रविवार, 28 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. वेबदुनिया सिटी
  3. इंदौर
  4. Indore Religion Conclave, Humasaz, Indore
Written By
Last Modified: बुधवार, 11 अप्रैल 2018 (22:41 IST)

मुस्लिमों के लिए भारत से अच्छी कोई जगह नहीं...

इंदौर रिलीजन कॉन्क्लेव में मौलाना मदनी ने कहा

मुस्लिमों के लिए भारत से अच्छी कोई जगह नहीं... - Indore Religion Conclave, Humasaz, Indore
इंदौर। जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि धर्मनिरपेक्षता भारत के डीएनए में है। यहां सांप्रदायिकता चल ही नहीं सकती। भारत के मुसलमानों के लिए भारत से अच्छी जगह कोई हो ही नहीं सकती।


इंदौर रिलीजन कॉन्क्लेव में 'धर्म है तो अधर्म क्यों' सत्र को संबोधित करते हुए मौलाना ने कहा कि हमने अपनी आंखों में अखंड भारत का ख्वाब सजाया है। हमने भारत को चुना है। यहां की मिट्‍टी में जो खुशबू है वह बाहर के फूलों में भी नहीं है। कमाने के लिए कहीं भी जा सकते हैं, लेकिन मुसलमानों के लिए भारत से अच्छी कोई दूसरी जगह नहीं है। दूसरे देशों के मुकाबले यहां के मुसलमान ज्यादा अच्छी स्थिति में हैं। यह हमारे लिए पवित्र धरती है। इस धरती की इज्जत करना हमारी ड्‍यूटी है। गंगा-जमुनी संस्कृति इस देश की सच्चाई है।

उन्होंने कहा कि धर्म प्यार और सम्मान करना सिखाता है। यदि आपको इस्लाम अजीज है तो सनातन का सम्मान करें और सनातन अजीज है तो इस्लाम का सम्मान करें। धर्म के नाम पर अधर्म करना तो आसान है, लेकिन धर्मयुद्ध करना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि मानवता और सच्चाई की कोई सरहद नहीं होती। यदि धर्म हमारे भीतर है तो नफरत की गुंजाइश ही नहीं होती। धर्म सत्ता के लिए नहीं सत्य के लिए होता है। मौलाना ने कहा कि हम बच्चों को सपने तो दिखा रहे हैं, लेकिन उन्हें इंसानियत की तालीम नहीं दे रहे हैं। इससे सामाजिक विघटन हो रहा है। उन्होंने कहा कि भारतीय समाज और मुसलमानों के बीच एक-दूसरे को समझने की चीज खत्म हुई है।

संत भय्‍यू महाराज ने कहा कि यदि सत्य का ‍अस्तित्व है तो असत्य की कल्पना भी नहीं की जा सकती। दरअसल, हम सत्य को स्वीकारते नहीं हैं। हीरा हर किसी के पास नहीं होता, कांच का टुकड़ा तो हर जगह मिल जाता है। सत्य तो हीरा ही है। उन्होंने कहा कि सत्य जब असत्य पर विजय प्राप्त करता है तो वह सतयुग होता है और जब असत्य सत्य को पा लेता है तो वही कलयुग है। दुर्भाग्य से जिन लोगों ने विचार नहीं दिया, सत्य नहीं दिया आज वे युवाओं के आदर्श और उम्मीद बन गए हैं। इनसे पूछना चाहिए कि इन लोगों ने राष्ट्र, समाज और मानवता के लिए क्या किया?

भय्‍यू महाराज ने कहा कि आज के दौर में हो यह रहा है कि रातोंरात आदर्श तैयार करो और युवाओं को गुमराह करो, गुलाम बनाओ। दअरसल, संघर्ष से निर्मित आदर्श ही सत्य होते हैं। उन्होंने कहा कि यदि व्यक्ति अपना एक गुण समाज, राष्ट्र और मानवता को देने लग जाए तो समस्याएं दूर हो जाएंगी। मगर एक-दूसरे की भावनाओं को ठगा जा रहा है, यह सत्य है फिर भी इसे नकारा जा रहा है। यदि किसी काम में बुजुर्गों की दुआ और युवाओं का जिगर लग जाता है तो आने वाली पीढ़ियां भी सुधर जाती हैं।

जोधपुर के प्रो. अख्तर उल वासे ने कहा कि अधर्म के लिए सब जिम्मेदार हैं। हम खुद को धार्मिक नहीं बना पाए। हमने ऊंट को मुस्लिम और गाय को हिन्दू बना दिया, केसरिया को हिन्दू और हरे रंग को मुस्लिम बना दिया। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति सही तौर पर धार्मिक नहीं, वह राष्ट्रधर्म भी नहीं निभा सकता। अमृत मंथन की कथा उद्धृत करते हुए प्रो. वासे ने कहा कि आज कितने लोग नीलकंठ बनने को तैयार हैं। हकीकत में इसका उलटा हो रहा है। लोग विष छोड़कर जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस्लाम के नाम पर जो लोग आतंकवाद फैला रहे हैं वे मानवता के दुश्मन बाद में हैं, जबकि इस्लाम और मुसलमानों के दुश्मन पहले हैं।

डॉ. नीलिम्प त्रिपाठी ने कहा कि हमारे वचन और हावभाव से किसी का अपमान नहीं होना चाहिए, यही धर्म है। आपके व्यवहार से किसी को असुविधा न हो, यही धर्म है। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता मकसूद हुसैन गौरी ने की, जबकि संचालन विजय भट्‍ट ने किया।

इससे पहले उद्‍घाटन सत्र में पत्रकार उदय निर्गुणकर ने कहा कि ताजमहल से अच्छी जगह मुझे यह कार्यक्रम स्थल लगा, जहां कौमी एकता के दर्शन हुए। संस्कृति किसी भी देश की सबसे बड़ी धरोहर होती है। बड़ी बात है भारत में 5000 सालों से एकता मौजूद है। उन्होंने कहा कि लोगों ने अपने स्वार्थ के लिए प्रेम की जगह द्वेष फैलाना शुरू कर दिया। दरअसल, आंतरिक चेतना को जाग्रत करने वाली शक्ति ही धर्म है।

सुभाष खंडेलवाल ने कहा कि धर्म मुक्ति और मोक्ष का मार्ग है, धर्म जिंदगी जीने का मार्ग है। उन्होंने वर्ण व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि समाज के एक वर्ग के हिस्से में लाचारी क्यों आई? दलित आदिवासी भारत में अदृश्य क्यों हैं? यहां जाति की जड़ें बहुत गहरी हैं।

प्रारंभ में गौतम काले और उनकी टीम ने हर-हर शिवशंकर..., मेरो अल्लाह मेहरबान और णमोकार महामंत्र की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में वैदिक मंत्र भी गूंजे। स्वप्निल कोठारी, संतोष सिंह, इकबाल गौरी ने कार्यक्रम के संबंध में जानकारी दी। संचालन हिदायत खान ने  किया। आभार राजेश राठौर ने माना।