लाल किताब के अनुसार कौनसा ग्रह रखता है क्या काबिलियत, जानकर ही बच जाएंगे
आप आस्तिक हो या नास्तिक इससे ग्रह नक्षत्रों को कोई फर्क नहीं पड़ता और इससे धरती और उसके ध्रुवों को भी कोई फर्क नहीं पड़ता। वे आप पर उसी तरह का प्रभाव डालते हैं जिस तरहा का आपका नेचर है। मतलब आप खजूर के पेड़ हैं तो तूफान में आपके उखड़ जाने के चांस ज्यादा है और यदि आप बरगद का वृक्ष है तो कुछ खास नुकसान नहीं होगा। ज्योतिष से अलग लाल किताब में ग्रहों के प्रभाव या काबिलित को अलग तरह से बताया गया है। आओ जानते हैं संक्षिप्त में।
लाल किताब मानती है कि इस ब्रह्मांड में कोई एक केंद्रिय शक्ति जरूर है जिस तरह की सूर्य हमारे सौर मंडल का केंद्र है जिसके कारण सभी ग्रहण नक्षत्र टिके हुए हैं। शास्त्र कहते हैं कि ध्रुव तारा एक बड़े से ब्राह्मांड का केंद्र है। इसी तरह सभी तरह के ब्रह्मांडों की कोई केंद्रिय ताकत जरूर है। जैसे आपके शरीर में आपकी ताकत मस्तिष्क है। नाक के द्वारा सबसे पहले मस्तिष्क में ही हवा जाती है। अब आप इस हवा शब्द को ध्यान रखेंगे तो पता चलेगा कि कौनसा ग्रह हमारे जीवन में महत्व रखता है।
लाल किताब के अनुसार बुध विस्तार और व्यापकता का भाव देता है। बुध का सहयोगी राहु है, देखने में नीला लेकिन उसका विस्तार कितना है यह कोई नहीं जानता। किसी ने आज तक उसे नापा नहीं पाया है। कहते हैं कि जितने पास जाने की कोशिश की जाती है। वह उतनी दी दूर होता चला जाता है।
सूर्य प्रकाश या कहें कि जीवन का दाता है लेकिन शनि को अंधकार के रूप में माना गया है। मतलब यह कि धरती पर, शरीर के भीतर जहां भी अंधकार है वह शनि है। हर इंसान को अंधकार से लड़ना ही होता है। अंधकार से जो लड़ता है वह प्रकाश को खोज लेता है। अंधकार से लड़ने की ताकत गुरु देता है।
गुरु हवा का कारक है। मतलब यह कि धरती पर जितनी भी हवा है वह गुरु की हवा है और जिंदा रहने के लिए हवा की जरूरत तो है ही। जब तक जीव के अंदर हवा प्रवाहित होती रहती है तब तक वह जिंदा माना जाता है। हवा का शुद्ध होना जरूरी है। इसके लिए नाक का और पानी का साफ होना भी जरूरी है। चरित्र का उत्तम व्यक्ति ही अंधकार से लड़ सकता है।
शुक्र पाताल के रूप में जाना जाता है अर्थात भूमि के भीतर क्या है यह किसी को पता नहीं है। कितनी गहराई पर क्या छुपा बैठा है यह सब मेहनत के बाद ही पता चलता है। मतलब यह कि कर्म पर भरोसा करो भाग्य पर नहीं। खोदे बिना पानी नहीं निकलेगा। केतु को शुक्र का सहयोगी माना जाता है। केतु कार्य की सफलता की गारंटी देता है तब जबकि शुक्र सही हो। मंगल अपना पराक्रम दिखाने वाला पूंछ वाला तारा है। इसके पराक्रम के बिना कोई भी कार्य संभव नहीं है। इसी तरह लाल किताब में चंद्रमा को धरती माना गया है। इसके द्वारा ही किसी भी जीव का जन्म और आगे के जीवन के बारे में जाना जा सकता है।