मंगलवार, 8 अप्रैल 2025
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Written By कृष्ण वल्लभ पौराणिक

बच्चों की कविता : होमवर्क

बाल गीत
चला जा रहा था मैं गुमसुम कांधे लटकाए बस्ते को
भारी मन से चिंतातुर हो उस दिन विद्यालय अपने को
 
मैडम डांटेगी ना लाया होमवर्क था जो लिखने को
क्या करता मैं रहा खेलता जब आया था घर अपने को
 
कह दूंगा कल बुखार आया पहुंचा जब मैं घर अपने को
लिख ना पाया होमवर्क को ले आया वैसा बस्ते को
यह तो झूठ बोलना होगा अपनी मैडम से अपने को
सदा चाहती मुझको कितना कहती झूठ नहीं कहने को
 
आज मांग लूंगा मैं माफी और लौट के घर अपने को
भिड़ जाऊंगा तुरंत लिखने मन लगाऊंगा पढ़ने को
 
मैडम खुश बहु्त तब होगी शाबासी देगी पढ़ने को
और चूक मैं अब न करूंगा सावधान रखकर अपने को
 
गया दूसरे दिन विद्यालय पहुंचा मैडम से मिलने को
मैडम खुश थी सत्य कथन पर चूम लिया मेरे चेहरे को।