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Last Modified: म्यूनिख , शनिवार, 15 फ़रवरी 2025 (19:54 IST)

क्या लोकतंत्र खतरे में है, विदेश मंत्री जयशंकर ने दिया यह जवाब

S Jaishankar
Foreign Minister S Jaishankar News : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने लोकतंत्र को पश्चिमी विशेषता मानने को लेकर पश्चिमी देशों पर कटाक्ष किया और उन पर आरोप लगाया कि वे अपने देश में जिस चीज को महत्व देते हैं, उसका विदेशों में पालन नहीं करते। जयशंकर ने शुक्रवार को म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में अन्य दिन मतदान करने के लिए जीवित : लोकतांत्रिक लचीलेपन को मजबूत देना शीर्षक पर एक पैनल चर्चा में ये टिप्पणियां कीं। उन्होंने यह भी कहा कि यदि आप चाहते हैं कि अंततः लोकतंत्र कायम रहे, तो यह महत्वपूर्ण है कि पश्चिम भी पश्चिम के बाहर के सफल मॉडल (लोकतंत्र) को अपनाए।
 
विदेश मंत्री ने कहा, एक समय था (मुझे पूरी ईमानदारी से यह कहना होगा) जब पश्चिम लोकतंत्र को पश्चिमी विशेषता मानता था और वैश्विक दक्षिण में गैर-लोकतांत्रिक ताकतों को प्रोत्साहित करने में व्यस्त था। यह अब भी है। आप घर पर जो कुछ भी महत्व देते हैं, आप विदेश में उसका पालन नहीं करते हैं। उन्होंने कहा, इसलिए मैं समझता हूं कि शेष वैश्विक दक्षिण अन्य देशों की सफलताओं, कमियों और प्रतिक्रियाओं को देखेगा।
जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत हमारे सामने आने वाली सभी चुनौतियों के बावजूद यहां तक ​​कि कम आय के बावजूद, लोकतांत्रिक मॉडल के प्रति वफादार रहा है, जो कि दुनिया के हमारे हिस्से में भी देखने को मिलता है। हम लगभग एकमात्र देश हैं जिसने ऐसा किया है।
 
उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, भारत को एक ऐसे लोकतंत्र के रूप में रेखांकित किया जो परिणाम देता है। प्रचलित राजनीतिक निराशावाद से असहमत। विदेशी हस्तक्षेप पर अपने विचार व्यक्त किए। जयशंकर के अलावा, पैनल में नॉर्वे के प्रधानमंत्री जोनास गहर स्टोर, अमेरिकी सीनेटर एलिसा स्लोटकिन और वारसॉ के मेयर रफाल ट्रजास्कोवस्क शामिल थे।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत 80 करोड़ लोगों को पोषण सहायता देता है। इस प्रकार उन्होंने अमेरिकी सीनेटर एलिसा स्लोटकिन की इस टिप्पणी का खंडन किया कि लोकतंत्र खाने की व्यवस्था नहीं करता। विदेश मंत्री ने कहा, सीनेटर, आपने कहा कि लोकतंत्र आपके खाने की व्यवस्था नहीं करता। वास्तव में दुनिया के मेरे हिस्से में, यह (लोकतंत्र) करता है।
 
आज, चूंकि हम एक लोकतांत्रिक समाज हैं, इसलिए हम 80 करोड़ लोगों को पोषण सहायता और भोजन देते हैं। यह इस बात पर निर्भर करता है कि वे कितने स्वस्थ हैं और उनका पेट कितना भरा हुआ है। तो, मैं जो कहना चाहता हूं वह यह है कि दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग बातचीत हो रही है। कृपया यह न समझें कि यह एक प्रकार की सार्वभौमिक घटना है, ऐसा नहीं है।
यह पूछे जाने पर कि क्या वैश्विक दक्षिण के देश अब भी लोकतांत्रिक प्रणाली और लोगों को आकर्षित करने वाले मॉडल की आकांक्षा रखते हैं, जयशंकर ने कहा, देखिए, एक हद तक सभी बड़े देश विशिष्ट हैं। उन्होंने कहा, लेकिन हम निश्चित रूप से आशा करेंगे।
 
जयशंकर ने कहा, मेरा मतलब है कि हम लोकतंत्र को एक सार्वभौमिक आकांक्षा, आदर्श रूप से एक वास्तविकता के रूप में देखते हैं, लेकिन कम से कम एक आकांक्षा, बड़े हिस्से में क्योंकि भारत ने स्वतंत्रता के बाद एक लोकतांत्रिक मॉडल चुना और उसने एक लोकतांत्रिक मॉडल इसलिए चुना क्योंकि हमारे पास मूल रूप से एक परामर्शदात्री बहुलवादी समाज था।
 
जयशंकर ने यह भी कहा कि वह एक अपेक्षाकृत निराशावादी पैनल में आशावादी हैं। उन्होंने कहा, मैं एक अपेक्षाकृत निराशावादी पैनल में आशावादी नजर आया। मैं अपनी उंगली उठाकर शुरुआत करूंगा और इसे बुरा मत मानिए। यह तर्जनी उंगली है। यह जो निशान आप मेरे नाखून पर देख रहे हैं, वह उस व्यक्ति का निशान है जिसने अभी-अभी मतदान किया है।
जयशंकर ने कहा, मेरे राज्य (दिल्ली) में अभी-अभी चुनाव हुआ है। पिछले वर्ष हमारे यहां राष्ट्रीय चुनाव हुआ था। भारतीय चुनावों में लगभग दो-तिहाई पात्र मतदाता मतदान करते हैं। राष्ट्रीय चुनाव में लगभग 90 करोड़ मतदाताओं में से करीब 70 करोड़ ने मतदान किया। हम एक ही दिन में मतों की गिनती कर लेते हैं। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour