मंगलवार, 5 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. खेल-संसार
  2. क्रिकेट
  3. समाचार
  4. Adil Rashid
Written By
Last Updated : शुक्रवार, 17 मई 2019 (19:33 IST)

विश्व कप में तेज गेंदबाजों का ही रहेगा दबदबा, राशिद के प्रदर्शन से स्पिनर ले सकते हैं प्रेरणा

Adil Rashid। विश्व कप में तेज गेंदबाजों का ही रहेगा दबदबा, राशिद के प्रदर्शन से स्पिनर ले सकते हैं प्रेरणा - Adil Rashid
नई दिल्ली। इंग्लैंड में अब तक जो 4 विश्व कप खेले गए उनमें पूरी तरह से तेज गेंदबाज हावी रहे। इंग्लैंड में पिछले 5 वर्षों में जो 65 एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच खेले गए, उनमें भी तेज गेंदबाजों की तूती बोली है।
 
ऐसे हालात में यह तय है कि 30 मई से शुरू होने वाले विश्व कप में तेज गेंदबाजों का ही दबदबा रहेगा लेकिन स्पिनरों को इससे निराश नहीं होना चाहिए और वे इंग्लैंड के लेग स्पिनर आदिल राशिद के पिछले 5 वर्षों के प्रदर्शन से प्रेरणा लेकर खुद को प्रतिकूल परिस्थितियों में साबित करने की कोशिश कर सकते हैं।
 
इंग्लैंड में पहले 3 (1975, 1979 और 1983) तथा 1999 में विश्व कप का आयोजन किया गया था। इनमें इंग्लैंड में खेले गए 94 मैचों में विभिन्न टीमों ने 218 तेज या मध्यम गति के गेंदबाजों का उपयोग किया जिसमें उन्होंने 1,043 विकेट लिए। इसके विपरीत इतने ही मैचों में 114 स्पिनरों को गेंद सौंपी गई जिनमें उन्होंने केवल 163 विकेट हासिल किए।
 
पिछले 5 वर्षों के रिकॉर्ड पर गौर करें, तो इंग्लैंड की धरती पर स्पिनरों की स्थिति में थोड़ा सुधार हुआ है। इन 5 वर्षों में इंग्लैंड में 65 मैच खेले गए जिनमें कुल 802 विकेट गेंदबाजों ने लिए। इनमें से 113 तेज गेंदबाजों ने 564 और 77 स्पिनरों ने 238 विकेट हासिल किए।
 
भारतीय टीम स्पिन विभाग में मुख्य रूप से कलाई के 2 स्पिनरों युजवेंद्र चहल और कुलदीप यादव पर निर्भर है और इन दोनों के लिए यह प्रेरणादायी आंकड़ा हो सकता है कि पिछले 5 वर्षों में इंग्लैंड की सरजमीं पर सर्वाधिक 70 विकेट लेग स्पिनर राशिद ने लिए हैं। राशिद ने हालांकि इसके लिए 42 मैच खेले।
 
कुलदीप ने पिछले साल इंग्लैंड में 3 वनडे मैच खेले थे जिसमें उन्होंने 9 विकेट लिए थे। चहल भी 3 मैचों में खेले थे लेकिन उन्हें 2 ही विकेट मिले थे। इंग्लैंड की धरती पर भारत ने हालांकि जो 74 मैच खेले हैं, उनमें उसने 41 स्पिनर आजमाए जिन्होंने 138 विकेट लिए। इनमें रवीन्द्र जडेजा (17 मैचों में 27 विकेट) सबसे सफल रहे हैं और वह भारतीय विश्व कप टीम का हिस्सा है।
 
भारत ने इन 74 मैचों में 50 तेज गेंदबाज आजमाए जिन्होंने 314 विकेट लिए। इससे साफ होता है कि एक समय स्पिनरों पर निर्भर रहने वाली भारतीय टीम का भी इंग्लैंड में तेज गेंदबाजों पर अधिक भरोसा रहा। ऐसे में क्या चयनकर्ताओं की 3 मुख्य तेज गेंदबाजों के साथ विश्व कप में जाने रणनीति सही साबित होगी।
 
भारत ने अपनी टीम में जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी और भुवनेश्वर कुमार के रूप में 3 विशेषज्ञ तेज गेंदबाज ही चुने हैं। ऑलराउंडर हार्दिक पांड्या और विजय शंकर उनकी मदद करेंगे लेकिन पूर्व सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर का मानना है कि टीम में एक और विशेषज्ञ तेज गेंदबाज होना चाहिए था।
 
गंभीर ने हाल में कहा था कि आप कह सकते हैं कि हरफनमौला हार्दिक पांड्या और विजय शंकर कमी पूरी कर सकते हैं लेकिन मैं आश्वस्त नहीं हूं। आखिर में टीम संयोजन सही रखना अहम है।
 
भारत ने 1983 में जब विश्व कप जीता था, तो उसके तेज गेंदबाजों ने उसमें अहम भूमिका निभाई थी। भारतीय गेंदबाजों ने कुल 68 विकेट लिए जिनमें से 63 विकेट तेज व मध्यम गति के गेंदबाजों ने हासिल किए थे।

रोजर बिन्नी ने तब रिकॉर्ड 18 विकेट लिए थे। उनके बाद मदन लाल (17 विकेट), कपिल देव (12 विकेट), मोहिंदर अमरनाथ और बलविंदर सिंह संधू (दोनों 8-8 विकेट) का नंबर आता है। 
ये भी पढ़ें
World Cup कमेंटेटर पैनल में सौरव गांगुली, संजय मांजरेकर और हर्ष भोगले