बाल कविता : उड़ा आसमान में हाथी
- ओमप्रकाश क्षत्रिय 'प्रकाश'
उड़ा आसमान में हाथी,
लेकर अपने पंख।
धरती पर दौड़ी चील,
जैसे ही बजा था शंख।
हाथी था भारी-भरकम,
कैसे वह उड़ पाता?
पंख हिला-हिलाकर,
उसका दम फूल जाता।
हल्की-फुल्की थी चील,
जमकर दौड़ लगाती।
हवा का झोंका खाकर,
लौट वहीं पर आती।