सिक्योरिटी गार्ड का बेटा जो बना दुनिया का नंबर-1 ऑलराउंडर. कहानी रविंद्र जडेजा के संघर्ष की
Ravindra Jadeja रविंद्र जड़ेजा ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपना नाम सर जड़ेजा से मशहूर तो काफी पहले कर लिया था। अगर अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग को देखें तो टेस्ट में रविंद्र जड़ेजा ज्यादातर मौकों पर नंबर 1 रैंक पर रहते हैं। लेकिन वह नंबर 1 तक कैसे पहुंचे हैं इसके पीछे भीषण संघर्ष की कहानी है।
पिता थे आर्मी में सिक्योरिटी गार्डरविंद्र जड़ेजा का जन्म गुजरात के जामनगर में साल 1988 में हुआ था। उनके पिता जिनका नाम अनिरुद्द सिंह जड़ेजा है, वह पेशे से आर्मी में गार्ड की नौकरी करते थे। हालांकि एक दुर्घटना में वह चोटिल हो गए। अनिरुद्ध जड़ेजा ने आर्मी की नौकरी छोड़कर एक प्राइवेट कंपनी में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी शुरु की। उनकी आय काफी कम थी और इस कारण बमुश्किल परिवार का गुजारा होता था और बचत के नाम पर कुछ खास नहीं था।
रविंद्र जड़ेजा को पिता बनाना चाहते थे आर्मी ऑफिसरफौज में होने के कारण अनिरुद्द सिंह जड़ेजा अपने बेटे रविंद्र जड़ेजा को एक आर्मी अफसर बनाना चाहते थे। लेकिन रविंद्र जड़ेजा को बचपन से ही क्रिकेट का बहुत शौक था। पिता की इच्छा के उलट उनकी मां ने हमेशा रविंद्र जड़ेजा का समर्थन किया। वह चाहती थी कि रविंद्र जड़ेजा को जो पसंद हो उसमें ही अपना करियर बनाएं।
मां के निधन के बाद क्रिकेट छोड़ने का फैसलारविंद्र जड़ेजा क्रिकेट में जी जान से जुड़े हुए थे लेकिन जैसे ही वह 17 साल के हुए उनके जीवन में भूचाल आ गया। उनकी मां का एक हादसे में निधन हो गया जिससे रविंद्र जड़ेजा टूट गए। उनका दुख इतना ज्यादा था कि उन्होंने क्रिकेट छोड़ने का फैसला कर लिया था। ऐसे मुश्किल समय में रविंद्र जड़ेजा की बहन ने घर की वित्तिय व्यवस्था संभाली। बड़ी बहन ने रविंद्र जड़ेजा को क्रिकेट छोड़ने नहीं दिया। वहीं बहन ने रविंद्र जड़ेजा से कहा कि उन्हें गुजरी हुई मां का सपना पूरा करना चाहिए।
रणजी के प्रदर्शन की बदौलत हुई अंडर 19 टीम में एंट्रीसाल 2008 में सौराष्ट्र के लिए खेलते हुए मैचों में 636 रन बनाए और 30 विकेट भी झटके थे। रविंद्र जडेजा के इस आंकड़े को देखकर अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि इस ऑलराउंडर ने सौराष्ट्र को नाकआउट दौर में पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
बाएँ हाथ के इस स्पिनर ने महज 29 रन पर सात विकेट झटककर हैदराबाद की कमर तोड़ दी थी। उन्होंने रणजी सत्र में तीन बार पाँच या उससे अधिक विकेट झटके थे। बल्लेबाजी में भी उन्होंने दो शतक और दो अर्द्धशतक ठोके, जबकि फील्डिंग में चीते सी फुर्ती उनकी उपयोगिता और बढ़ा देती थी। इस कारण उनको अंडर 19 विश्वकप का टिकट लेने में खास देरी का सामना नहीं करना पड़ा।
आईपीएल में ऐसा रहा है जड़ेजा का करियर आईपीएल 2008 में रविंद्र जड़ेजा ने राजस्थान रॉयल्स की खिताबी जीत में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसके बाद उनके कप्तान शेन वॉर्न ने उनको रॉकस्टार की उपाधि दी थी। साल 2012 में चेन्नई सुपर किंग्स ने उनको सर्वाधिक 9.8 करोड़ में खरीद था। चेन्नई पर प्रतिबंध के समय वह गुजरात लॉन्स से जरूर जुड़े रहे लेकिन तब से वह चेन्नई में ही हैं। हालांकि इतने लंबे आईपीएल करियर में उनको कप्तानी नहीं मिली।
जड़ेजा के आईपीएल करियर की बात करें तो उन्होंने 226 मैचों में 26 की औसत से 2692 रन बनाए हैं। इसमें सिर्फ 2 अर्धशतक शामिल हैं क्योंकि जड़जा की बल्लेबाजी काफी नीचे आती है। वहीं गेदंबाजी में उन्होंने 29 की औसत से 152 विकेट लिए हैं। उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 16 रन देकर 5 विकेट लेने का है।