हाल ही की बात है। अकबर-बीरबल सभा में बैठकर आपस में बात कर रहे थे।
अकबर : मुझे इस राज्य से पांच मूर्ख ढूंढकर दिखाओ...!
एक महीने बाद वापस आए सिर्फ 2 लोगों के साथ।
अकबर ने कहा- मैंने पांच मूर्ख लाने के लिए कहा था!
बीरबल ने कहा- हुजूर लाया हूं। पेश करने का मौका दिया जाए।
आदेश मिल गया।
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बीरबल ने कहा- हुजूर यह पहला मूर्ख है। मैंने इसे बैलगाड़ी पर बैठकर भी बैग सर पर ढोते हुए देखा और पूछने पर जवाब मिला कि कहीं बैल के ऊपर ज्यादा लोड न हो जाए इसलिए बैग सिर पर ढो रहा हूं।
इस हिसाब से यह पहला मूर्ख है!
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दूसरा मूर्ख :
दूसरा मूर्ख यह दूसरा आदमी है, जो आपके सामने खड़ा है। मैंने देखा इसके घर के ऊपर छत पर घास निकली थी। यह अपनी भैंस को छत पर ले जाकर घास खिला रहा था। मैंने देखा और पूछा तो जवाब मिला कि घास छत पर जम जाती है तो भैंस को ऊपर ले जाकर घास खिला देता हूं। हुजूर जो आदमी अपने पतरे की छत पर जमी घास को काटकर फेंक नहीं सकता और भैंस को उस पतरे पर ले जाकर घास खिलाए तो उससे बड़ा मूर्ख और कौन हो सकता है?
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तीसरा मूर्ख :
बीरबल ने आगे कहा- जहांपनाह, अपने राज्य में इतना काम है। पूरी नीति मुझे संभालना है फिर भी मैंने मूर्खों को ढूंढने में एक महीना बर्बाद किया इसलिए तीसरा मूर्ख मैं ही हूं।
आगे पढ़ें चौथा मूर्ख कौन?
चौथा मूर्ख :
जहांपनाह, पूरे राज्य की जिम्मेदारी आपके ऊपर है। दिमाग वालों से सारा काम होने वाला है। मूर्खों से कुछ होने वाला नहीं है, फिर भी आप मूर्खों को ढूंढ रहे हैं इसलिए चौथे मूर्ख जहांपनाह आप हुए।
आगे पढ़ें कौन है पांचवां मूर्ख ?
अकबर : तो पांचवां मूर्ख कौन हुआ?
बीरबल : जहांपनाह मैं बताना चाहता हूं।
ऑफिस में बहुत काम है। दुनियाभर के काम-धाम को छोड़कर, घर-परिवार को छोड़कर, बीवी-बच्चों पर ध्यान न देकर WhatsApp और फेसबुक पर जो लगा है और पांचवां मूर्ख ढूंढने व जानने में जिसने अपना समय बर्बाद किया, मेरे हिसाब से पांचवां मूर्ख वही है।