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Last Modified: रविवार, 6 फ़रवरी 2022 (20:44 IST)

इंदौर में लता के 7600 दुर्लभ ग्रामोफोन रिकॉर्ड सहेजने वाला प्रशंसक शोक में

इंदौर में लता के 7600 दुर्लभ ग्रामोफोन रिकॉर्ड सहेजने वाला प्रशंसक शोक में - Lata Mangeshkar's fan mourns in Indore
इंदौर (मध्यप्रदेश)। स्वर कोलिला के रूप में मशहूर महान गायिका लता मंगेशकर के गीतों के 7600 दुर्लभ ग्रामोफोन रिकॉर्ड सहेजकर उनके नाम पर इंदौर में संग्रहालय बनाने वाले सुमन चौरसिया रविवार को उनके निधन के बाद शोक में डूब गए।

चौरसिया (69) ने कहा, अपना दु:ख बयान करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। वसंत पंचमी के अगले दिन लता दीदी के निधन से मुझ जैसे लाखों संगीतप्रेमियों के मन को गहरा धक्का लगा है।

उन्होंने बताया कि मंगेशकर के जीवनकाल में वे उनसे कई बार मिले थे। चौरसिया ने बताया, मेरी वर्ष 2019 में लता दीदी से आखिरी बार मुलाकात हुई थी। इसके बाद कोरोनावायरस के प्रकोप के चलते मैं उनसे नहीं मिल सका।

चौरसिया ने बताया कि उन्होंने मंगेशकर के गीतों के ग्रामोफोन रिकॉर्ड वर्ष 1965 से सहेजने शुरू किए थे। उन्होंने बताया, फिलहाल मेरे पास ऐसे करीब 7600 ग्रामोफोन रिकॉर्ड का संग्रह है जो लता दीदी ने 32 देशी-विदेशी भाषाओं और बोलियों में गाए हैं। इनमें उनके कई दुर्लभ गीत भी हैं।

चौरसिया ने बताया कि वर्ष 2008 में उन्होंने इस संग्रह को व्यवस्थित करने के लिए संग्रहालय का रूप दे दिया था और इसे नाम दिया था- 'लता दीनानाथ मंगेशकर ग्रामोफोन रिकॉर्ड संग्रहालय'। चौरसिया ने बताया कि उनके पास मंगेशकर के गीतों का जो संग्रह है, उसमें वर्ष 1946 में परदे पर उतरी हिन्दी फिल्म 'जीवन यात्रा' का गीत 'चिड़िया बोले चूं-चूं-चूं' शामिल है।

उन्होंने बताया कि उनके संग्रह में श्रीलंका में बोली जाने वाली सिंहली भाषा में मंगेशकर का गाया गीत भी है।
शहर के पिगडंबर इलाके में 1,600 वर्गफुट पर बने संग्रहालय में मंगेशकर के गीतों के अलावा उनके जीवन से जुड़ी तस्वीरें और उन पर लिखी किताबें भी सहेजी गई हैं। इंदौर में 28 सितंबर 1929 को जन्मीं लता मंगेशकर का मुंबई के एक अस्पताल में रविवार को 92 साल की उम्र में निधन हो गया।

पार्श्व गायन की दुनिया में उनका सफर वर्ष 1942 से शुरू हुआ था। अपने सात दशक से भी लं‍बे करियर में उन्होंने अलग-अलग भाषा-बोलियों के 30000 से अधिक गीतों को स्वर दिया है। मंगेशकर को वर्ष 2001 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से नवाजा गया था।(भाषा)
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