नेट पर मिट्टी के बर्तनों की धूम
जरा आप अपने प्राथमिक स्कूल के दिनों को याद कीजिए जब आप मिट्टी के गुल्लक में पैसे इकट्ठा करते थे और दिवाली में दीया जलाया करते थे। भले ही भारतीय परिवारों में अब इन मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग नहीं होता हो लेकिन युवाओं में इस कला के प्रति काफी दिलचस्पी बढ़ रही है।चिकनी मिट्टी को मिलाना, गूंथना और कतरना और फिर उसे एक आकार देना उसे सूखा कर आकषर्क बनाने की प्रक्रिया युवाओं को काफी भा रही है।मिट्टी के बर्तनों के तरफ युवाओं का झुकाव नेट को सोशल नेटवर्किंग साइट जैसे फेसबुक और ऑरकुट के माध्यम से समझा जा सकता है।फेसबुक और ऑरकुट उपभोक्ताओं ने ‘मिट्टी बर्तन’, ‘भारत में मिट्टी बर्तन’, ‘मिट्टी बर्तन से प्यार’, ‘खजाना बर्तन’,‘ मिट्टी बर्तनों का स्नैप’ और ‘प्राचीन बर्तनों का पुनरूत्थान’ के नाम से कई ग्रुप बना रखा है जहां मिट्टी के बर्तन बनाने की कला के बारे में जानकारी दी जाती है।
भारत में मिट्टी बर्तन प्रेमी ग्रुप की एक सदस्य कनिका सोनी ने बताया ‘यह सबसे सुखद है कि आप कल्पना कर सकते हैं। शुरू में ऐसा करना बुरा लग सकता है लेकिन यह करने में बहुत मजा आता है।’ मिट्टी के बर्तनों पर काम करने वाले एक एनजीओ के धर्मेन्द्रा भंज ने बताया ‘मैं यह देखकर आश्चर्यचकित हूँ आज के युवा मिट्टी के बर्तनों में काफी दिलचस्पी ले रहे हैं। जब मैं नेट पर गया तो देखा कि काफी संख्या में युवा मिट्टी के बर्तनों के बारे में पता करने के लिए नेट पर आ रहे हैं।’ फेस बुक पर ‘भारत में मिट्टी के बर्तन’ नामक ग्रुप बनाने वाली सपना गुरूकर ने बताया ‘मिट्टी के बर्तन आपकी रचनात्मकता को बाहर लाता है। यह एक चिकित्सीय शौक है। आप अपनी पसंद और नापसंद को मिट्टी के बर्तन पर उकेर सकते हैं। इस पर आप अपने हरेक भावनाओं को प्रदर्शित कर सकते हैं।एक छोटे से गाँव में सपना गुरूकर एक मिट्टी स्टूडियो चलाती हैं। ऑरकुट पर एक मिट्टी बर्तन निर्माता ग्रुप के 31 वर्षीय स्वप्निल पीलनेकर ने बताया ‘हमलोग अपना ज्ञान एक दूसरे के बीच साझा करते हैं।’ (भाषा)