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Written By Author सुरेश एस डुग्गर
Last Updated : गुरुवार, 27 अप्रैल 2023 (09:34 IST)

खूनी इतिहास रहा है आतंकी हमलों और शहादतों का जम्मू संभाग में

खूनी इतिहास रहा है आतंकी हमलों और शहादतों का जम्मू संभाग में - Bloody history of terrorist attacks in Jammu division
terrorist attack: जम्मू। एलओसी से सटे पुंछ और राजौरी (Poonch and Rajouri) के जुड़वां जिलों में 7 दिन पहले आतंकियों के अपने किस्म के पहले हमले में 5 सैनिकों की शहादत जम्मू संभाग में कोई पहली नहीं है बल्कि आतंकवाद की शुरुआत के साथ ही जम्मू संभाग ( Jammu Division) भी कभी भी आतंकी हमलों और सैनिकों की शहादत से अछूता नहीं रहा है।
 
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक सेना के जवानों को बड़े पैमाने पर सबसे पहले जम्मू संभाग में 14 मई 2002 को निशाना बनाया गया था, जब आतंकियों ने कालूचक गैरीसन में सेना के फैमिली र्क्वाटरों में घुसकर कत्लेआम मचाते हुए 36 से अधिक जवानों और उनके परिवारों के सदस्यों को मौत के घाट उतार दिया था।  इसके बाद तो जम्मू संभाग कई ऐसे आतंकी हमलों का गवाह बनने लगा जिसमें बड़ी संख्या में जवान और अफसर शहीद होने लगे थे।
 
पहली घटना के करीब 13 महीनों के उपरांत ही आतंकियों ने 28 जून 2003 को जम्मू के सुंजवां में स्थित सेना की ब्रिगेड पर हमला बोला तो 15 जवान शहीद हो गए। इतना जरूर था कि आतंकियों ने इस हमले के 15 सालों के बाद फिर से सुंजवां पर 10 फरवरी 2018 को हमला बोल 10 जवानों को मार डाला था। हमले और शहादतें यहीं नहीं रुकी थीं।
 
वर्ष 2003 में ही 22 जुलाई को जम्मू के अखनूर में आतंकियों ने एक और सैनिक ठिकाने पर हमला बोला तो ब्रिगेडियर रैंक के अधिकारी समेत 8 सैनिकों को शहादत देनी पड़ी। यह सिलसिला बढ़ता गया और आतंकी हमले करते रहे और जवान शहीद होते गए।
 
इतना जरूर था कि अखनूर में वर्ष 2003 में हुए हमले के उपरांत करीब 10 सालों तक जम्मू संभाग में सुरक्षाबलों पर कोई बड़ा हमला नहीं हुआ था। एक बार आतंकियों ने पाक सेना के जवानों के साथ मिलकर 6 अगस्त 2013 को पुंछ के चक्कां दा बाग में बैट हमला किया तो 5 जवानों को जान गंवानी पड़ी जबकि इसी साल इस हमले के 1 महीने के बाद ही 6 सितंबर 2013 को आतंकियों ने सांबा व कठुआ के जिलों में हमले कर 4 सैनिकों व 4 पुलिसकर्मियों को जान से मार डाला। इनमें एक ले. कर्नल रैंक का अधिकारी भी शामिल था।
 
इंटरनेशनल बॉर्डर से सटे अरनिया में भी 27 नवंबर 2014 को आतंकी हमले में 3 जवानों को जान गंवानी पड़ी थी तो वर्ष 2016 को 29 नवम्बर के दिन आतंकियों ने नगरोटा स्थित कोर हेडर्क्वाटर पर हमला बोल कर 2अफसरों समेत 7 जवानों को शहीद कर दिया था।
 
ऐसा भी नहीं है कि आतंकियों के हमलों में सिर्फ सैनिकों, जवानों व नागरिकों को ही जानें गंवानी पड़ी थीं बल्कि प्रत्येक हमले में आतंकी भी मारे गए थे और इन हमलों में 100 से अधिक आतंकी मारे गए गए थे सिर्फ जम्मू संभाग में।
 
Edited by: Ravindra Gupta
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