किगाली (रवांडा) से सिद्धार्थ मुछाल
आज दुनियाभर में भारतीय बसे हैं इससे कोई फर्क नहीं पड़ता आप किस देश में जाते हैं। कई चेहरे आपको घर की याद दिलाते हैं। साथ में रहने से समुदाय में एक शक्ति उत्पन्न होती है। रवांडा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आने से प्रवासी भारतीयों का समुदाय एकत्रित हुआ। दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स सम्मेलन में भाग लेने आए प्रधानमंत्री रवांडा भी आए।
रवांडा की राजधानी किगाली में करीब 800 भारतीय रहते हैं। अपने देश के प्रधानमंत्री के भाषण को सुनने के लिए पूर्वी अफ्रीका से भी भारतीय लोगों को आमंत्रित किया गया था। मैं खुद किगाली में नहीं रहता हूं। मैं जॉर्जटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ फॉरेन का धन्यवाद देता हूं, जिसने मुझे फैलोशिप प्रदान की। मैं गर्मियों में किगाली में एक एनजीओ के साथ काम कर रहा हूं और इसी दौरान मुझे भी इसमें जाने का अवसर मिला।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की एक झलक पाने के लिए किगाली में भीड़ इतनी उतावली थी कि वह कार्यक्रम से चार घंटे पहले ही खूबसूरत सेरेना होटल में एकत्र हो गई। जब मैं रास्ते में जा रहा था मुझे दिखाई दिया कि सड़कों के दोनों ओर हाथों में तिरंगा लिए खड़े थे और 'सारे जहां से अच्छा' की धुन सुनाई दे रही थी।
सुरक्षा को देखते हुए सभी आमंत्रितों के नाम एक रजिस्टर में दर्ज किए जा रहे थे। मेरे लिए यह अवसर उत्साह भरा था। वहां के वॉलेंटियर चार अलग भाषाओं में बहस कर रहे थे। मुख्य कार्यक्रम से पहले मेहमानों के लिए एक कॉकटेल डीनर का आयोजन भी किया गया था और फोन भी नहीं ले जाने के लिए भी कहा जा रहा था।
मैं किगाली में ऐसे भारतीयों से मिला, जो यहां करीब 30 सालों से रह रहे थे। उन्होंने शहर की तरक्की के बारे में मुझे बताया। कई लोग 8-15 सालों से यहां रह रहे थे। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता वे भारत से कितनी दूर हैं लेकिन जब पकोड़े की ट्रे उनके सामने आती है तो उनकी खुशी देखते ही बनती थी।
जल्दी ही मैं मुख्य आयोजन कक्ष की बढ़ा। यहां दोनों ओर बैरियर थे और 'रेड कारपेट' बिछा हुआ था। यहां बैरियर के दोनों ओर लोगों की भीड़ थी, जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की एक झलक पाने के लिए बेताब थी।
बैरियर के दोनों ओर तिरंगे से सजाया गया था। बैनर और फ्लावर्स भी लगे थे। बड़े अक्षरों में 'नमो' लिखा हुआ था।
लोग एक-दूसरे को बता भी रहे थे कि वे कितनी दूर से नरेन्द्र मोदी की एक झलक पाने के लिए यहां आए हैं। मोदी जी के आने के ठीक पहले तिरंगे लहराए गए और रवांडा की के इंडियन एसोसिएशन के सुरक्षा वॉलेंटियरों ने अपनी जगह ले ली। जैसे ही धीरे से दरवाजा खुला, कैमरामैन दौड़े और भीड़ करने लगी 'मोदी जी, मोदी जी, और 'वंदे मातरम' के नारे लगाने लगी।
मैं भी सारा माहौल देखकर रोमांचित-सा गया। जब प्रधानमंत्री मेरे दाहिनी ओर से निकले तो मैं बहुत उत्साहित था। प्रधानमंत्री मंच पर पहुंचकर संबोधित करने वाले थे। भीड़ का हुजूम था। मैं कुर्सी पर खड़े होकर साफ देख रहा था। लोगों के चेहरे पर एक उत्साह था। यह प्रवासियों के लिए एक उत्सवी माहौल की तरह था।
मोदी के यह कहने पर कि 'आप हर दो महीने आते हो' सारे आमंत्रित शोर करने लगे...। उन्होंने कहा कि आप फिर भारत आइए और जितना चाहे रहिए। उन्होंने मंच से भारत की तरक्की के बारे में बताया होगा पूछा कि क्या उन्हें लगता है कि पिछले कुछ वर्षों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शक्तिशाली हुआ है।
प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी बताया कि भारत किस तरह दुनिया की सबसे शक्तिशाली अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ रहा है। जाने से पहले मोदी ने रवांडा के राष्ट्रपति के साथ चर्चा का जिक्र भी किया। मोदी ने बताया कि राष्ट्रपति ने जिक्र किया कि भारतीय समुदाय ने किस तरह रवांडा की तरक्की में अपना सहयोग प्रदान किया।
भारत ने रवांडा के साथ चार समझौतों रक्षा सहयोग, आधिकारिक तथा राजनयिक पासपोर्टधारकों के लिये वीजा से छूट, सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम तथा सामग्री प्रशिक्षण प्रयोगशाला के क्षेत्रों में सहमति पत्रों पर दस्तखत किए।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दुनिया से देशों से संबंध बनाने के लिए विदेशों की यात्राएं करते हैं। एक भारतीय-अमेरीकी के तौर मैंने अमेरिका में मैंने इसे देखा है लेकिन एक अलग महाद्वीप पर यह देखना प्रेरणादायक था। जाने से पहले उन्होंने रवांडा में एक नए इंडियन हाई कमीशन के निर्माण की घोषणा तो भीड़ ने तालियां बजाकर उसका स्वागत किया। वे जैसे ही जाने लगे तो मुझे ऐसा लगा कि प्रधानमंत्री मोदी सब कुछ जानते हैं कि प्रवासी भारतीय न सिर्फ हर कहीं हैं, बल्कि वे प्रवासी समुदाय की शक्ति का उपयोग भी कर रहे हैं। भारत दुनिया के हर कोने में मौजूद है।