आजादी का अमृत महोत्सव, वीर नायकों की गाथा का नाट्य मंचन
इंदौर। आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत भोजपुरी साहित्य अकादमी भोपाल, संस्कृति विभाग मध्य प्रदेश संस्कृति परिषद एवं देवी अहिल्या सेवा न्यास इंदौर के संयुक्त तत्वावधान में आजादी का अमृत महोत्सव 'वंदे मातरम' मनाया जा रहा है।
इसके अंतर्गत इंदौर के रंग निर्देशक राजन जी देशमुख ने 1857 से 1947 तक जो क्रांति हुई उनके ऐसे वीर नायक, जो लोगों द्वारा भुला दिए गए हैं, उनको याद करने का एक प्रयास किया गया है। एक नाट्य प्रस्तुति तैयार की गई है। इसमें अलग-अलग किरदारों को अलग-अलग नरेटर अपने ढंग से उनकी गाथा बयां की गई।
पूरे कार्यक्रम में 6 मुख्य किरदारों को लिया गया है। इसमें सुभाषचंद्र बोस, वीर सावरकर, चाफेकर बंधु, खुदीराम बोस, चारुचंद्र बोस और मदनलाल ढींगरा। दूसरी प्रस्तुति जानकी बैंड की थी। जानकी बैंड जबलपुर से प्रस्तुति के लिए आए।
जानकी बैंड की एक खूबी यह है कि सिर्फ लड़कियों का एक समूह है उसमें गाने वाली भी लड़कियां है और जितने भी वाद्य बजाए जाते हैं वह भी लड़कियों द्वारा ही बजाए जाते हैं। यह पूरे देश में अपने ढंग का एक अनूठा बैंड है। जानकी बैंड ने भोजपुरी और हिन्दी देशभक्ति गीतों की प्रस्तुति दी। इसमें हिन्दी की फेमस गीत और कविताएं हैं जिनको संगीतबद्ध किया है।
आभार प्रदर्शन देवी अहिल्या सेवा न्यास की सचिव श्रीमति श्रुति केलकर ने माना। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उषा ठाकुर (मंत्री, संस्कृति पर्यटन एवं अध्यात्म विभाग मध्यप्रदेश शासन) ने अपने संबोधन में कहा कि अपने घर की बैठक में किसी एक क्रांतिकारी का चित्र अवश्य लगाएं।
इससे घर के लोगों के विचारों में परिवर्तन तो होता ही है साथ ही घर में आने वाले अतिथियों के मन पर भी उसका प्रभाव होता है। विशिष्ट अतिथि डॉ. सोनाली सिंह नरगुंदे (विभागाध्यक्ष पत्रकारिता विभाग देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर) थीं।