• Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. अंतरराष्ट्रीय
  4. Action on foreigners in Pakistan
Last Updated : गुरुवार, 12 जून 2025 (16:16 IST)

पाकिस्तान में विदेशियों पर कार्रवाई, अफगानों को अपना सामान पैक करने के लिए 45 मिनट का समय

Action on foreigners in Pakistan
तोरखम (अफगानिस्तान)। आदेश स्पष्ट और निर्विवाद था, लेकिन समयसीमा चौंकाने वाली थी। आपको केवल 45 मिनट में अपना सामान पैक करना है और हमेशा के लिए पाकिस्तान को छोड़ देना है। ईंट की फैक्टरी में नौकरी करने वाला 42 वर्षीय अफगान शेर खान अपनी नौकरी के बाद घर आया। उसने दरवाजे पर सादे कपड़ों में खड़े पुलिसकर्मी को देखा। वह सोच रहा था कि एक घंटे से भी कम समय में वह कैसे सबकुछ समेट सकता था और अपने जन्म के देश को छोड़ सकता था? उसने अपने सुखद जीवन के लिए जो कुछ भी बनाया था, पलक झपकते ही वह सब उससे छीन लिया गया।
 
उसने एवं उसकी पत्नी ने अपने और अपने 9 बच्चों के लिए रसोई का कुछ सामान तथा कुछ कपड़े लिए और बाकी सब कुछ पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में अपने घर पर छोड़ कर चले गए। पाकिस्तान में जन्मे शेर खान उन लाखों अफगानों में से एक हैं जिन्हें अब निष्कासित कर दिया गया है। पाकिस्तान का कहना है कि देश में अवैध रूप से रह रहे विदेशियों पर अक्टूबर 2023 में शुरू की गई राष्ट्रव्यापी कार्रवाई के कारण अब तक लगभग 10 लाख अफगान नागरिक देश छोड़कर जा चुके हैं। पाकिस्तान का कहना है कि लाखों लोग अब भी वहां रह रहे हैं और वह चाहता है कि वे लोग चले जाएं।ALSO READ: फिर बातचीत के लिए गिड़गिड़ाया पाकिस्तान, भारत की दोटूक, सिंधु जल संधि पर नहीं होगी कोई बात
 
*समय सीमा का पालन करना और कुछ भी लिए बिना चले जाना
 
अफगान सीमा के पार तोरखम में धूलभरे शरणार्थी शिविर में खड़े शेर खान ने कहा कि हमारा सब कुछ तो पीछे छूट गया। हमने (वर्षों से) उन चीज़ों को इकट्ठा करने की बहुत कोशिश की, जो हमारे पास सम्मान के साथ थीं। यह शिविर निष्कासित शरणार्थियों के लिए पहला पड़ाव था।
 
पाकिस्तान ने इस साल की शुरुआत में अफगानों के यह देश छोड़ने या निर्वासन के लिए कई समय सीमाएं तय की थीं। अफगान नागरिक कार्डधारकों को 31 मार्च तक राजधानी इस्लामाबाद और रावलपिंडी शहर छोड़ना था, जबकि पंजीकरण प्रमाण वाले लोग 30 जून तक रह सकते थे। पाकिस्तान में कहीं और रहने वाले अफगानों के लिए कोई विशेष समय-सीमा निर्धारित नहीं की गई थी।
 
शेर खान को डर था कि समय-सीमा में चूक के परिणामस्वरूप उन्हें, उनकी पत्नी और बच्चों को पुलिस थाने ले जाया जा सकता था, जो उनके परिवार की गरिमा को ठेस पहुंचाता। उन्होंने कहा कि हमें खुशी है कि हम (अफगानिस्तान) शराफत और सम्मान के साथ आए। जहां तक पीछे छूटे सामान की बात है, तो अल्लाह यहां भी उसी तरह दे जिस तरह वहां दिया था।
 
*संघर्ष प्रभावित देश में शरणार्थियों की आमद
 
अफगानिस्तान की तालिबान सरकार द्वारा संचालित तोरखम शिविर में, प्रत्येक परिवार को एक सिम कार्ड और 10,000 अफगानी मुद्रा (145 अमेरिकी डॉलर) की सहायता मिलती है। वे आगे बढ़ने से पहले वहां तीन दिन तक बिता सकते हैं। शिविर के निदेशक, मोलवी हाशिम मईवंदवाल ने कहा कि पाकिस्तान से प्रतिदिन कम से कम 150 परिवार आ रहे हैं, जो लगभग 2 महीने पहले आने वाले करीब 1,200 परिवारों की तुलना में बहुत कम है, लेकिन उन्होंने कहा कि जून के दूसरे सप्ताह से यह संख्या बढ़ने का अनुमान है।ALSO READ: पाकिस्तान की पोल खोल लौटे सांसद मिले पीएम से, असदुद्दीन ओवैसी क्यों नहीं मिले मोदी से?
 
