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  4. Indore Municipal Corporation started catching dogs even though shelter homes were not built.
Last Updated : मंगलवार, 25 नवंबर 2025 (13:08 IST)

शेल्‍टर होम के बजाए जंगलों में लावारिस छोड़े जा रहे कुत्‍ते, इंदौर के डॉग लवर्स ने खोली नगर निगम की पोल

शेल्‍टर होम बने नहीं और कुत्‍ते पकड़ने लगा इंदौर नगर निगम

Dogs
कुत्‍तों के प्रति इंदौर नगर निगम कितना असंवेदनशील हो सकता है, इसका एक और ताजा उदाहरण सामने आया है। दरअसल, कुत्‍तों को शहर में से पकड़ कर शेल्‍टर होम में शिफ्ट किया जाना था, लेकिन इंदौर नगर निगम कुत्‍तों के साथ बेरहमी दिखाकर उन्‍हें आसपास के जंगलों में लावारिस हालत में छोड़ रहा है। बता दें कि कोर्ट ने प्रशासन को कुत्‍तों के लिए शेल्‍टर होम बनाने की बात भी कही है, लेकिन शेल्‍टर होम बनाने से पहले ही निगम कुत्‍तों को पकड़ रहा है और उन्‍हें जंगल में छोड़ रहा है।

इंदौर के डॉग लवर्स ने इस बारे में नगर निगम की पोल खोली है। इस बारे में बेसहारा कुत्तों की देखभाल के लिए शेल्टर होम चलाने वाली भावना जादौन ने बताया कि शहर से कुत्तों को पकड़ कर दूसरी जगह छोड़ने से कभी समस्या हल नहीं होगी, क्योकि फिर दूसरे कुत्ते उस इलाके में आ जाते है। कुत्तों का सही तरीके से टीकाकरण हो। उन्‍होंने बताया कि इससे तो जंगल में रैबिज फैलने का खतरा बढ जाएगा।

आंदोलन की तैयारी कर रहे डॉग लवर्स : इंदौर के डॉग लवर्स शहर से कुत्तों को पकड़े जाने के खिलाफ है। इस मामले वे आंदोलन की तैयारी कर रहे है। उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने शेल्टर होम बनाकर कुत्तों को वहां रखने के लिए कहा है, लेकिन नगर निगम कुत्तों को पकड़ कर जंगलों में छोड़ रहा है। इससे वन्य जीवों को रैबिज होने का खतरा बढ़ गया है। यदि वे रेबीज ग्रस्त कुत्ते का शिकार करते है तो इससे जानवरों में रोग फैलेगा। उन्होंने कहा कि हम भी चाहते है कि शहर में कुत्तों का बर्थ कंट्रोल हो, लेकिन उनकी नसबंदी ठीक से नहीं हो रही है। जयपुर, गोवा जैसे शहरों में कुत्तों की समस्या नहीं है, क्योंकि वहां बर्थ कंट्रोल के ईमानदारी से प्रयास हुए है।

बेसहारा कुत्तों की देखभाल के लिए शेल्टर होम चलाने वाली भावना जादौन ने बताया कि शहर से कुत्तों को पकड़ कर दूसरी जगह छोड़ने से कभी समस्या हल नहीं होगी, क्योंकि फिर दूसरे कुत्ते उस इलाके में आ जाते है। उसके बजाए कुत्तों का सही तरीके से टीकाकरण हो, उसकी नसबंदी की जाए तो कुत्तों की संख्या में कमी आ सकती है, लेकिन इस तरफ ध्यान ठीक से नहीं दिया जा रहा है।

अभी नगर निगम ने ठीक से शेल्टर होम भी नहीं बनाए और कुत्तों को पकड़ना शुरू कर दिया है। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने ही कहा है कि शहरों में रहने वाले कुत्तों के लिए फिडिंग पाइंट भी बनाने के लिए कहा है, लेकिन उसका भी ठीक से पालन नहीं किया जा रहा है। शहर में घर-घर से कचरा उठाया जाता है। कुत्तों के लिए लोग भोजन नहीं देते। भूखे होने वे ज्यादा गुस्सैल हो जाते है।
Edited By: Navin Rangiyal
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