शनि यदि है ग्यारहवें भाव में तो रखें ये 5 सावधानियां, करें ये 6 कार्य और जानिए भविष्य
मकर और कुंभ का स्वामी शनि तुला में उच्च, मेष में नीच का होता है। लाल किताब में आठवें भाव में शनि बली और ग्यारहवां भाव पक्का घर है। सूर्य, चंद्र और मंगल की राशियों में शनि बुरा फल देता है। लेकिन यहां ग्यारहवें घर में होने या मंदा होने पर क्या सावधानी रखें जानिए।
कैसा होगा जातक : यदि यहां शनि है तो व्यक्ति होशियार और फरेब देने वाला माना जा सकता है। जातक चतुराई और छल से पैसे कमाएगा। लेकिन यदि शुभ है तो खुद विधाता माना जाएगा। जातक के भाग्य का निर्धारण चालीसवें साल के बाद होगा लेकिन 48 से पहले हो जाएगा। जातक कभी भी निःसंतान नहीं रहेगा। राहु और केतु की स्थिति के अनुसार शनि ग्रह अच्छा या बुरा परिणाम देगा।
5 सावधानियां :
1. कभी किसी को उधार न दें।
2. नेक और धर्मात्मा बने रहें।
3. कभी भी शराब न पियें।
4. अपना नैतिक चरित्र ठीक रखें।
5. छल से कोई कार्य न करें।
क्या करें :
1. भैरव महाराज और हनुमानजी की उपासना करें।
2. शनि मंदिर में छाया दान करें।
3. प्रतिदिन कुत्ते या कौवों को खाना खिलाते रहें।
4. अंधे, अपंगों, सेवकों और सफाइकर्मियों की सेवा करें।
5. तिल, उड़द, लोहा, तेल, काला वस्त्र और जूता दान दें।
6. 43 दिनों तक तेल या शराब की बूंदें जमीन पर गिराएं।