शिविर के अंदर सहायता संगठन स्वास्थ्य सेवा सहित विभिन्न बुनियादी जरूरतों में मदद करते हैं। स्थानीय चैरिटी संस्था 'असील' स्वच्छता किट प्रदान करती है और भोजन में मदद करती है। इसने अफगानिस्तान में कहीं भी अपने अंतिम गंतव्य तक पहुंचने वाले परिवारों के लिए एक खाद्य पैकेज वितरण प्रणाली भी स्थापित की है।
 
असील के नजीबुल्लाह घियासी ने कहा कि उन्हें ईद के बाद बड़ी संख्या में अफगानों के आने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि हम उन सभी को संभाल नहीं सकते, क्योंकि संख्या बहुत बड़ी है। उन्होंने यह भी कहा कि संगठन धन इकट्ठा करने की कोशिश कर रहा है, ताकि वह अधिक लोगों की सहायता कर सके।
 
*पाकिस्तान ने उग्रवाद के लिए अफगानिस्तान पर दोष मढ़ा
 
पाकिस्तान ने अफगानों पर देश के अंदर उग्रवादी हमले करने का आरोप लगाते हुए दावा किया है कि हमलों की योजना सीमा पार से बनाई जाती है। अफगानिस्तान की तालिबान सरकार इस आरोप से इनकार करती है। पाकिस्तान ने अफगानों को निशाना बनाने से इनकार करते हुए कहा है कि देश छोड़ने वाले हर व्यक्ति के साथ मानवीय और सम्मानपूर्ण व्यवहार किया जाता है, लेकिन शायद नगण्य लोग ही होंगे जिन्हें चंद मिनटों या घंटों में अपना सामान समेटकर जाने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
 
ईरान भी अफगानों को निकाल रहा है। संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी 'यूएनएचसीआर' ने 5 जून को कहा कि 1 अप्रैल से 2 महीनों में 5,00,000 अफगानों को ईरान और पाकिस्तान छोड़ने के लिए मजबूर किया गया है। अधिकार समूहों और सहायता एजेंसियों का कहना है कि अधिकारी अफगानों पर जल्दी जाने के लिए दबाव डाल रहे हैं।
 
अप्रैल में, ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा कि पुलिस ने घरों पर छापे मारे, लोगों को पीटा और मनमाने ढंग से हिरासत में लिया तथा निवास परमिट सहित शरणार्थी दस्तावेज जब्त कर लिए। समूह ने कहा कि अधिकारियों ने अफगानों को पाकिस्तान में रहने की अनुमति देने के लिए रिश्वत की मांग की।ALSO READ: ताशकंद समझौते में क्यों भारत को पाकिस्तान को वापस देना पड़ा जीता हुआ हाजीपीर पास, इस घटना से कैसे जुड़ा है लाल बहाद्दुर शास्त्री की मौत का राज
 
*फिर से शुरुआत करते हुए उम्मीद की तलाश
 
50 वर्षीय यार मोहम्मद करीब 45 साल तक पाकिस्तान के नियंत्रण वाले कश्मीर में रहे। 12 बच्चों के पिता ने कई कर्मचारियों को काम पर रखकर फर्श चमकाने का सफल व्यवसाय खड़ा किया। सादे कपड़ों में पुलिस ने उनके दरवाजे पर भी दस्तक दी और उन्हें पाकिस्तान छोड़ने के लिए 6 घंटे का समय दिया।
 
मोहम्मद ने कहा कि कोई भी व्यक्ति 6 घंटे में इतना कारोबार नहीं समेट सकता, खासकर अगर उसने 45 साल एक ही जगह पर बिताए हों। उनके दोस्त उनकी मदद के लिए दौड़े और उन्होंने जो कुछ भी संभव था, उसे पैक किया: कंपनी की फर्श चमकाने वाली मशीनें, कुछ टेबल, बेड-फ्रेम और गद्दे एवं कपड़े।
 
अब उनका सारा घरेलू सामान तोरखम शरणार्थी शिविर में नारंगी रंग के टेंट में ठूंस दिया गया है, उनकी मेहनत से कमाई गई फर्श चमकाने वाली मशीनें बाहर हैं और मौसम के असर से प्रभावित हो रही हैं। तीन दिनों की खोज के बाद, वह काबुल में किराए पर रहने के लिए जगह खोजने में कामयाब रहे।
 
उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता कि हम क्या करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि वह अफगानिस्तान में अपने फर्श चमकाने के व्यवसाय को फिर से शुरू करने की कोशिश करेंगे। उन्होंने कहा कि अगर यह काम यहां चलता है, तो सबसे अच्छी बात होगी।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta
ये भी पढ़ें
पीएम मोदी ने ली विमान हादसे की जानकारी, उड्डयन मंत्री को दिए सभी सहायता सुनिश्चित करने के निर्देश