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Written By भाषा
Last Modified: बारबडोस (भाषा) , सोमवार, 4 जून 2007 (03:42 IST)

कसौटी पर खतरे उतरे माहेला

कसौटी पर खतरे उतरे माहेला -
दीनागामेगे प्रबोथ महेला डि सिल्वा जयवर्द्धने उर्फ माहेला जयवर्द्धने का नाम भले ही काफी पेचीदा हो, लेकिन क्रिकेट को लेकर उनका रूख उतना ही सरल है और मौजूदा विश्व कप में कप्तान के तौर पर कई कसौटियों पर कसकर वह और निखर गए हैं।

मर्वन अट्टापटु से पिछले साल जब उन्होंने कप्तानी की बागडोर संभाली तो आशंका जताई जा रही थी कि कप्तानी के बोझ तले उनके भीतर का आक्रामक बल्लेबाज कहीं मर जाएगा, लेकिन इंग्लैंड के खिलाफ 5-0 से श्रृंखला जीतकर उन्होंने तमाम आशंकाओं को निर्मूल साबित कर दिया।

उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ कोलंबो में 374 रन की यादगार पारी खेलकर श्रीलंका की ओर से नया रिकार्ड भी बनाया। उन्होंने और कुमार संगकारा ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में तीसरे विकेट के लिये 624 रन की रिकॉर्ड साझेदारी की।

29 बरस के जयवर्द्धने ने जब कैरेबियाई सरजमीं पर कदम रखा तो विश्व कप में एक बल्लेबाज के तौर पर भी उन्हें बहुत कुछ साबित करना था। वह 2003 विश्व कप की सात पारियों में महज 21 रन बना सके, जिससे चयनकर्ताओं ने उन्हें टीम से बाहर कर दिया।

इस बार हालात एकदम उलट हैं। अब तक दस मैचों में वह 529 रन बनाकर दूसरे सबसे कामयाब बल्लेबाज हैं। सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के खिलाफ 115 रन की उनकी पारी कौन भूल सकता है।

जयवर्द्धने ने अपनी कामयाबी का श्रेय कोच टॉम मूडी और कप्तानी की जिम्मेदारी को दिया। उन्होंने कहा मैं पिछले दो साल में मानसिक रूप से अधिक मजबूत हो गया हूँ।

उन्होंने कहा कप्तानी से मुझे काफी मदद मिली और टॉम ने मुझे मानसिक मजबूती दी। वह किसी को भी हालात के आगे घुटने टेकते नहीं देख सकता। उसने मुझे जुझारूपन सिखाया और मैने उसके निर्देशों पर अमल किया।

विश्व कप 2003 की नाकामी के बाद टीम से बाहर किये गए जयवर्द्धने ने अपना संयम नहीं खोते हुए वापसी की। अरविंद डिसिल्वा के संन्यास लेने के बाद वह चौथे नंबर पर बल्लेबाजी करने लगे। अटापट्टू की फिटनेस समस्याओं के कारण उन्हें पिछले साल इंग्लैंड दौरे पर कप्तान बनाया गया।

जयवर्द्धने में अपने खिलाड़ियों का साथ देने का शउर भी जबर्दस्त है़, जिन्होंने तमाम आलोचनाओं के बावजूद उपुल थरंगा से पारी की शुरुआत कराई। थरंगा भी कप्तान के भरोसे पर खरे उतरते हुए फॉर्म में लौट आए। यही एक अच्छे कप्तान के लक्षण भी है जो प्रतिभा की पहचान करके प्रतिकूल परिस्थितियों में भी उस पर विश्वास कायम रखे।