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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : शनिवार, 18 मार्च 2023 (14:25 IST)

महू कांड पर आमने-सामने कांग्रेस और भाजपा, पाटीदार और आदिवासी वोट बैंक को लेकर छिड़ी सियासी लड़ाई!

महू कांड पर आमने-सामने कांग्रेस और भाजपा, पाटीदार और आदिवासी वोट बैंक को लेकर छिड़ी सियासी लड़ाई! - Congress and BJP face to face on Mhow incident
भोपाल। इंदौर के महू में संदिग्ध परिस्थितियों में आदिवासी युवती की मौत औऱ उसके बाद पुलिस फायरिंग में आदिवासी युवक की मौत पर प्रदेश की सियासत गर्मा गई है। चुनावी साल में महू कांड के सियासी रंग लेने की वजह आदिवासी और पाटीदार समुदाय का पूरे मामले पर आमने सामने होना है। 6 महीने के बाद प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव और उसमें आदिवासी वोटरों के निर्णायक होने के चलते जहां कांग्रेस पूरे मुद्दे पर सरकार पर हमलावर है वहीं भाजपा पूरे मामले पर बैकफुट पर नजर आ रही है। 
 
महू में सियासी दलों का जमावड़ा-महू में शनिवार को सियासी दलों का जमावड़ा देखने को मिला। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने पुलिस फायरिंग में मारे गए आदिवासी युवक भेरूलाल और मृतक आदिवासी लड़की के परिजनों से मुलाकात की। तो दूसरी ओर भाजपा की राज्यसभा सांसद कविता पाटीदार और स्थानीय विधायक ऊषा ठाकुर भी पुलिस फायरिंग में मारे गए माधवपुरा के भेरूलाल के घर पहुंची और मृतक के पिता से मुलाकात की। कविता पाटीदार ने कहा कि सरकार पूरी तरह परिजनों के साथ खड़ी है और मुख्यमंत्री ने घटना की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश देने के साथ 10 लाख की सहायता दी।
 
महू में आदिवासी भेरूलाल के परिजनों से मुलाकात के बाद कमलनाथ ने प्रदेश सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि भाजपा सरकार ने पहले आदिवासी युवक को गोली मारी और फिर अब कुछ लाख रुपए से उनकी जान की कीमत लगा रही है। उन्होंने दोनों परिवारों को एक करोड़ रुपए की सहायता देने की मांग की। कमलनाथ ने कहा कि वह खुद आदिवासी इलाके से आते और पूरे प्रदेश में भाजपा सरकार आदिवासियो पर अत्याचार कर रही है। कमलनाथ ने आरोप लगाया कि महू में मृत आदिवासी युवक के परिजनों पर सरकार और प्रशासन दबाव बना रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस इसको लेकर पूरे प्रदेश में लडाई लड़ेगी और पीड़ित परिवार को न्याय दिला कर रहेंगे।
 
वहीं कमलनाथ ने कहा कि मुलाकात के दौरान आदिवासियों ने कहा कि प्रशासन ने केस कमजोर करने के लिए मृतक बालिका का अपमान किया है। भाजपा नेताओं के दबाव में प्रकरण कमजोर करने के लिए आदिवासी बालिका का नाम प्रशासन ने बदलकर पाटीदार उपनाम के साथ लिखा है। इसके साथ मृतक परिवार पर पुलिस लगातार नजर रख रही है और पीड़ित परिवार से मिलने आने वालों को डारने का प्रयास किया जा रहा है। 

आदिवासी बनाम पाटीदार सियासत की लड़ाई- महू कांड को लेकर अब मालवा-निमाड़ की सियासत आदिवासी बनाम पाटीदार में बदल गई है। संदिग्ध परिस्थितियों में आदिवासी युवती की मौत और पूरे मामले में पाटीदार समुदाय से आने वाले युवक पर एफआईआर होने से स्थानीय सियासत गर्मा गई है। पूरे मामले में आरोपी युवक यदुनंदन पाटीदार के खिलाफ कार्रवाई को लेकर पाटीदार समुदाय के लोगों में नाराजगी है। स्थानीय पाटीदार लोगों का दावा है कि मृतक लड़की का लंबे समय से यदुनंदन पाटीदार के घर आना जाना था। वहीं प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी विधानसभा में मृतक लड़की के आरोपी लड़के के साथ रहने की बात कही थी।
 
दरअसल पाटीदार समुदाय विधानसभा चुनाव में मालवा-निमाड़ में कई सीटों पर गेमचेंजर की भूमिका निभाता है। एक अनुमान के मुताबिक मालवा में पाटीदार वोटरों की संख्या 40 लाख से अधिक है और पिछले कई चुनावों से पाटीदार वोटर्स एक मुश्त भाजपा के साथ जाता रहा है। भाजपा ने मालवा-निमाड़ के पाटीदार वोट बैंक को साधने के लिए ही कविता पाटीदार को राज्यसभा भेजा है। ऐसे में प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार और संगठन विधानसभा चुनाव में होने वाले नफा-नुकसान को ध्यान मे रखते हुए पूरे मामले पर बहुत-बहुत फूंक कर कदम रख रही है।

वहीं दूसरी ओर मृतक लड़की के आदिवासी समुदाय से आने के चलते पूरे मामले पर आदिवासी सियासत भी गर्मा गई है। आदिवासी संगठन जयस औऱ कांग्रेस इस पूरे मामले पर काफी मुखर नजर आ रही है। दऱअसल मध्यप्रदेश में 230 विधानसभा सीटों में 47 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित है और करीब 80 सीटों पर आदिवासी वोट बैंक अपना सीधा प्रभाव रखते है। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मालवा-निमाड़ में आदिवासी वर्ग का बड़ा समर्थन मिला था ऐसे में कांग्रेस अब इस पूरे मामले पर सियासी माइलेज लेने में जुट गई है और महू को लेकर प्रदेश स्तर पर लड़ाई लड़ने के एलान के साथ आदिवासी परिवार के लिए इंसाफ की मांग की है। 
 
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