• Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. वेबदुनिया सिटी
  3. इंदौर
  4. Jimmy memorial week
Written By

जिम्मी मगिलिगन मेमोरियल सप्ताह : आत्मनिर्भरता के लिए जरूरी सोलर एनर्जी

जिम्मी मगिलिगन मेमोरियल सप्ताह : आत्मनिर्भरता के लिए जरूरी सोलर एनर्जी - Jimmy memorial week
जिम्मी मगिलिगन मेमोरियल सप्ताह के छठवें दिन सोलर पॉवर निर्माता सुष्मिता भट्टाचार्य ने एफबी लाईव पर सोलर पॉवर पर विचार रखे। कनाडा छोड़ कर देश को ही अपनी विशेषज्ञता का लाभ देने के विचार से इंदौर में रह रही सुष्मिता भट्टाचार्य ने सस्टेनेबल तरीके से आजीविका पर विशेष तौर पर बात रखी। उन्होंने बताया कि आईआईटी खड़गपुर से पीएचडी करने के बाद पोस्ट डाक्टरल रिसर्च के तहत जर्मनी, कनाडा, अमेरिका और नीदरलैंड्स में क्या अनुभव रहे और कैसे उन्होंने तय किया कि भारत को उनकी स्किल्स की कहीं ज्यादा जरूरत है। 
 
सुष्मिता भट्टाचार्य ने कहा कि पर्यावरण एवं सोलर एनर्जी के क्षेत्र में कार्य करते हुए जनक दीदी से मिली और अब पिछले 10 साल से हमारी मेंटर हैं। उनके सस्टेनेबल डेवलपमेंट के विशाल कार्य में मेरा छोटा सा योगदान सोलर सेक्टर पर है। उन्होंने कहा कि सोलर एनर्जी का बड़ा फायदा यह है कि इसे विकेंद्रीकृत यानी डीसेंट्रलाइज्ड करना आसान है।  थर्मल या हाइड्रो प्लांट से बिजली बनाने में बड़े प्लांट का संचालन भी कठिन होता है। ऐसे में सोलर एनर्जी रोज़गार बढ़ाने में भी मददगार है। सस्टेनेबल रोजगार के लिए बिजली का सस्टेनेबल होना भी आवश्यक है।
 
 ऐसी सस्टेनेबल एनर्जी सोलर से मिल सकती है। सोलर PV, सोलर वॉटर हीटर, सोलर कुकिंग, सोलर ड्रायर आदि का ज्यादा उपयोग रोजगार को एक नई दिशा दे सकता है। विशेषकर महिलाओं का रोज़गार बढ़ाना हमारे मुख्य उद्देश्यों में से एक है। हम लोगों की रूचि, उपलब्ध संसाधन, मार्केट का विश्लेषण करते हैं और सोलर एनर्जी का बेहतर विकल्प उन्हें देते हैं। इससे हुई आमदनी से भी वे सोलर संयंत्र की लागत चुका सकते हैं। सोलर के लिए बैंक लोन से लेकर बाजार उपलब्ध कराने तक में हम मदद की कोशिश करते हैं।
 
उन्होंने बताया कि हम सोलर से जुड़े सिलाई मशीन का कार्य, सोलर वॉटर पंप/सोलर पोर्टेबल सिस्टम, सोलर संचालित एग इनक्यूबेटर, चूजों हेतु सोलर पॉवर ब्रूडर, पोर्टेबल वैक्सीन रेफ्रिजरेशन सहित शिक्षा क्षेत्र के लिए भी सोलर विकल्प देते हैं।
 
दूसरे सत्र में धुले, महाराष्ट्र से रिन्यूएबल एनर्जी इंजीनियर प्रोफेसर अजय चांडक ने रिन्युएबल एनर्जी और आत्मनिर्भर भारत विषय पर अपने अनुभव और विचार साझा किए।
 
आईआईटी मुंबई से एमटेक  करने के बाद रिन्यूएबल एनर्जी पर फोकस करने वाले अजय चांडक ने बताया कि बात घर में सोलर वॉटर हीटर और सोलर कुकर के उपयोग से शुरू हुई थी वे कहते हैं कि सेमिनार या कार्यशाला में मैं सोलर एनर्जी पर बोलता तो लोग पूछते ये कैसे मिलेंगे। फिर दीपक गढ़िया से शेफलर सोलर कुकर की ट्रेनिंग लेकर धुलिया में सोलर कुकर बनवाने शुरू किए। जहां सोलर कुकर के लिए धूप कम थी उन जगहों के लिए बायोगैस एवं बायोमास के नए डिजाइन के चूल्हे बनाए। बायोमास चूल्हे बड़ी मात्रा में ढ़ाबों में इस्तेमाल हो रहे हैं। 
 
इसके अलावा नमकीन उद्योग, वेफर्स बनाने जैसे कामों में भी रिन्यूएबल एनर्जी पसंद की जा रही है। गैस की तुलना में इसका खर्च सिर्फ 25 प्रतिशत होता है और इससे कई रोजगार भी जुड़ते जाते हैं। श्री चांडक बताते हैं कि 2017 में इंजीनियरिंग कॉलेज की प्राचार्य की नौकरी छोड़कर मैं पूरी तरह रिसर्च और ट्रेनिंग में लग गया। 
 
मेरे रिसर्च बेस्ड प्रोडक्ट देखकर कुछ और संस्थाओं का  भरोसा बढ़ा। हमने गत 3 वर्षों में ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी, कई अमेरिकन कंपनियों और आईआईटी मुंबई को भी नई तकनीक वाले सोलर कुकर, इंडस्ट्रियल कॉन्सेंट्रेटर जैसे प्रोडक्ट में विशेषज्ञता साझा की। गाँव, कस्बों आदि तक छोटे  सोलर एवं रिन्यूएबल एनर्जी ऊर्जा को बढ़ा कर रोजगार के अधिक अवसर देना आज हमारी प्राथमिकता है ताकि भारत का विकास ज्यादा सस्टेनेबल हो।