भोपाल। मध्यप्रदेश में शिवराज कैबिनेट के विस्तार को लेकर सस्पेंस खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले नामों की सूची लेकर दिल्ली गए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान वापस भोपाल लौट आए है, लेकिन कैबिनेट का विस्तार कब होगा अभी यह साफ नहीं हो सका हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ दिल्ली गए पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और संगठन महामंत्री सुहास भगत भी वापस भोपाल लौट आए हैं।
शिवराज कैबिनेट के इस बहुप्रतीक्षित मंत्रिमंडल विस्तार में दिग्गज चेहरों को फिर से मंत्री बनाए जाने और सिंधिया खेमे के नेताओं को पर्याप्त भागीदारी देने को लेकर पेंच फंसता नजर आ रहा हैं।
दिग्गजों को लेकर उलझा पेंच ! – शिवराज मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर सबसे बड़ा पेंच सीनियर विधायकों को फिर से मंत्री बनाने को लेकर फंसा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने मंत्रिमंडल के पुरान सहयोगियों गोपाल भार्गव,भूपेंद्र सिंह, राजेंद्र शुक्ल, रामपाल सिंह, संजय पाठक और विश्वास सांरग को फिर से अपनी कैबिनेट में शामिल करना चाहते है लेकिन पार्टी हाईकमान अब सरकार में नए चेहरों को लाने के पक्ष में है।
पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व अब सीनियर नेताओं के अनुभवों का लाभ संगठन में लेकर नई पीढ़ी के नेताओं को आगे लाने की रणनीति पर काम कर रहा है। नए और पुराने नामों को लेकर ही पेंच इस कदर फंसा हुआ है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने कार्यकाल के 100 दिन बाद भी अपने मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं कर पाए हैं।
पूर्व नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव पहले ही कह चुके हैं कि पार्टी को अपने सीनियर नेताओं के अनुभवों और जनाधार का फायदा लेना चाहिए। गोपाल भार्गव कहते हैं कि ऐसे नेता जिन्होंने पार्टी को खड़ा करने का काम किया है उनके अनुभवों का लाभ भी पार्टी को लेना चाहिए।
सिंधिया समर्थक को एडजस्ट करना बड़ी चुनौती – कैबिनेट में सिंधिया समर्थकों को भी एडजस्ट करना मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। जिन सिंधिया समर्थकों की बगावत के चलते प्रदेश में भाजपा सरकार बनने का रास्ता साफ हुआ था उनको अब बड़ी संख्या में मंत्रिमंडल में एडजस्ट करने का दबाव है। मार्च में कांग्रेस की विधायकी छोड़ने वाले 22 सिंधिया सर्मथक लंबे समय में मंत्री बनने की बाट जोह रहे हैं।
तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत को शिवराज कैबिनेट के गठन के साथ मंत्रिमंडल में जगह पा चुके हैं लेकिन कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे महेंद्र सिंह सिसोदिया, प्रद्युम्न सिंह तोमर, प्रभुराम चौधरी और इमरती देवी अब भी मंत्री बनने की कतार में शामिल है। इसके साथ कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए हरदीप सिंह डंग, एंदल सिंह कंसाना, बिसाहूलाल सिंह, राजवर्धन सिंह दत्तीगांव, कमलेश जाटव और रणवीर जाटव भी मंत्री बनने के दावेदार में शामिल है।
संवैधानिक प्रावधानों के तरह मध्यप्रदेश में मंत्रियों की संख्या 35 हो सकती है,वर्तमान में 5 मंत्री पहले से हैं और अब लगभग 30 और नए मंत्रियों को शामिल किया जा सकता है। ऐसे में जब इतना तय हैं कि मंत्रिमंडल में 10 के करीब सिंधिया समर्थकों को मंत्री बनाया जाना है तब भाजपा के कोट से नेताओं की दावेदारी अपने आप कम हो जाती है।
अब जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दो दिन दिल्ली में रहने के बाद पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से चर्चा कर वापस भोपाल लौट आए है तब देखना होगा कि वह अपने मंत्रिमंडल का स्वरूप कैसा रखते है और किन चेहरों को सिपाहसालार चुनते हैं।