्राहि त्राहि करने लगते हैं। यहां भोजन और पानी की कमी से पक्षी कई मर जाते हैं। इसी समस्या को देखते हुए मंगल ग्रह सेवा संस्था ने बारह महीने पक्षियों के लिए भोजन और पानी उपलब्ध कराया है।
इस स्थान पर सभी प्रकार के अनाज और पार्टी के अनुकूल फल उपलब्ध हैं। नतीजा यह हुआ कि गर्मी में आसानी से कहीं नहीं दिखने वाले पक्षी अब मंदिर में रहने लगे हैं। मंदिर परिसर में कई पेड़ हैं। मंदिर प्रबंधन द्वारा पेड़ों पर गमले बांधे जाते हैं। इन्हीं में पक्षी अंडे देते हैं और बच्चे पैदा करते हैं। यहां पक्षियों के लिए सुरक्षा हर जगह है। इसलिए, पक्षियों को कोई नुकसान नहीं होता है।
पेड़ों के फलों को पक्षियों के अलावा कोई नहीं छूता। इसलिए मंदिर में पक्षियों की बहुत ही मधुर चहचहाहट सुनी जा सकती है। मंदिर में पक्षियों के लिए अब मंगल ग्रह का मंदिर एक बहुत ही आकर्षक और आराम करने वाला स्थान बन गया है।
पक्षियों की देखभाल के लिए जागरूकता: मंगल ग्रह सेवा संस्था न केवल पक्षियों की रक्षा और संरक्षण के लिए प्रयास कर रहा है, बल्कि सोशल मीडिया, सूचना पुस्तकों और डिजिटल मीडिया के माध्यम से इस संबंध में लगातार व्यापक जन जागरूकता का अभियान भी चला रहा है। नतीजतन, कई पक्षी-प्रेमी भक्त और पर्यटक आते हैं और मंदिर प्रबंधन से मिलकर पूछते हैं कि पक्षियों को क्या खिलाएं? कैसे खिलाएं? उनके लिए पानी कहां और कैसे रखें? पक्षियों के अंडे देने और प्रजनन करने के लिए क्या किया जाना चाहिए? इस संबंध में मंदिर प्रशासन पक्षी प्रेमियों को भी सूचित करता है।
मंदिर में इन पक्षी दलों का है निवास : दयाल, वाइट ब्रेस्टेड नटथैच, बुलबुल, सातभाई, कोतवाल, पीली प्रिनिया, भारतीय रॉबिन, कवडी मैना, वंचक, व्हाइट ब्रेस्टेड किंगफिशर, सनबर्ड, भांगवाडी मैना, कोयल, तोता, इसके अलावा कई गौरैया, कौवे, कबूतर ऐसे कुछ पक्षी हैं जिनके दलों की जातियों की अभी तक पहचान नहीं हो पाई है, वे भी इस मंदिर में पाई जाती हैं