अनोखी शादी: 38 बार दूल्हा बना, बारात निकली, लेकिन दुल्हन नहीं मिली!
शादी की आपने कई कहानियां सुनी होगी लेकिन उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी की यह कहानी बेहद दिलचस्प है। दरअसल यहां जिले के नरगड़ा गांव में एक दूल्हा धूमधाम से बारात लेकर निकला और अच्छे से दुल्हन पक्ष ने उसका स्वागत भी किया। लेकिन फेरों की रस्में नहीं हुईं और दूल्हे को बिना शादी के ही अपने घर लौटना पड़ा।
लेकिन कमाल की बात यह है कि यह कहानी इतनी ही नहीं है। दरअसल यह दूल्हा 38 वीं बार बारात लेकर गया लेकिन इतनी ही बार बिना दुल्हन के बैरंग वापस आया।
इस दूल्हे का नाम विश्वम्भर है और हैरत की बात है कि इसके पहले इसके बड़े भाई श्यामबिहारी की बारात भी बिना दुल्हन के वापस लौट चुकी है।
विश्वम्भर दयाल मिश्रा सोमवार को 38 वीं बार दूल्हा बना और गाजे बाजे के साथ घर में शादी की रस्में की गई। होली के दिन सराबोर बारातियों का जत्था ट्रैक्टर पर सवार दूल्हे के साथ गांव के बीच से निकला। बारात में गांव का व्यक्ति शामिल हुआ था। नरगड़ा के संतोष अवस्थी के दरवाजे पर बारात पहुंची। संतोष अवस्थी ने बारातियों का अच्छा से स्वागत किया। सारी परंपरा निभाई गई।
लेकिन बस शादी नहीं की गई और दूल्हे को बिना दुल्हन के वापस लौटना पड़ा। दरअसल यह एक परंपरा है। हर साल होली के दिन ईसानगर के मजरा नरगड़ा में इसी तरह से बारात निकलती है। ये बारात एक ही परिवार के सदस्य की निकलती है। कई सालों से इस परिवार के सदस्य दूल्हा बनते हैं और होली के दिन पूरे गांव के लोग इनकी बारात निकालते हैं।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यह परंपरा कई सालों से चली आ रही है। होली के दिन बारात लेकर पूरा गांव जाता है। सारी रस्मे शादी होती है। लेकिन बारात को बिना दुल्हन के विदा किया जाता है। इस परंपरा के तहत ही गांव के विश्वम्भर दयाल मिश्रा 38 वीं बार दूल्हा बने हैं। विश्वम्भर का ससुराल गांव में ही है। होली से पहले उनकी पत्नी मोहिनी को कुछ दिन पहले मायके भेज दिया जाता है। शादी के बाद जब बारात विदा होकर आ जाती है। तब होलाष्टक खत्म होने के बाद मोहिनी को ससुराल वापस बुलाया जाता है। विश्वम्भर से पहले उनके बड़े भाई श्यामबिहारी इसी तरह दूल्हा बनते थे।
35 वर्षों तक श्यामबिहारी दूल्हा बनें और भैंसा पर सवार होकर बारात लेकर निकले। इस शादी को देखने के लिए लोग दूर दूर से आते हैं।