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Last Updated : बुधवार, 31 जनवरी 2024 (20:05 IST)

लोकसभा चुनाव तय करेंगे शिवराज सिंह चौहान का सियासी भविष्य?

लोकसभा चुनाव तय करेंगे शिवराज सिंह चौहान का सियासी भविष्य? - Will Lok Sabha elections decide the political future of Shivraj Singh Chauhan?
भोपाल। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान क्या लोकसभा चुनाव लड़ेंगे? 18 साल तक  मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान क्या अब मोदी सरकार में मंत्री बनेंगे? शिवराज सिंह चौहान की अब राजनीति में अगली भूमिका क्या होगी, यह सवाल अब हर नए दिन के बाद बड़ा होता जा रहा है। रविवार को भोपाल आए केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले से जब मीडिया ने शिवराज सिंह चौहान को भूमिका को लेकर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि शिवराज सिंह चौहान लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। इतना ही नहीं अठावले ने यह भी दावा किया है कि पीएम मोदी शिवराज सिंह चौहान को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल करेंगे।  

दरअसल मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत हासिल करने के बाद भी शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री नहीं बनाकर पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें एक तरह से हाशिए पर डाल दिया है। 18 साल तक मध्यप्रदेश की बागडोर संभालने वाले शिवराज सिंह चौहान को भले ही पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने अभी कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं सौंपी हो लेकिन वह लगाता अपने बयानों के कारण चर्चा में बने हुए है।  

भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने शिवराज सिंह चौहान को इन दिनों दक्षिण भारत के राज्यों में विकसित भारत संकल्प यात्रा की जिम्मेदारी सौंपी है जिसके तहत शिवराज अब तक केरल,तमिलनाडु का दौरा कर चुके है। सियासी गलियारों में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की तरफ से शिवराज सिंह चौहान को दक्षिण भारत भेजने के फैसले को उनको मध्यप्रदेश की राजनीति से दूर करने और सियासी तौर पर पार्टी में उनका कद कम करने के तौर पर देखा जा रहा है।

शिवराज की प्रेशर पॉलिटिक्स!- भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने भले ही शिवराज को मध्यप्रदेश की बागडोर ने सौंपकर उनका कद कम करने की कोशिश की तौर पर देखा जा रहा हो लेकिन शिवराज सिंह चौहान की लगातार प्रेशर पॉलिटिक्स जारी है। पिछले दिनों पुणे में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शिवराज सिंह चौहान ने कहा वह फॉर्मर चीफ मिनिस्टर, लेकिन अपन रिजेक्टेड नहीं हैं। शिवराज ने कहा कि मुझे कहा फॉर्मर चीफ मिनिस्टर, लेकिन अपन रिजेक्टेड नहीं हैं। अपन छोड़ के भी आए तो ऐसे आए कि हर जगह जनता का स्नेह और प्यार मिलता है। लोग मामा मामा करते है, यही अपनी असली दौलत है। छोड़ दिया इसका मतलब ये नहीं है कि राजनीति नहीं करुंगा।

वहीं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद अपने को नजरअंदाज करने पर एक कार्यक्रम में शिवराज ने तंज कसते हुए कहा कि कई लोग ऐसे होते हैं जो रंग देखते हैं। मुख्यमंत्री हैं तो बोलेंगे भाई साहब आपके चरण तो कमल के समान हैं, कर कमल हो जाते है, चरण कमल हो जाते है। कुर्सी से हटे तो होर्डिंग से फोटो ऐसे गायब करते हैं जैसे गधे के सिर से सींग।

मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री नहीं बन पाने और पार्टी में अपनी हुई अनदेखी की टीस शिवराज के बयानों से साफ नजर आती है। अपने गृहनगर बुधनी में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शिवराज ने कहा था कि कई बार  राजतिलक होते-होते वनवास भी हो जाता है,लेकिन वह किसी न किसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए होता है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का पद तो आ जा सकता है, लेकिन मामा और भाई का पद कभी कोई नहीं छीन सकता है। मामा आपके बीच ही रहेगा, यहां से कहीं नहीं जाएगा।

वहीं मुख्यमंत्री पद छोड़ने के बाद बुधनी पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री से एक बार फिर महिलाएं गले से लिपटकर रोने लगीं। इस दौरान शिवराज ने महिलाओं को ढांढस बंधाते हुए कहा कि वह उनके बीच ही रहेंगे और सरकार कोई भी योजना बंद नहीं करेगी।

वहीं मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद राजधानी भोपाल के 74 बंगले स्थित B-8 बंगले में शिफ्ट में हुए शिवराज ने अपने घर का नाम ‘मामा का घर’ रख लिया है। जहां पर वह लगातार लोगों से मिल रहे है। अपने बंगले का नाम ‘मामा का घर’ रखने का कारण बताते हुए शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि “पूरा प्रदेश मेरा परिवार है और परिवार के रिश्ते पदों से नहीं होते, वो दिल के रिश्ते होते हैं, आत्मा के रिश्ते होते हैं और दिल और आत्मा के रिश्ते पदों के साथ बदलते नहीं है। इसलिए भाई और बहन, भांजे- भांजियों से मेरा प्यार और विश्वास का रिश्ता है। इस रिश्ते की डोर कभी टूटेगी नहीं..!”