शनिवार, 20 अप्रैल 2024
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Written By कृष्ण वल्लभ पौराणिक

बच्चों की कविता : होमवर्क

बच्चों की कविता : होमवर्क - kids poem
चला जा रहा था मैं गुमसुम कांधे लटकाए बस्ते को
भारी मन से चिंतातुर हो उस दिन विद्यालय अपने को
 
मैडम डांटेगी ना लाया होमवर्क था जो लिखने को
क्या करता मैं रहा खेलता जब आया था घर अपने को
 
कह दूंगा कल बुखार आया पहुंचा जब मैं घर अपने को
लिख ना पाया होमवर्क को ले आया वैसा बस्ते को
यह तो झूठ बोलना होगा अपनी मैडम से अपने को
सदा चाहती मुझको कितना कहती झूठ नहीं कहने को
 
आज मांग लूंगा मैं माफी और लौट के घर अपने को
भिड़ जाऊंगा तुरंत लिखने मन लगाऊंगा पढ़ने को
 
मैडम खुश बहु्त तब होगी शाबासी देगी पढ़ने को
और चूक मैं अब न करूंगा सावधान रखकर अपने को
 
गया दूसरे दिन विद्यालय पहुंचा मैडम से मिलने को
मैडम खुश थी सत्य कथन पर चूम लिया मेरे चेहरे को।