मंगलवार, 1 अप्रैल 2025
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. नन्ही दुनिया
  3. कविता
  4. poem on nature
Written By

जल पर दोहे : प्यासी गोरैया कहे, मुझे पिला दो नीर

nature poems
-सुशील शर्मा
 
सूखा जंगल चीखता, खूब मचाए शोर,
पेड़ों को मत काटिए, सूखा जल सब ओर।
 
पानी-पानी सब करें, सूखी नदियां-ताल,
मरती चिड़िया कर गई, मुझसे कई सवाल।
 
मटका सिर पर लादकर, कर पानी की आस,
चार कोस पैदल चलें, पानी करें तलाश।
 
झुलसी धरती ताप से, जीव-जंतु बेहाल,
तन-मन व्याकुल प्यास से, जीना हुआ मुहाल।
 
बिन पानी सांसें रुकीं, जीवन है मजबूर,
प्यासी गोरैया कहे, मुझे पिला दो नीर।
 
भुवन-भास्कर क्रोध में, उगले धूप की आग,
दिन सन्नाटे से सना, रात फुसकती नाग।
 
जल जीवन अनमोल है, सृष्टि का परिधान,
अमृतमय हर बूंद है, श्रेष्ठ प्रकृति वरदान।
 
जल संरक्षण का नियम, मन में लिया उतार,
जल का नियमन हम करें, शुद्ध करें व्यवहार।
 
ये भी पढ़ें
पंचतंत्र की प्रेरक कहानी : तीन मछलियां