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Last Modified: गुरुवार, 24 दिसंबर 2020 (18:43 IST)

"नटराजन और अश्विन से अन्याय क्यों?" गावस्कर ने साधा विराट पर निशाना

भारत के लिटिल मास्टर माने जाने वाले पूर्व भारतीय सलामी बल्लेबाज सुनील गावस्कर अपने बयानों के लिए सुर्खियों में बने रहते हैं। वह बेबाकी से अपनी राय रखते हैं और कभी भी टीम इंडिया की आलोचना करने में पीछे नहीं रहते।
 
आज उन्होंने भारतीय क्रिकेट के दोहरे मापदंड पर कटाक्ष किया, जिससे ट्विटर पर हड़कंप मच गया। सुनील गावस्कर ने कहा है कि दो खिलाड़ियों के लिए अलग नियम बनाए गए हैं। जहां एक ओर कप्तान विराट कोहली को पहले टेस्ट के बाद पितृत्व अवकाश मिल गया। वहीं दूसरी ओर आईपीएल 2020 की खोज रहे बाएं हाथ के तेज गेंदबाज टी नटराजन तो अभी पिता बने हैं फिर भी उन्हें अवकाश नहीं दिया गया।
 
उनके इस बयान के बाद मानो ट्विटर पर लकीर खिंच गई। एक खेमा सुनील गावस्कर के पक्ष में हो गया तो एक खेमा विराट कोहली के पक्ष में। 
 
गौरतलब है कि  टी नटराजन टेस्ट टीम में शामिल ही नहीं है। टी नटराजन को टीम नेट गेंदबाज के रूप में इस्तमाल कर रही है। इस पर गावस्कर ने आपत्ति दर्ज करवायी।
 
उन्होंने कहा एक मैच विनर गेंदबाज को टेस्ट में नेट के लिए उपयोग में लाया जाता है। वह सीरीज के बाद ही अपने बच्चे से मिल पाएंगे। लेकिन कप्तान को पहले टेस्ट के बाद ही पितृत्व अवकाश मिल जाता है। यह भारतीय क्रिकेट है। अलग खिलाड़ी के लिए अलग नियम।
 
हालांकि इस पर विराट कोहली के फैंस का यह कहना था कि विराट खुद को साबित कर चुके हैं इसलिए वह इस सहूलियत के हकदार हैं। वहीं टी नटराजन को अभी अपना नाम बनना है और उनकी बच्ची का जन्म आईपीएल प्ले ऑफ के समय हो गया था। पत्नी को डिलीवरी के पहले पति की ज्यादा जरुरत होती है।
 
गावस्कर ने सिर्फ नटराजन के लिए ही नहीं, अश्विन पर हो रहे तथाकथित अन्याय पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने यह कहा कि आर अश्विन को टीम मीटिंग्स में अपनी राय रखने का दंड भुगतना पड़ा है। जहां ज्यादातर खिलाड़ी बस हां में हां मिलाते हैं। अश्विन 350 विकेट ले चुके हैं और 4 टेस्ट शतक जड़ चुके हैं। फिर भी अगर वह किसी टेस्ट में विकटों का ढेर नहीं निकालेंगे तो उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा। यह नियम उस बल्लेबाज पर क्यों नहीं लागू होता जो लगातार सस्ते में आउट हो रहा है। 
 
यह कुछ और नहीं सीधे सीधे विराट कोहली पर निशाना है जो गावस्कर अक्सर करते आए हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि अगर भारतीय क्रिकेट में ऐसा है भी तो बोर्ड गावस्कर के बयान को कितना तवज्जो देती है। (वेबदुनिया डेस्क)
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