रविवार, 22 दिसंबर 2024
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अरब सिपहसालार मुहम्मद बिन कासिम

अरब सिपहसालार मुहम्मद बिन कासिम | muhammad bin qasim
लगभग 632 ई. में हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की वफात (मृत्यु) के बाद 6 वर्षों के अंदर ही उनके उत्तराधिकारियों ने सीरिया, मिस्र, उत्तरी अफ्रीका, स्पेन एवं ईरान को जीत लिया। इस समय खलीफा साम्राज्य फ्रांस के लायर नामक स्थान से लेकर आक्सस एवं काबुल नदी तक फैल गया था।
 
 
वफात के बाद 'खिलाफत' संस्था का गठन हुआ, जो इस बात का निर्णय करती थी कि इस्लाम का उत्तराधिकारी कौन है? हज. मुहम्मद स.अ.व के दोस्त अबू बकर को उनका उत्तराधिकारी घोषित किया गया। पहले 4 खलीफाओं ने हज. मुहम्मद साहब से अपने रिश्तों के कारण खिलाफत हासिल की। उनमें से उमय्यदों और अब्बासियों के काल में इस्लाम का विस्तार हुआ। अब्बासियों ने ईरान में अपनी सत्ता कायम की। ईरान के पारसियों को या तो इस्लाम ग्रहण करना पड़ा या फिर वे भागकर सिंध में आ गए। जब सिंध में भी आक्रमण बढ़ने लगे तो वे गुजरात में बस गए।
 
 
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7वीं सदी के बाद भारत पर अरब और तुर्क के मुसलमानों ने आक्रमण करना शुरू किए। अरब के खलिफाओं ने भारत पर कई अभियान चलाए। पहले भारत में अफगानिस्तान भी शामिल था। कुछ इतिहासकारों के अनुसार 870 ई. में अरब सेनापति याकूब एलेस ने अफगानिस्तान को अपने अधिकार में कर लिया था। इससे पहले मोहम्मद बिन कासिम ने भारत के सिंध और मुलत्तान पर आक्रमण करके यहां पर खलिखाओं के शासन का रास्ता साफ किया।
 
 
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मुहम्मद बिन कासिम : भारत में इस्लामिक शासन का विस्तार 7वीं शताब्दी के अंत में मोहम्मद बिन कासिम के सिन्ध पर आक्रमण और बाद के मुस्लिम शासकों द्वारा हुआ। लगभग 712 में इराकी अरब शासक अल हज्जाज के भतीजे एवं दामाद मुहम्मद बिन कासिम ने 17 वर्ष की अवस्था में सिन्ध और बलूच पर के अभियान का सफल नेतृत्व किया।
 
इस्लामिक खलीफाओं ने सिन्ध फतह के लिए कई अभियान चलाए। 10 हजार सैनिकों का एक दल ऊंट-घोड़ों के साथ सिन्ध पर आक्रमण करने के लिए भेजा गया। सिन्ध पर ईस्वी सन् 638 से 711 ई. तक के 74 वर्षों के काल में 9 खलीफाओं ने 15 बार आक्रमण किया। 15वें आक्रमण का नेतृत्व मोहम्मद बिन कासिम ने किया।
 
 
मुहम्मद बिन कासिम अत्यंत ही क्रूर योद्धा था। सिंध के दीवान गुन्दुमल की बेटी ने सर कटवाना स्वीकार किया, पर मीर कासिम की पत्नी बनना नहीं। वेबदुनिया के शोधानुसार इसी तरह वहां के राजा दाहिर (679 ईस्वी में राजा बने) और उनकी पत्नियों और पुत्रियों ने भी अपनी मातृभूमि और अस्मिता की रक्षा के लिए अपनी जान दे दी। सिंध देश के सभी राजाओं की कहानियां बहुत ही मार्मिक और दुखदायी हैं। आज सिंध देश पाकिस्तान का एक प्रांत बनकर रह गया है। राजा दाहिर अकेले ही अरब और ईरान के दरिंदों से लड़ते रहे। उनका साथ किसी ने नहीं दिया बल्कि कुछ लोगों ने उनके साथ गद्दारी की।
 
 
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कौन था मुहम्मद बिन क़ासिम?
मुहम्मद बिन कासिम इस्लाम के शुरुआती काल में उमय्यद खिलाफत का एक अरब सिपहसालार था। उसने 17 साल की उम्र में ही उसे भारतीय उपमहाद्वीप पर हमला करने के लिए भेज दिया गया था। कासिम का जन्म सउदी अरब में स्थित ताइफ शहर में हुआ था। वह अल-सकीफ कबीले का सदस्य था। उसके पिता कासिम बिन युसुफ थे जिसनके देहांत के बाद उसके ताऊ हज्जाज बिन युसुफ ने उसे संभाला। उसने हज्जाज की बेटी जुबैदाह से शादी कर ली और फिर उसे सिंध पर मकरान तट के रास्ते से आक्रमण करने के लिए रवाना कर दिया गया। कासिम के अभियान को हज्जाज कूफा नामक शहर में बैठकर नियंत्रित कर रहा था।
 
 
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कासिम की मौत : कासिम की मौत कैसे हुई इस बारे में तो घटनाओं का वर्णन मिलता है। 'चचनामा' नामक ऐतिहासिक दस्तेवाज अनुसार कासिम ने जब राजा दाहिर सेन की बेटियों को तोहफा बनाकर खलीफा के लिए भेजा तो खलीफा ने इस अपना अपमान यह समझकर समझा कि कासिम पहले ही उनकी इज्जत लूट चूका है और अब खलीफा के पास भेजा है। ऐसे समझकर खलीफा ने मुहम्मद बिन कासिम को बैल की चमड़ी में लपेटकर वापस दमिश्क मंगवाया और उसी चमड़ी में बंद होकर दम घुटने से वह मर गया। लेकिन बाद में खलिफा को पता चला कि दाहिरसेनी की बेटियों ने झूठ बोला तो उसने तीनों बेटियों को जिन्दा दीवार में चुनवा दिया।
 
 
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दूसरी घटना में ईरानी इतिहासकार बलाज़ुरी के अनुसार कहानी अलग थी। नया खलीफ़ा हज्जाज का दुश्मन था और उसने हज्जाज के सभी सगे-संबंधियों को सताया। बाद में उसने मुहम्मद बिन कासिम को वापस बुलवाकर इराक के मोसुल शहर में बंदी बनाया और वहीं उस पर कठोर व्यवहार और पिटाई की गई जीसके चलते उसने दम तोड़ दिया।

स्रोत वीकिपीडिया