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रोमेंटिक हिन्दी कविता : मेरे जिस्म में दिखती तेरी रौशनाई है

रोमेंटिक हिन्दी कविता : मेरे जिस्म में दिखती तेरी रौशनाई है - Romantic Hindi Poem By Amar Khanooja Chaddha
तू अभी भी यहीं कहीं
है मेरे आसपास
तभी तो मेरे जिस्म में
दिखती तेरी रौशनाई है
 
बरसों की अंधेरी खोह में
सिर्फ धड़कनों का बसेरा था
तूने जाने कब
इश्क की लौ लगाई है
 
वो लम्हें जिए मैंने
खुमार ख्वाहिशें रंग चढ़ीं
सदियों बाद जमाने की
आंखें कसमसाई है
 
सदके में तेरी सलामती के
हैं फि‍क्रें और मुरादें
कजले वाली अखि‍यों से
तेरी नजरें उतराई है
 
छुड़ाए नहीं छूटती
मेरे बदन से चांदनी
परेशान कर रहे रस्मों रिवाज
कमबख्त दिल फिर भी शैदाई है
 
कौन कौम तेरी 
कौन जात मेरी 
न खत न मुहर चाहती 
रूह की जमानती अर्जी लगवाई है