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Last Modified: शुक्रवार, 23 जुलाई 2021 (17:45 IST)

चोट के कारण तनाव में थी और लगभग तैराकी छोड़ने का फैसला ले चुकी थी भारतीय तैराक माना पटेल

चोट के कारण तनाव में थी और लगभग तैराकी छोड़ने का फैसला ले चुकी थी भारतीय तैराक माना पटेल - Maanna patel was once distressed and about to leave swimming
नई दिल्ली: तैराक माना पटेल का कईयों की तरह ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने का सपना सच हो गया, लेकिन चार साल पहले वह कंधे की चोट के कारण तनाव से जूझ रही थी। माना तैराकी में तब आईं, जब उनकी मां ने 2008 में अपनी बेटी की भूख बढ़ाने की उम्मीद में 2008 में उसे गर्मियों की छुट्टियों में तैराकी में डाला। आठ साल की माना ने इतनी छोटी सी उम्र में अपने प्रदर्शन से सभी को हैरान करना शुरू कर दिया।
 
माना ने पीटीआई से कहा, ‘‘बचपन में मैं बहुत पतली थी और मुझे भूख नहीं लगती थी। इसलिए मेरी मां ने मुझे 2008 में गर्मियों की छुट्टियों में तैराकी में डाला कि मैं थोड़ी देर के लिए पानी में खेलूंगी और घर आकर अच्छी तरह खाना खाऊंगी। मैं तैराकी का मजा लेने लगी और फिर चीजें सही दिशा में बढ़ने लगीं।’’
 
उन्होंने कहा, ‘‘धीरे धीरे मैंने क्लब स्तर की प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेना शुरू कर दिया। लोगों ने मेरी रेस देखकर कहा की वह बहुत अच्छी तैराक है।’’ माना ने ‘यूनिवर्सैलिटी कोटे’ के जरिये तोक्यो खेलों में 100 मीटर बैकस्ट्रोक स्पर्धा के लिए क्वॉलिफाई किया। उन्होंने 13 साल की उम्र में तीन राष्ट्रीय बैकस्ट्रोक रिकॉर्ड बना दिए थे।
 
इस तैराक ने कहा, ‘‘2013 में मैंने भारतीय रिकॉर्ड तोड़ा था। मैं अपनी उम्र में लड़कों से भी ज्यादा तेज थी।’’ माना ने 2016 दक्षिण एशियाई खेलों में छह पदक जीते लेकिन 2017 में उनका कंधा चोटिल हो गया जिसके बाद सबकुछ बदल गया। उन्होंने कहा, ‘‘मेरे बाएं कंधे में चोट लगी थी तो मुझे सभी रेस से हटना पड़ा और मैं सिर्फ अपने रिहैबिलिटेशन पर ध्यान लगा रही थी।’’
 
रिहैब के दौरान उनका करीब छह किग्रा वजन कम हो गया। हाल में वह अहमदाबाद से मुंबई आ गयीं। 21 साल की इस तैराक ने ‘टेडएक्सयूथ टॉक’ पर चोट से जूझने के दौरान की परेशानी के बारे में बात की। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे शून्य से शुरूआत करनी पड़ी इसलिए यह बहुत ही निराशाजनक था, मानसिक और भावनात्मक रूप से काफी मुश्किल था। ऐसा भी समय आया जब मैं सचमुच तैराकी छोड़ना चाहती थी।’’
 
उन्होंने कहा, ‘‘मैं युवा थी और मुझे नहीं पता था कि चोट से कैसे निपटा जाये। मैं बहुत ज्यादा तनाव में थी।’’ पर माना की मां की सलाह ने उनका जीवन के प्रति नजरिया बदल दिया। उन्होंऩे कहा, ‘‘मेरी मां ने कहा कि अगर तुम इसे छोड़ती हो तो शायद तुम्हें इस तरह छोड़ने की आदत पड़ जाए और पूरी जिंदगी तुम यही करती रहोगी। यह कोई बड़ी समस्या नहीं है, हर कोई तुम्हें मजबूत और फिट बनाने की कोशिश कर रहा है, बस तुम्हें खुद पर भरोसा रखने की जरूरत है।’’
 
फिर माना ने 2018 में प्रतिस्पर्धी तैराकी में वापसी की और उन्होंने तीन स्वर्ण पदक ही नहीं जीते बल्कि महिलाओं की 100 मीटर बैकस्ट्रोक स्पर्धा में अपना राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी बेहतर किया।(भाषा)
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