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दुर्भिक्ष, चोरी, मिरगी आदि का निवारण करने हेतु

दुर्भिक्ष, चोरी, मिरगी आदि का निवारण करने हेतु - Bhaktamber strotra 35
स्वर्गापवर्ग -गम-मार्ग-विमार्गणेष्ट: सद्धर्म-तत्त्व-कथनैक-पटुस्त्रिलोक्या:।
दिव्य-ध्वनिर्भवति ते विशदार्थ-सर्व- भाषा-स्वभाव-परिणाम-गुणै-र्प्रयोज्य: ।। (35)
 
आपकी दिव्यध्वनि स्वर्ग और मोक्षमार्ग की खोज में साधक, तीन लोक के जीवों को समीचीन धर्म का कथन करने में समर्थ, स्पष्ट अर्थ वाली, समस्त भाषाओं में परिवर्तित करने वाले स्वाभाविक गुण से सहित होती है।