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Written By विशेष प्रतिनिधि
Last Modified: बुधवार, 10 नवंबर 2021 (14:26 IST)

हे सिस्टम काश! तुम भी मासूमों के साथ 'दफन' हो जाते ?

भोपाल में कमला नेहरू अस्पताल में हुए अग्निकांड में हर कदम पर सोता हुआ सिस्टम जिम्मेदार

हे सिस्टम काश! तुम भी मासूमों के साथ 'दफन' हो जाते ? - Sleeping system responsible at every step in Kamala Nehru Hospital fire in Bhopal
भोपाल के कमला नेहरू अस्पताल में हुए सिस्टम की लापवाही से हुए अग्निकांड में कई घरों के चिरागों को रोशन होने से पहले ही बुझा दिया है। सोते हुए सिस्टम ने असमय ही कई मासूमों को मौत की नींद में सुला दिया। अस्पताल में आग से बचाने के उपकरण काम नहीं कर रहे थे और हमारा सिस्टम सो रहा था। सिस्टम सो रहा था और जिन कंधों पर उनको जगाने की जिम्मेदारी थी वह भी कुंभकर्णी नींद में ही सो रहे थे। 
 
जिस सांसद को जनता अपने दुख-दर्द में मदद और सिस्टम में गुहार लगाने के लिए लिए ढूंढ़ती है, अपना सहारा समझती है, वह भोपाल सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर धर्म संस्कृति का ठेका लेकर फिल्मों से लेकर सांड़ों की नसबंदी पर तो आवाज उठाती है लेकिन कभी मासूमों की मौत के लिए जिम्मेदार सिस्टम को जगाने की जहमत नहीं उठाती नजर आती। 
 
अस्पताल में मामूली चिंगारी से भड़की आग के विकराल रूप लेने का कारण भी सिस्टम का सोते रहने था। कोरोना काल में सरकार ने अस्पताल में जिस सिस्टम के फुलप्रूफ होने का दावा किया था उसकी पोल उसी की नाक के नीचे ही खुल गई। हैरत तो इस बात की है कि सराकर भी सिस्टम के साथ खड़ी नजर आई जो मासूमों की मौत के लिए जिम्मेदारों पर कार्रवाई की जगह सम्मानित करने की बात कह कर ताली पिटती नजर आई। 
 
अस्पताल में आग के समय हाईड्रेंट बंद थे तो प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल में स्थित कमला नेहरू अस्पताल ने पिछले 15 सालों से फायर एनओसी लेने की जहमत तक नहीं उठाई। इसके साथ 8 मंजिला कमला नहेरू अस्पताल में आग के साथ किसी भी आपात स्थिति में बचाव के लिए कोई पर्याप्त इंतजाम नहीं थे।

अस्पताल के हर फ्लोर पर लगे फायर एक्सटींग्यूर महज शोपीस बनकर रखे थे और वह काम नहीं कर रहे थे लेकिन राजधानी में स्वास्थ्य विभाग से जुड़े सरकार के दो-दो मंत्रियों ने एक भी एक्शन नहीं लिया। सिस्टम सो रहा था जिसके चलते अस्पताल में अंधेरगर्दी चल रही थी। सिस्टम की  अंधेरगर्दी में लंबी मुरादों के बाद जिन मांओं की गोद में किलकारी गूंजी थी वह फिर सूनी हो गई।   
 
  
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