Why is physiotherapy necessary: फिजियोथेरेपी सिर्फ शारीरिक समस्याओं का इलाज भर नहीं है, बल्कि यह मानसिक शक्ति और इच्छाशक्ति को भी मजबूत बनाती है। यह हमें सिखाती है कि चोट लगने के बाद हार मानना विकल्प नहीं, बल्कि सही इलाज और धैर्य के साथ फिर से उठ खड़ा होना ही असली जीत है। वहीं, यदि किसी चोट या दर्द का सही समय पर इलाज न किया जाए तो वह गंभीर हो सकता है। दर्द कम होने की बजाय और बढ़ सकता है। दरअसल, फिजियोथेरेपी दर्द को कम करने का बहुत प्रभावी तरीका है, खासकर मांसपेशियों और जोड़ों के दर्द, पीठ दर्द, गठिया या खिंचाव आदि में। यह बिना दवाओं के दर्द को कम करने का एक प्राकृतिक तरीका है। खेल के दौरान लगी चोटों, फ्रैक्चर या किसी सर्जरी के बाद तेजी से ठीक होने में फिजियोथेरेपी बहुत मददगार है।
हालांकि फिजियोथेरेपी सस्ती पद्धति नहीं है साथ ही यह लंबे समय तक चलती है इसलिए व्यक्ति पर आर्थिक दबाव बढ़ता है। निजी संस्थानों में फिजियोथेरेपी के लिए प्रतिदिन 500 से 600 रुपए शुल्क के रूप में लिए जाते हैं। लेकिन, इंदौर के परदेशीपुरा क्षेत्र में कनकेश्वरी मंदिर (सफेद मंदिर) रोटरी क्लब के सहयोग से चेरिटेबल फिजियोथेरेपी सेंटर चलाया जा रहा है। यहां सिर्फ 100 रुपए में उपचार किया जाता है। यह केन्द्र उद्योगपति सर्वप्रिय बंसल की पत्नी स्व. श्रीमती अनिता बंसल की स्मृति में चलाया जा रहा है।
इस सेंटर की प्रमुख थेरेपिस्ट डॉ. किरण पाटीदार बताती हैं कि यह सेंटर 2013 से संचालित है और प्रतिदिन 35 से 40 लोग यहां फिजियोथेरेपी के लिए आते हैं। इस सेंटर पर अब तक 7 से 8 हजार लोग थेरेपी का लाभ उठा चुके हैं। डॉ. पाटीदार के मुताबिक इस सेंटर पर लंबे समय तक 30 रुपए ही फीस ली जाती थी। यहां पर अल्ट्रासाउंड, आईएफटी, ट्रेक्शन, एमएसटी, सिकाई वाली मशीन समेत अन्य जरूरी मशीनें हैं, जिनसे लोगों का उपचार किया जाता है। वे बताती हैं कि अल्ट्रासाउंड मशीन का सॉफ्ट इंजुरी, मसल्स प्रॉब्लम, बेक, सर्वाइल आदि शारीरिक समस्याओं में उपयोग किया जाता है। सर्वाइकल प्रॉब्लम, बेक प्रॉब्लम और शरीर लगी चोटों के फिजियोथेरेपी काफी उपयोगी है। अनिशा मेईया, मेघा जोहरी और ज्योति चोपदार भी यहां फिजियोथेरेपिस्ट के रूप में कार्यरत हैं।
क्यों जरूरी है फिजियोथेरेपी : डॉ. पाटीदार बताती हैं कि थेरेपी दर्द से राहत दिलाने के साथ ही मांसपेशियों की ताकत को भी बढ़ाती है। इससे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है, जिससे तेजी से रिकवरी होती है। इस थेरेपी से शारीरिक गतिशीलता में भी सुधार होता है। डॉ. किरण पाटीदार के मुताबिक समय पर फिजियोथेरेपी नहीं लेने से व्यक्ति को नुकसान भी हो सकता है। फ्रेक्चर की स्थिति में समय पर थेरेपी नहीं लेने से जॉइंट की गति में बाधा आना, मांसपेशियों का कमजोर होने के साथ ही कई अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं। फ्रोजन शोल्डर और सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटस में भी थेरेपी बहुत जरूरी है। उन्होंने बताया कि लकवा एक ऐसी बीमारी है, जिसमें फिजियो थेरेपी बहुत जरूरी है। यदि थेरेपी नहीं करवाते हैं तो शरीर का मूवमेंट पहले की तरह नहीं हो पाता है।
क्या करें : डॉ. पाटीदार बताती हैं कि यदि सर्वाइकल है तो बैठे-बैठे गर्दन और शोल्डर को रोटेट कर सकते हैं। बैठते समय इस बात का ध्यान रखें कि आगे की ओर न झुकें, लगातार एक घंटे से ज्यादा न बैठें। थोड़ा टहल लें ताकि बॉडी एक्टिव रहे। उन्होंने कहा कि सप्ताह में कम से कम एक बार एक्सरसाइज को गैप भी दिया जाना चाहिए।
कैसा हो हमारा खाना : हमें कैल्शियम से भरपूर डाइट लेनी चाहिए। फ्रूट, सलाद, दूध आदि को डाइट में शामिल करना चाहिए। ज्यादा जरूरी हो तो ही टेबलेट लेना चाहिए।