मध्यप्रदेश के आगर मालवा जिले में स्थित नलखेड़ा में गोबर के गणेश की प्रतिमा सैकड़ों वर्षों से श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र है। एसी मान्यता है कि गोबर के यह गणेश अपने किसी भी भक्त को निराश नहीं करते।
राजा नल की नगरी नलखेड़ा में पांडवकालीन पीतांबरा सिद्धपीठ मां बगलामुखी का प्राचीन मंदिर होने से यह नगर देश सहित विदेशों में प्रसिद्धि प्राप्त कर रहा है। वहीं नगर के मध्य बीच चौराहे पर गणेश दरवाजा स्थित गणेश मंदिर में अत्यंत ही प्राचीन 10 फुट ऊंची गणपतिजी की प्रतिमा भी विराजमान है।
नगर के मुख्य द्वार पर इस प्रतिमा की स्थापना किसने की इसका उल्लेख तो कहीं नहीं मिलता है, परंतु पुरातत्ववेत्ताओं के अनुसार यह प्रतिमा 500 वर्ष से अधिक पुरानी होकर गोबर से निर्मित है। गोबर के श्रीगणेश की इस विशाल प्रतिमा के साथ-साथ आसपास रिद्धि-सिद्धि की प्रतिमाएं भी विराजित हैं। साथ ही प्रतिमा के पैरों के समीप मूषक बना हुआ है और गणेश के एक हाथ में लड्डू है।
कमल के फूल पर विराजित यह प्रतिमा श्रृंगार के बाद और भी आकर्षक लगती है। ऐसी मान्यता है कि गणपति किसी भी भक्त को निराश नहीं करते और सबकी मनोकामना पूर्ण करते हैं।
यूं तो हमेशा ही इन मंगलमूर्ति गणेश के दर्शन के लिए भक्तों का तांता रहता है, लेकिन गणेशोत्सव के दौरान भक्तों संख्या कुछ ज्यादा ही बढ़ जाती है। इस दौरान भगवान गणेश का मनोहारी श्रृंगार किया जाता है साथ ही आकर्षक विद्युत सज्जा अपनी अलग ही छटा बिखेरती है।