मंगलवार, 19 नवंबर 2024
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इंदौर नगर निगम चला रहा 'भू-जल संरक्षण अभियान', आप भी करवा सकते हैं अपने घरों में वॉटर हार्वेस्टिंग

शहर में कम होते भूमिगत जल स्तर के प्रति इंदौर नगर निगम चला रहा जागरूकता अभियान

इंदौर नगर निगम चला रहा 'भू-जल संरक्षण अभियान', आप भी करवा सकते हैं अपने घरों में वॉटर हार्वेस्टिंग - water harvesting
- अथर्व पंवार 
इस वर्ष 2022 में गर्मी अपने रिकॉर्ड तोड़ रही है। जो गर्मी जून -जुलाई के महीनों में पड़ती थी वह अप्रैल के माह में अपनी तपन दिखा रही थी। इससे हम मानवों के साथ पशु-पक्षी भी प्रभावित हो रहे हैं। गर्मी के कारण नदी,तालाबों और झीलों जैसे जलस्त्रोतों के साथ भूमिगत जल भी कम हो रहा है। गर्मी की स्थिति यह है कि जिन घरों में बोरिंग थे और भरपूर पानी था, उन्हें भी टैंकर से पानी डलवाना पड़ रहा है।
 
बढ़ते सीमेंटीकरण, घरों में वॉटर हार्वेस्टिंग की कमी और विलुप्त होते खुले मैदानों के कारण बरसात का पानी जमीन में नहीं जा पाता। बरसात के समय पानी पाइप की मदद से सड़कों पर छोड़ दिया जाता है या नालियों में बहा दिया जाता है, सीमेंट की सड़कों के कारण वह जमीन में रिस नहीं पाता और व्यर्थ हो जाता है। जिससे पानी की रिचार्जिंग नहीं हो पाती।
 
इस भूमिगत जल के कम होने की समस्या से निपटने के लिए और भविष्य को ध्यान में रखते हुए इंदौर नगर पालिक निगम ने घरों में वॉटर हार्वेस्टिंग करवाने का कार्यक्रम आरम्भ किया है। इसका नाम 'भू-जल संरक्षण अभियान' दिया गया है।
 
इंदौर शहर में वाटर हार्वेस्टिंग करवाने हेतु कोई भी 'indore 311' एप पर और 0731-4059510 नंबर पर संपर्क कर सकते हैं। 
 
वॉटर हार्वेस्टिंग हेतु आप अपने झोन के कार्यालय पर भी संपर्क कर सकते हैं। 
क्या है वॉटर हार्वेस्टिंग ?
वॉटर हार्वेस्टिंग ( वर्षा जल संचयन) एक ऐसा तरीका है जिससे पानी का एकत्रीकरण किया जाता है। इससे भू जल का संग्रह किया जाता है जिससे भूमिगत जल का संतुलन बना रहे और संकट के समय जल की पूर्ति हो सके। इस माध्यम से संग्रहित बारिश का पानी दैनिक कार्यों,बागबानी, सिंचाई इत्यादि कार्यों में प्रयोग हो सकता है। चूंकि यह बारिश का पानी होता है तो इसकी गुणवत्ता भी अधिक होती है। सरल शब्दों में वॉटर हार्वेस्टिंग पानी को जमा करने का तरीका है जिससे आसपास के जलस्त्रोतों की भी रिचार्जिंग हो सकती है। 
 
क्यों जरुरी है वॉटर हार्वेस्टिंग ?
वर्ष 2019 की एक रिपोर्ट में दवा किया गया था कि भारत के 65 प्रतिशत जलाशय सूख चुके हैं। बढ़ती जनसंख्या, बढ़ते कारखाने और बढ़ते उद्योगों के कारण पानी की खपत अधिक होने लगी है। शहरी क्षेत्रों में बढ़ती बोरिंग की संख्या के कारण पानी का अंधा उपयोग तो हो रहा है पर उसे जमा करने के कदम नहीं उठाए जा रहे थे। ऐसे में सोचिए कि जब भविष्य में पानी की किल्लत होगी तो स्थितियां कितनी भयावह हो जाएगी। 
 
* आप अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए धन, घर, वाहन और अन्य एशो आराम के साधनों को उपलब्ध करवाने की अभिलाषा रखते हैं, पर सोचिए कि जब उनके पास पीने के लिए पानी ही नहीं रहेगा तो यह सब किस काम आएगा? इसीलिए वाटर हार्वेस्टिंग अवश्य कराएं और जल के संरक्षण में योगदान दीजिए। 
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