kalki jayanti 2024 : जयंती या जन्मोत्सव उसका मनाया जाता है जिसका की जन्म हो चुका है। पुराणों के अनुसार भगवान कल्कि का जन्म कलयुग के अंत में होगा। इसका मतलब यह कि अभी भगवान विष्णु के 10वें अवतार कल्कि का जन्म नहीं हुआ है। उनका जन्म कब और किस तारीख को होगा यह अभी निश्चित नहीं है, फिर भी उनकी जयंती क्यों मनाई जाती है?
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कल्कि जयंती : प्रतिवर्ष सावन माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को कल्कि जयंती मनाई जाती है। इसके बाद भाद्रपद, शुक्ल द्वादशी को कल्कि द्वादशी मनाते हैं। इस बार 10 अगस्त 2024 शनिवार को यह जयंती मनाई जाएगी। कल्कि जयंती पर साध्य और शुभ रवि योग का निर्माण हो रहा है। इन योग में भगवान कल्कि की पूजा करने से आप को मनचाहा वर प्राप्त हो सकता है।
षष्ठी तिथि प्रारंभ: 10 अगस्त 2024, रात 03:14 बजे से
षष्ठी तिथि समापन: 11 अगस्त 2024, सुबह 05:44 बजे तक।
कल्कि अवतार- Kalki Avatar:- हिंदू पुराणों के अनुसार कलयुग के अंत में संभल नाम गांव में श्रीहरि विष्णु का कल्कि अवतार होगा। स्कंद पुराण के दशम अध्याय में स्पष्ट वर्णित है कि कलियुग में भगवान श्रीविष्णु का अवतार श्रीकल्कि के रुप में सम्भल ग्राम में होगा। 'अग्नि पुराण' के सौलहवें अध्याय में कल्कि अवतार का चित्रण तीर-कमान धारण किए हुए एक घुड़सवार के रूप में किया हैं और वे भविष्य में होंगे। कल्कि पुराण के अनुसार वह हाथ में चमचमाती हुई तलवार लिए सफेद घोड़े पर सवार होकर, युद्ध और विजय के लिए निकलेगा तथा म्लेच्छों को पराजित करके सनातन राज्य स्थापित करेगा।
क्या कल्कि अवतार हो चुका है?
इसके विपरीत कुछ अन्य पुराण और बौद्धकाल के कवियों की कविता और गद्य में ऐसा उल्लेख व गुणगान मिलता है कि कल्कि अवतार हो चुका है। 'वायु पुराण' (अध्याय 98) के अनुसार कल्कि अवतार कलयुग के चर्मोत्कर्ष पर जन्म ले चुका है। इसमें विष्णु की प्रशंसा करते हुए दत्तात्रेय, व्यास, कल्की विष्णु के अवतार कहे गए हैं, किन्तु बुद्ध का उल्लेख नहीं हुआ है। इसका मतलब यह कि उस काल में या तो बुद्ध को अवतारी होने की मान्यता नहीं मिलती थी या फिर बुद्ध के पूर्व कल्कि अवतार हुआ होगा।
बंगाली कवि जयदेव (1200 ई.) और चंडीदास के अनुसार भी कल्कि अवतार की घटना हो चुकी है अतः कल्कि एक ऐतिहासिक व्यक्तित्व हो सकते हैं। जैन पुराणों में एक कल्कि नामक भारतीय सम्राट का वर्णन मिलता है। जैन विद्वान गुणभद्र नौवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में लिखते हैं कि कल्किराज का जन्म महावीर के निर्वाण के 1 हजार वर्ष बाद हुआ। जिनसेन उत्तर पुराण में लिखते हैं कि कल्किराज ने 40 वर्ष राज किया और 70 वर्ष की आयु में उसकी मृत्यु हुई। कल्किराज अजितान्जय का पिता था। महावीर स्वामी का जन्म यदि प्राचीन काल निर्धारण अनुसार मानें तो 1797 विक्रम संवत पूर्व अर्ताथ महावीर के एक हजार वर्ष बाद यानी 797 विक्रम संवत पूर्व कल्कि हुए थे अर्थात 739 ईसा पूर्व।
इतिहासकार केबी पाठक ने सम्राट मिहिरकुल हूण की पहचान कल्कि के रूप में की गई है। वे कहते हैं कि मिहिरकुल का दूसरा नाम कल्किराज था। जैन ग्रंथों ने कल्किराज के उत्तराधिकारी का नाम अजितान्जय बताया है। मिहिरकुल हूण के उत्तराधिकारी का नाम भी अजितान्जय था। कुछ विद्वानों के अनुसार मिहिरकुल को कल्कि मानना इसलिए ठीक नहीं होगा, क्योंकि हूण तो विदेशी आक्रांता थे। उनको तो इतिहास में विधर्मी माना गया है।
अंतत: यह कहना अभी भी सही नहीं होगा कि कल्कि अवतार हो चुका है या नहीं हुआ है? हालांकि उनकी जयंती को मनाने का अर्थ क्या है यह समझना जरूरी है।
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