कोहली की नहीं मानी ICC ने, जारी रहेगा रिव्यू में 'अंपायर्स कॉल' का पेंच
दुबई:भारतीय कप्तान विराट कोहली के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में ' अंपायर कॉल ' के नियम के विरोध के बावजूद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की क्रिकेट समिति ने डीआरएस के ' अंपायर कॉल ' नियम को बरकरार रखने की सिफारिश की है। आईसीसी की मुख्य कार्यकारी समिति की आगामी सप्ताह निर्धारित वर्चुअल बैठक में इस सिफारिश को पेश किया जाएगा।
जानकारी के मुताबिक क्रिकेट समिति की मार्च के शुरुआत में हुई वर्चुअल बैठक में समिति के सदस्यों ने खिलाड़ियों और प्रशंसकों सहित क्रिकेट के सभी हितधारकों को अंपायर कॉल के नियम और इसके संचालन के बारे में बेहतर तरीके से समझाने की बात पर जोर दिया था।
भारतीय कप्तान सोमवार को पुणे में एक बयान में यह कहते-कहते रुक गए थे कि अंपायर कॉल के नियम को खेल से हटा देना चाहिए, लेकिन उन्होंने साथ ही यह कहा था कि इस नियम पर दोबारा से ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि इससे काफी उलझनें पैदा हाे रही हैं। उनके मुताबिक इस बात पर कोई बहस नहीं होनी चाहिए कि बॉल स्टंप्स को कितना हिट करेगी।
विराट ने कहा था, '' मैं तब से क्रिकेट खेल रहा हूं जब कोई डीआरएस नहीं था। यदि अंपायर ने कोई फैसला किया है चाहे बल्लेबाज उसे पसंद करे या न करे, यह बना रहता है और यदि अंपायर किसी को नाॅट आउट देता है तो फिर यह मायने नहीं रखता कि वह थोड़े अंतर से है या ज्यादा से। क्रिकेट के आम समझ के नजरिए से मुझे नहीं लगता कि इस पर काेई बहस होनी चाहिए। यदि बॉल स्टंप्स को छूते हुए निकल रही है तो बल्लेबाज को आउट होना चाहिए। चाहे आपको यह पसंद आए या न आए। ''
पूर्व भारतीय कप्तान अनिल कुंबले के नेतृत्व और एंड्रयू स्ट्रॉस, राहुल द्रविड़, माहेला जयवर्धने और शॉन पोलाॅक जैसे पूर्व अंतरराष्ट्रीय कप्तानों, मैच रेफरी रंजन मदुगले, अंपायर रिचर्ड इलिंगवॉर्थ और मिकी आर्थर की मौजूदगी वाली क्रिकेट समिति ने अन्य मैच अधिकारियों, प्रसारकों और बॉल-ट्रैकिंग प्रौद्योगिकी आपूर्तिकर्ता ' हॉक-आई ' से इस बारे में सुझाव लिए हैं और थोड़ी बहस के बाद समिति ने फैसला किया है कि अंपायर कॉल नियम को बने रहना चाहिए, क्योंकि यह माना गया है कि बॉल-ट्रैकिंग तकनीक 100 फीसदी सही नहीं हो सकती।
मौजूदा नियमों के मुताबिक बल्लेबाज के पगबाधा को लेकर दिये गये अंपायर के फैसले पर गेंदबाजी टीम की डीआरएस के दौरान गेंद का कम से कम 50 प्रतिशत हिस्सा तीनों स्टंप्स में से किसी एक से टकराना चाहिये। ऐसा नहीं होने पर अंपायर्स कॉल मान्य होता है।
हाल ही में इस नियम की आलोचना करने पर विराट कोहली सुर्खियों में आए थे। उन्होंने कहा था कि अंपायर्स कॉल के कारक से दुविधा की स्थिती बनी रहती है। खासकर अगर अंपायर का फैसला पगबाधा के लिए हो तो। ऐसी स्थिती में इस फैसले की गाज बल्लेबाज या गेंदबाज किसी पर भी गिर सकती है। अंपायर्स कॉल की स्थिती में अंतिम फैसला मैदानी अंपायर का माना जाता है लेकिन रिव्यू रिटेन रहता है।
कोहली ने इस पर कहा था कि अगर गेंद हल्की सी भी स्टंप पर लग रही हो तो उसे आउट करार देना चाहिए। लेकिन आईसीसी की समिति ने आज जो प्रस्ताव पेश किया है उससे तो यही लग रहा है कि रिव्यू सिस्टम में अंपायर्स कॉल की यथा स्थिती बनी रहेगी।