नई दिल्ली। ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज स्टीव स्मिथ और डेविड वॉर्नर पर बॉल टैम्परिंग के कारण लगे 1-1 साल के प्रतिबंध पर क्रिकेट जगत बंट गया है। कुछ लोग इस सजा को सही ठहरा रहे हैं जबकि कई पूर्व क्रिकेटरों का मानना है कि इन खिलाड़ियों को सख्त सजा दी गई है।
क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया (सीए) ने अपने कप्तान स्मिथ और उपकप्तान वॉर्नर को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ केपटाउन में तीसरे टेस्ट में बॉल टैम्परिंग के लिए दोषी पाया और उन पर 1-1 साल का प्रतिबंध लगा दिया। सीए ने इसके साथ ही टैम्परिंग में शामिल तीसरे खिलाड़ी कैमरन बेनक्राफ्ट पर 9 महीने का प्रतिबंध लगाया।
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने इससे पहले स्मिथ पर 1 टेस्ट का प्रतिबंध, 100 फीसदी मैच फीस और 4 डीमेरिट प्वॉइंट का जुर्माना लगाया था जबकि बेनक्रॉफ्ट पर 75 फीसदी मैच फीस और 3 डीमेरिट अंक का जुर्माना लगाया था। आईसीसी ने वॉर्नर पर कोई जुर्माना नहीं लगाया था।
तीनों खिलाड़ियों ने स्वदेश लौटने पर अपनी गलती के लिए पूरे देश से माफी मांग ली। स्मिथ के आंसुओं में डूबे चेहरे की तस्वीर दुनियाभर के अखबारों में छपी और इस तस्वीर ने कई क्रिकेटरों को इतना द्रवित कर दिया कि उन्होंने इस सजा को जरूरत से ज्यादा कह डाला।
भारत के दिग्गज क्रिकेटरों सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, गौतम गंभीर, रविचंद्रन अश्विन, रोहित शर्मा, आकाश चोपड़ा ने इन खिलाड़ियों पर सजा को अत्यधिक बताया जबकि इंग्लिश मीडिया ने स्मिथ के रोने का मजाक बना डाला। ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज लेग स्पिनर शेन वार्न और ऑस्ट्रेलियन प्लेयर्स एसोसिएशन ने सीए की सजा पर सवाल उठाते हुए अपने इन खिलाड़ियों का बचाव किया।
मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने क्रिकेट बिरादरी से अपील करते हुए कहा कि इन खिलाड़ियों को कुछ समय के लिए अकेला छोड़ देना चाहिए और इन्हें समय देना चाहिए। इन्हें पछतावा है और वे बहुत दु:खी हैं।
गंभीर ने तो इन खिलाड़ियों की सजा को इनकी वेतन बढ़ाने की मांग के साथ जोड़ते हुए कहा कि क्या इन्हें इस बगावत की सजा मिली है। गंभीर ने साथ ही कहा 'स्मिथ को धोखेबाज नहीं कहा जा सकता। उन्हें दी गई कड़ी सजा पर मुझे काफी अफसोस है। क्या उन्हें सीए के खिलाफ आवाज उठाने की सजा मिली है।'
आईपीएल में मुंबई इंडियन्स टीम के कप्तान रोहित शर्मा का कहना है कि इस घटना से इन खिलाड़ियों को किसी शब्द के रूप में परिभाषित नहीं किया जाना चाहिए। गंभीर और रोहित दोनों ने स्मिथ को सुरक्षाकर्मियों के घेरे में ले जाने पर भी आपत्ति उठाते हुए कहा कि क्या ये कोई अपराधी हैं, जो इन्हें इस तरह ले जाया रहा है।
पूर्व भारतीय ओपनर आकाश ने भी कहा कि इन खिलाड़ियों को बेहद कड़ी सजा दी गई है। आकाश ने कहा कि इस मामले में आईसीसी ने अपनी सज़ा सुना दी थी, जिसके बाद सीए की इतनी कड़ी सजा की जरूरत नहीं थी।
अश्विन ने कहा 'दुनिया आपको रोते हुये देखना चाहती थी और आपके आंसुओं को देखकर अब सब संतुष्ट हो गए होंगे। संवेदना यदि एक शब्द नहीं और लोगों में यह अभी भी बाकी है तो वे इन खिलाड़ियों के प्रति व्यक्त करें। ईश्वर इन तीनों खिलाड़ियों को इस दु:ख से बाहर निकलने की ताकत दे।'
वहीं ऑस्ट्रेलिया के पूर्व लेग स्पिनर वार्न ने भी तीनों हमवतन खिलाड़ियों का समर्थन किया है और कहा कि इनका अपराध इतना भी बड़ा नहीं कि उसके लिए इतनी बड़ी और सख्त सजा दी जाए। ऑस्ट्रेलियन क्रिकेटर्स एसोसिएशन ने माना कि इन खिलाड़ियों ने गंभीर गलती की लेकिन एसोसिएशन ने सीए की इन्हें सजा देने की प्रक्रिया पर ही सवाल उठा दिया है।
दूसरी ओर पूर्व अंतरराष्ट्रीय भारतीय अंपायर एस के बंसल ने सीए के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि आईसीसी के अलग मापदंड हैं और सीए के अलग। इन खिलाड़ियों को यह पता होना चाहिए कि बेइज्जती किसकी हुई है। उनके मुल्क की हुई है और यही कारण है कि उन्हें एक-एक साल के प्रतिबंध की सज़ा दी गई है, जिससे दुनिया के दूसरे खिलाड़ियों में सीधा संदेश जाएगा कि यदि आप ऐसा करोगे तो सख्त परिणाम भुगतना होगा।
ऑस्ट्रेलिया के इन दागदार क्रिकेटरों को उनकी स्वीकारोक्ति के बाद दुनियाभर से समर्थन मिल रहा है लेकिन एशेज में ऑस्ट्रेलिया के प्रबल प्रतिद्वंद्वी इंग्लैंड के अखबारों ने इस मामले में दूसरा ही रवैया अपनाया है।
'डेली मेल' के खेल पन्ने की हैडिंग 'कैप्टन क्राई बेबी'। डेली स्टार ने हैडिंग दी 'ऑस्ट्रेलियाई धोखेबाजों का शर्मनाक रोना'। डेली एक्सप्रेस ने 'ब्रोकन' हैडिंग दिया जबकि 'इंडिपेंडेंट' ने लिखा 'आंसू, झूठ और अलविदा।' (वार्ता)