कोलकाता:भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष सौरव गांगुली ने भारतीय टेस्ट टीम के कप्तान विराट कोहली के बीसीसीआई की ओर से उन्हें वनडे कप्तानी से हटाए जाने के बयान के एक दिन बाद गुरुवार को कहा कि बोर्ड मौजूदा स्थिति से उचित तरीके से निपटेगा।
अधिकारियों को बयान ना देने की हिदायतगांगुली ने हालांकि पत्रकारों के लगातार प्रश्नों के बावजूद इस मुद्दे में कोई बयान देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, “ मेरी कोई टिप्पणी नहीं है। मैं केवल यह कहूंगा कि हम इससे उचित तरीके से निपटेंगे। बीसीसीआई दक्षिण अफ्रीका दौरे पर जाने से पूर्व मुंबई में किए गए संवाददाता सम्मेलन के दौरान विराट के दावे कि उन्हें राष्ट्रीय चयनकर्ताओं से वनडे कप्तानी से हटाए जाने के बारे में पता चला था, को लेकर न तो कोई बयान जारी करेगा और न ही कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगा। ” दरअसल विराट ने दावा किया था कि बीसीसीआई द्वारा दक्षिण अफ्रीका दौरे के लिए टेस्ट टीम की घोषणा करने से महज डेढ़ घंटे पहले चयनकर्ताओं ने उन्हें वनडे कप्तानी से हटाए जाने के बारे में बताया था।
बीसीसीआई अध्यक्ष ने इस सवाल का जवाब देने से भी परहेज किया कि क्या विराट की टिप्पणियों ने भारतीय टीम और भारतीय क्रिकेट को शर्मिंदा किया है। उन्होंने कहा कि इसे बीसीसीआई पर छोड़ दीजिए, हम इससे निपटेंगे। उल्लेखनीय है कि गांगुली ने इससे पहले दावा किया था कि उन्होंने और चयन पैनल के अध्यक्ष चेतन शर्मा दोनों ने रोहित शर्मा को नया वनडे कप्तान बनाए जाने के फैसले के बारे में विराट से बात की थी, जबकि विराट का कहना है कि उनसे सलाह-मशविरा नहीं किया गया था ।
टेस्ट कप्तान विराट ने इस बात से भी इनकार किया है कि उन्हें बोर्ड ने टी-20 कप्तानी न छोड़ने के लिए कहा था। उन्होंने बुधवार को संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा था, “ जब मैंने बीसीसीआई से कहा कि मैं टी-20 कप्तानी छोड़ना चाहता हूं तो मुझे इस पुनर्विचार करने के बजाय इसे अच्छी तरह से स्वीकार किया गया था। कोई हिचक नहीं थी। मुझे कहा गया कि यह एक अच्छा कदम है। मैंने उस समय बताया था कि मैं वनडे और टेस्ट क्रिकेट में टीम नेतृत्व करना चाहूंगा। मेरी तरफ से बातचीत स्पष्ट थी और साथ ही मैंने यह भी सूचना दी थी कि अगर पदाधिकारियों और चयनकर्ताओं को नहीं लगता कि मुझे अन्य प्रारूपों में नेतृत्व करना चाहिए तो यह ठीक है। ”
वहीं सौरव गांगुली का दावा है कि बीसीसीआई और चयन समिति की ओर से विराट को टी-20 कप्तानी न छोड़ने के लिए कहा गया था।
विराट के बयान पर प्रज्ञान का कटाक्षपूर्व भारतीय क्रिकेटर एवं आईपीएल गवर्निंग काउंसिल में इंडियन क्रिकेटर्स एसोसिएशन (आईसीए) के प्रतिनिधि प्रज्ञान ओझा ने भारतीय टेस्ट कप्तान विराट कोहली के वनडे कप्तानी को लेकर सार्वजनिक बयान पर अप्रत्यक्ष तरीके से कटाक्ष किया है।
प्रज्ञान ने गुरुवार को कहा, “ एक अच्छा शेफ जानता है कि क्या दिखाना है और क्या नहीं, जब वह एक स्वादिष्ट व्यंजन तैयार करने की कोशिश कर रहा है। इस तरह रसोई और रेस्टोरेंट की प्रतिष्ठा उसी के हाथ में है। ”
प्रज्ञान के इस सुझाव को विराट के लिए माना जा सकता है। यह भी कहा जा सकता है कि यह प्रज्ञान की विराट को सलाह है कि वह वनडे कप्तानी से हटाए जाने और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ वनडे सीरीज के लिए उपलब्धता के सवालों के जवाब में सही शब्दों का चयन कर सकते थे।
विराट ने बीसीसीआई पर लगाई थी आरोपों की झड़ीदक्षिण अफ़्रीका दौरे से पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस में बुधवार को टेस्ट कप्तान विराट ने कहा , "आठ दिसंबर को मुख्य चयनकर्ता ने पहले मुझसे टेस्ट टीम के बारे में विमर्श किया। उसके बाद उन्होंने मुझे जानकारी दी कि मैं अब वनडे कप्तान नहीं हूं और यह पांचों चयनकर्ताओं का फ़ैसला था । मैंने भी 'ओके फ़ाइन' कहके उनका जवाब दिया। बस उस दिन यही हुआ था। इसके पहले मुझसे इस बारे में कोई चर्चा नहीं हुई थी।"
दक्षिण अफ्रीका सीरीज के लिए हूं उपलब्ध- विराटवनडे सीरीज़ के लिए अनुपलब्ध रहने की बात पर विराट ने कहा कि यह सब झूठ है। वह हमेशा से उपलब्ध थे। उन्होंने कहा, "आप लोगों को मुझसे नहीं उनसे यह सवाल करना चाहिए, जो अपने सोर्स के हवाले से ऐसी ख़बरें लिख रहे थे। मेरी बीसीसीआई से भी इस बारे में कोई बात नहीं हुई थी कि मैं आराम चाहता हूं। जो लोग ऐसी रिपोर्ट लिख रहे थे, वे विश्वसनीय नहीं हैं। मैं दक्षिण अफ़्रीका दौरे के वनडे मैचों के लिए भी उपलब्ध हूं और हमेशा से ही भारत के लिए खेलना चाहता हूं।"
विराट ने साथ ही कहा ,'जब मैंने टी 20 कप्तानी छोड़ने का फैसला किया था और बीसीसीआई से अपने फैसले को लेकर संपर्क किया था तो मेरे फैसले का स्वागत किया गया। ' उन्होंने कहा कि मुझसे अपने फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए नहीं कहा गया था।
टेस्ट कप्तान ने स्पष्ट किया कि विश्व कप से ठीक पहले टी 20 की कप्तानी छोड़ने का स्वागत किया गया था और बीसीसीआई के शीर्ष अधिकारियों ने इसे प्रगतिशील फैसला बताया था। विराट के ये शब्द बोर्ड अध्यक्ष सौरव गांगुली के शब्दों के ठीक विपरीत थे जिसमें गांगुली ने विराट को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए कहा था।