मंगलवार, 19 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. साहित्य
  3. कथा-सागर
  4. Short Story Rakt daan

लघुकथा - रक्तदान

लघुकथा - रक्तदान - Short Story Rakt daan
छोटे बेटे की बीमारी से परेशान सुनीता जैसे-तैसे अपने दिन काट रही थी। मजदूर पति सुरेश सुबह ही दिहाड़ी के लिए निकल जाता। मजबूरी थी उसकी बीमार बेटे को अनपढ़ पत्नी के भरोसे छोड़ कर जाना। खुद भी ज्यादा कहां पढ़ा-लिखा था वह। आठवीं पास को भला आज के जमाने में कौन पूछता है। 
 
कई जगह नौकरी के लिए कोशिश करने के बाद मजदूरी करने में ही उसने अपनी भलाई समझी। परिवार का पेट तो पालना ही था उसे। पत्नी भी मजदूरी करती थी संग-संग तो जैसे-तैसे गुजारा हो जाता था। पर अब बेटे को न जाने यह कौन सी अंग्रेजी बीमारी हो गई कि रोज ही खून की बॉटल लगवाओ। गरीब को कोई अपना खून क्यों देने लगा। इतना पैसा भी नहीं कि खरीद सके। बस अब तो सब भगवान की दया पर है। जिए या मरे। यही सोचकर वह दिहाड़ी पर जाने लगा और पत्नी सुनीता घर रहकर बेटे की देखभाल करती। 
 
एक दिन ज्यादा हालत बिगड़ती देख वे दोनों बच्चे को लेकर फिर सरकारी अस्पताल पहुंचे लेकिन खून न मिल सका। सुनीता तो अपने आंचल में बेटे को समेटे रोए ही जा रही थी। उसे रोता देख समीप बैठे एक नौजवान ने उससे कारण पूछा और अपना रक्त देकर उन्हें थोड़ी राहत दी, पर होनी को जो मंजूर था वही हुआ। 
 
बच्चा नहीं बचा। मां का रूदन थमने का नाम नहीं ले रहा था, मगर तभी सुरेश ने दुःखी ह्रदय से मन ही मन उस नौजवान का आभार व्यक्त कर यह प्रण ले लिया कि अब से वह हर जरूरतमंद के लिए रक्तदान करेगा, चाहे उसकी जान ही क्यों न चली जाए। 
 
रक्त के अभाव में बेटे की मौत और उस नौजवान के रक्तदान ने सुरेश को एक बड़ी सीख दी थी, जो अब कई जिंदगियों को बचाने के काम आने के प्रण में बदल चुकी थी।
ये भी पढ़ें
व्यंग्य संग्रह फ़ेक एंकाउंटर का लोकार्पण