क्या होते हैं कुंडली के 12 भाव, कैसे करते हैं हमें प्रभावित...
जानिए कुंडली के बारह भाव...
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आचार्य संजय
विधि का विधान है कि मनुष्य जन्म पाकर मोक्ष तक पहुंचे अर्थात् प्रथम भाव से द्वादश भाव तक पहुंचे।
किसी भी मनुष्य के जीवनारंभ से लेकर मृत्यु तक जो भी सांसारिक अथवा जिन अन्य वस्तुओं आदि की आवश्यकता मनुष्य को पड़ती है उसका संबंध प्रथम (पहले) भाव से द्वादश (बारहवें) भाव से होता है।
मनुष्य के लिए संसार में सबसे पहली घटना उसका इस पृथ्वी पर जन्म है, इसीलिए प्रथम भाव जन्म भाव कहलाता है। जन्म लेने पर जो वस्तुएं मनुष्य को प्राप्त होती हैं उन सब वस्तुओं का विचार अथवा संबंध प्रथम भाव से होता है जैसे- रंग-रूप, कद, जाति, जन्म स्थान तथा जन्म समय की बातें।