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Last Updated : शनिवार, 30 नवंबर 2019 (18:35 IST)

Ground report : इस बार काफी रोचक होगा झारखंड विधानसभा चुनाव

Jharkhand assembly elections | Ground report : इस बार काफी रोचक होगा झारखंड विधानसभा चुनाव
- संदीप भट्‍ट, रांची से लौटकर

झारखंड में चुनावी माहौल है और 30 नवंबर को पहले चरण का मतदान संपन्न हो चुका है। राज्य में कुल 81 सीटों के लिए 5 चरणों में चुनाव होने हैं। कुछ दिनों पहले तक राजधानी रांची को देखने से ऐसा बिलकुल नहीं लग रहा था कि शहर में चुनावी सरगर्मियां बढ़ गई हैं। न तो शहर में राजनेताओं के बैनर पोस्टर दिख रहे थे और न ही कहीं चुनावी नारे। न तो कहीं रैलियों का शोर सुनाई देता है न ही कहीं स्लोगन लिखे दिख रहे थे।

19 साल पहले सन 2000 में झारखंड राज्य अस्तित्व में आने के बाद यह पांचवां विधानसभा चुनाव है। हिंदुस्तान के दूसरे राज्यों की राजधानियों की तरह रांची शहर भी भीड़भाड़ वाला है। 7 साल से टैक्सी चलाने वाले विनोद कुमार का कहना है कि खासतौर से गरीब तबका बढ़े हुए टैक्स से परेशान है। उनका कहना है कि सरकारें गरीब को चैन से रहने नहीं देतीं। वे कहते हैं कि गरीब वैसे ही मर जाएगा। महंगाई की मार से परेशान विनोद ने बताया कि 80 से कम में कोई भी सब्जी खरीद नहीं सकते। ऐसे में गरीब भला कहां से खाएगा।

रांची के गुजरी चौक में रहने वाले 21 साल के राजेश कुमार बताते हैं कि नौजवानों को रोजगार के लिए राज्य में कुछ खास नहीं हुआ है। राजेश का कहना है कि पढ़-लिखकर भी अगर अच्छी नौकरी नहीं मिली तो बेरोजगार क्या करें? राजेश मानते हैं कि ऐसी सरकार आनी चाहिए जो स्थानीय नौजवानों को राज्य में ही रोजगार मुहैया करा सके।

दयानंद मिश्र 65 साल के हैं। वे रांची के पास कुटिया गांव के रहने वाले हैं और पेशे से टैक्सी चालक हैं। वे बताते हैं कि उनके 2 बच्चे हैं। आईटीआई और डिप्लोमा करने के बाद भी उन्हें अच्छी नौकरी नहीं मिली। मिश्र बताते हैं कि मध्यम वर्ग महंगाई की सबसे ज्यादा मार झेल रहा है। इस बात से इंकार नहीं करते कि गरीबों के लिए काम नहीं हुआ है, लेकिन फिर भी वे जोर देकर कहते हैं कि महंगाई का सबसे ज्यादा असर मध्यम वर्ग पर पड़ता है।

मौजूदा सरकार राज्य में निवेश नहीं करवा पाई, राज्य में कोई भी नया उद्योग नहीं आया है। ऐसे में बच्चे अगर पढ़-लिख जाते हैं तो उन्हें बहुत अच्छी तनख्वाह नहीं मिल पाती है। मिश्र चाहते हैं कि जो भी सरकार आए बेरोजगारी उनके एजेंडे में सबसे ऊपर होनी चाहिए।

रांची शहर में मॉल कल्चर आ चुका है। शहर के इलाकों में चमचमाते नए मॉल बन रहे हैं। सड़कें चौड़ी हो रही हैं। कुल मिलाकर शहर को देखने से ऐसा लग रहा है कि विकास का काम तेजी से चल रहा है। 21 साल के शिव शंकर मार्केटिंग का काम करते हैं। उनका कहना है कि सरकार की प्राथमिकता में बेरोजगारी होना चाहिए।

नाराजगी जताते हुए वे कहते हैं कि बीते कई सालों में सरकारी नौकरियों की प्रतियोगी परीक्षाओं के परिणाम समय पर नहीं आए। वे यह भी कहते हैं कि राज्य में तमाम छोटे उद्योग बंद हुए हैं और नौजवानों को मजबूरी में नौकरी की तलाश में दूसरे राज्यों का रुख करना पड़ रहा है। चुनावी चर्चा करने पर वे कहते हैं कि सत्ताधारी दल और गठबंधन पर कुछ समझ नहीं आ रहा है, लेकिन यह मानते हैं कि किसी भी एक दल को स्पष्ट बहुमत मिलने में बहुत मुश्किल होगी।

महाराष्ट्र में हुए राजनीतिक घटनाक्रम के झारखंड के चुनावों पर पड़ने वाले असर के बारे में पूछने पर वे कहते हैं कि निश्चित ही इसका असर पड़ेगा, लेकिन वे साथ ही यह भी साफ करते हैं कि झारखंड की राजनीति कुछ अलग तरह की है। यहां कुछ भी सटीक अनुमान लगाना मुश्किल है।

वे बताते हैं कि इस बार सत्तारुढ़ भाजपा समेत कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन समेत सभी दल चुनावों में अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं। अभी तक राज्य के चुनवों की घोषणा के बाद से ही पार्टियों में प्रत्याशियों के चयन से लेकर गठबंधन और सीटें आदि अनेक मुद्दे गरमा रहे हैं। कोई पार्टी राज्य में विकास की बात कर रही है तो किसी के एजेंडे में लोगों को पक्के घर दिलवाना है।

राज्य में सेवारत पूर्व वरिष्ठ नौकरशाह भी इस बार चुनावी मैदान में उतरे हैं। झारखंड के चुनावों में कई मुद्दे हैं। कोई दल बेरोजगारों की बात करता है तो कोई राज्य में कानून और व्यवस्था के मुद्दों पर चुनाव लड़ रहा है। कुल मिलाकर इस बार का झारखंड चुनाव रोचक रहने वाला है।
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